हाइलाइट्स
सरकारी वकील रोहिनी सालियान ने करीब दो साल पहले ही कह दिया था कि एनआईए के एक अधिकारी ने उनसे कहा था कि हिन्दुत्ववादी आरोपियों के खिलाफ पैरवी ढीली कर दीजिए। यह हमारे राजनीतिक आका का फरमान है। उस सच्ची महिला वकील को आदेश का पालन न करने के लिए पद से हटा दिया गया। अब नतीजा सामने है।
मसीहुद्दीन संजरी
एक एक करके तीन दर्जन स्वतंत्र गवाह मुकर गए। पहले अदालत के सामने अपना गुनाह कबूल करने वाले असीमानंद, फिर प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अब आरडीएक्स सप्लायर कर्नल पुरोहित को ज़मानत मिल गई।
सरकारी वकील रोहिनी सालियान ने करीब दो साल पहले ही कह दिया था कि एनआईए के एक अधिकारी ने उनसे कहा था कि हिन्दुत्ववादी आरोपियों के खिलाफ पैरवी ढीली कर दीजिए। यह हमारे राजनीतिक आका का फरमान है। उस सच्ची महिला वकील को आदेश का पालन न करने के लिए पद से हटा दिया गया। अब नतीजा सामने है।
जो लोग कहते हैं कि अदालत में मामले के पहुंचने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता वह या तो नादान हैं या राजनीतिक ताकत उसके लम्बे हाथ से अनिभिज्ञ हैं। जब जांच करने वाली एजेंसी, पैरवी करने वाले वकील और गवाही देने वाले गवाह आरोपी के पक्ष में खड़े नज़र आएं तो समझ लेना चाहिए कि राजनीति अपना काम कर गई। राजनीति जिसके पक्ष में खड़ी हो जाए लोकतंत्र की सारी संस्थाएं उसके साथ खड़ी हो जाती हैं। कुछ अपवाद अवश्य हैं लेकिन अपवाद तो अपवाद ही होता है।