डॉ. कविता अरोरा
Kavita Arora
....No Need Of ...Justice .लड़कियों ....तुम मर ही जाओ ... पैदा होने से पहले .. कोख में ही ...या फिर ..पहले ..की तरह ..ही ..दे दिया जाये ..तुम्हारा ..टेटुआ ..चारपाई के ..पायों के तले ...या फिर ..घोंट के दे दी जाये ..तुम्हें ...दूध में ..ढेर सी अफ़ीम ... रख के तकिया मुँह पर ...रोक... दी जानी चाहिये ...साँस ...तुम्हारी ... या भर के ..अनाज ..छोटे से मुँह में ..चोक कर दी जाये ...तुम्हारी ...साँसों ...की नली ... क्योंकि यह जो ..तुम... बढ़ रही हो ना ... तुम्हारे ..बढ़ने ...के साथ-साथ ही ...बढ़ रहा है ... तुम्हारा ..शरीर ... ..बढ़ाता ही जा रहा है ..दिन-बा-दिन ..किसी ना किसी की ...आँखों की ...चमक...तुम्हारी ..माँएं ..हर पल ख़ौफ़ खाती हैं ... रातों को भी ...उनसे ..ठीक से ..सोया ..नहीं जाता ... धड़कती रहती हैं छातियाँ .. तुम्हारी ही फ़िक्र में ... कब तक ..सहेजें ...तुम्हें ..बुर्क़े- दुपट्टे ..लबादों ..में ... अब तो ..आठ ..आठ ..हाथों से .भी ..उनसे ...तुमको .. सँभाला नहीं जाता ....... लड़कियों तुम मर ही जाओ ...पैदा होने से पहले ही .. कोख में ........( Dr kavita)
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