उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव से पहले नारा दिया था... काम बोलता है...लेकिन उनके काम के साथ-साथ खर्चों का हिसाब भी बोल रहा है...
अखिलेश ने बेरोजगारी भत्ते के लिए 20 करोड़ रूपये तो बांटे...लेकिन वाह-वाही लूटने के लिए 15 करोड़ कार्यक्रम पर खर्च भी कर दिए...
जी हां...उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश की गई सीएजी की जनरल ऐंड सोशल सेक्टर रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि समाजवादी पार्टी सरकार ने बेरोजगारी भत्ता योजना के तहत 20 करोड़ रुपये बांटने के लिए 15 करोड़ रुपये के कार्यक्रम का आयोजन किया था...
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि अगर सपा सरकार चाहती तो, वो इस खर्च को रोक सकती थी...क्योंकि इस योजना के तहत दी गई राशि को डायरेक्ट लाभार्थियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए जाने का प्रावधान था....लेकिन अखिलेश सरकार ने काम के नाम पर वोट बंटोरने के लिए 15 करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए...6.99 करोड़ रुपये लाभार्थियों को कार्यक्रम स्थल तक लाने में खर्च हुए. कार्यक्रम में 1.26 लाख बेरोजगार लोगों को भत्ते का चेक दिया गया.
कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि 'बेरोजगारी भत्ता योजना' के राज्य के 69 जिलों के लाभार्थियों को पैसा सीधे उनके बैंक अकाउंट में भेजा जाना था. इसलिए चेक बांटने के लिए कार्यक्रम को टालकर इस खर्च से बचाया जा सकता था...
आपको बता दें कि...इस योजना की शुरुआत मई 2012 में हुई थी और नियम के अनुसार हर तिमाही भत्ते का भुगतान लाभार्थियों के बैंकों के बचत खातों में किया जाना था...
इस योजना के तहत 30 से 40 साल की उम्र वाले हाईस्कूल पास बेरोजगारों को एक हजार रुपये दिए जाते थे. इस योजना का लाभ पाने के लिए उत्तर प्रदेश का नागरिक होना और सालाना पारिवारिक आय 36 हजार रुपये से कम होने की शर्त थी....