मैंने जिस हाथ को चूमा, वही खंजर निकला
पंकज चतुर्वेदी
कश्मीर में रास्ते जुदा होने की इबारत कठुआ काण्ड में राज्य सरकार की आरोपियों पर निष्पक्ष कार्यवाही से हो गई थी। एक बच्ची से बलात्कार और हत्या के काण्ड के मुज़रिमों के पक्ष में जम्मू हिन्दू बाहुल्य इलाके के लगभग सभी सांसद और विधायक सड़क पर थे, लेकिन राज्य सरकार ने कड़ी कार्यवाही की थी। तभी से राह अलग होने की खिचड़ी खदबदा रही थी।
अलग होने की नियम शर्तें पत्रकार की हत्या वाले दिन ही तैयार हो गईं थी। इस बीच केजरीवाल के धरने को प्रायोजित किया गया, ध्यान बंटाने की तकनीक।
अब कश्मीर के मौजूदा गवर्नर का कार्यकाल भी इसी महीने 28 को खत्म होने वाला है। अपनी पसंद के व्यक्ति को गवर्नर बैठा कर अब जम्मू की तीन लोकसभा सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की जुगत है।
इधर सरकार भंग उधर बेनतीजा केजरीवाल का अनशन खत्म।
बहुत गूढ़ सियासत। किसी से सहानुभूति मत रखना...
शहर वालों की मोहब्बत का मैं कायल हूँ मगर,
मैंने जिस हाथ को चूमा, वही खंजर निकला।