तर्कवागीश
बाबा जी ने ऐसा अखंड ब्रह्मतेज कहां से पाया कि
जब गिरफ़्तारी का वक़्त आया तो मृत्यु भय सताया!
शेक्सपियर के ड्रामा को आपने अत्यंत उन्नत स्तर पर पहुंचाया
दिल्ली में एक लाख भक्तों को भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बुलाया
और जब महाभारत का समय आया तो
‘बालकिशन’1 ने ‘रामकिशन’2 से फ़रमाया कि,
‘महाराज भागने में ही भलाई है कयोंकि दिल्ली पुलिस जेल ले जाने आयी है’
ये सुनकर खुद ‘रामकिशन’ 12 फुट से कूदकर बदहवास सा चिल्लाया — ‘बचाओ बचाओ, घेर लो मुझे’
ये सुनकर एक भली महिला ने बाबा जी का भगवा उतारकर सलवार सूट पहनाया!
और उसे पहन बाबा जी ने जो दिल्ली से मैराथन लगाया तो खुद को सीधा हरिद्वार में पाया
और वहां से आप ने फ़रमाया कि ‘मेरी जान ख़तरे में है’
भय्या से सब ड्रामा देखकर हमें तो ‘करेंस्की’3 बहुत याद आया
दिल में आया कि पूछूँ इस आर्यपुरूष से कि,
‘हे परमवीर, हे महाधीर — ऐसा अखंड ब्रह्मतेज तुमने कहां से पाया?’
विश्वात्मा से कनेक्शन लगाकर या खुद देव गुरू ब्रहस्पति ने दिलवाया!
कुछ तो बतलाओ यार, कुछ तो टिप्स दो
दमन को झेलने का ऐसा हुनर, ऐसा माद्दा किसने तुम्हें सिखलाया?
सच सच कहना मेरे प्यारे – हिटलर ने बतलाया या मुसोलिनी ने शिशु मंदिर4 मे मंत्र रटवाया
इनके ‘परिवार’5 का सदा से यही रहा है हाल
लाल रंग पोत कर शहीद बनने का नाटक करते
और जब परीक्षा की विकट घड़ी निकट आती
तो सावरकर6 से लेकर सन 1975 की इमरजंसी7 तक
सब माफ़ीनामें लिखकर जेल से छूट आते!
ये सिलसिले और आगे बढ़े और योगी8 जी रो पड़े संसद में वह कहकर
जो बाबा जी अब कह रहे हैं कि —- ‘मेरी जान खतरे में है’
खाकी चड्डी में भला लाल रंग सा ओज कहाँ आ पाता है
मुश्किलों में पिछवाड़े के वाल्व से पवनमुक्तासन लगाकर
पेट का सारा शोर बाहर निकल जाता है!!!
कायर होते हैं सभी फ़ासिस्ट हिटलर की तरह
जो मरा अपने बंकर में चूहे की तरह
नही होता इनमें माद्दा भगत सिंह, आज़ाद9 सा
संकटों की आँधी में भी जो खड़ा रहता ‘स्तालिनी10 इस्पात’ सा
पीले बीमार विदीर्ण सूखे चमड़े से चेहरे लिये
ये नीच बस कर सकते हैं भीड़ में मासूमों की हत्या और बलात्कार
कहकर बाबू बजरंगी11 की तरह कि ‘मैंने महसूस किया शिवाजी और प्रताप सा’
कहो आर्यवीर गर्व से कहो कि तुम हिन्दु हो और से ये देश ‘हिन्दुस्थानं’12 है!
मै सुन रहा हूँ और तुम्हें देखकर मुस्करा रहा हूँ—यही सोच रहा था मैं
कि अचानक मेरे अर्न्तमन की नीरव नि: शब्दता टूटी इस शोर के साथ—–‘बाबा नही बवाल है, भ्रष्टाचार का काल है’
मैने खु़द से कहा
‘वाकई ये तो बवाल है,
फ़ालतू का’!!
नोट:
1 ‘बालकिशन’ -‘—ये बाबा रामदेव के शिष्य हैं जिन्होनें झूठे दस्तावेज़ देकर भारत का पासपोर्ट, पिस्टल, और एक राइफ़ल का लाइसेंस हथिया लिया।
2 बाबा रामदेव का असली नाम रामकिशन यादव है।
3 करेंस्की रूसी क्रांति के समय रूस का शासक था जो औरत का भेष बदल कर भाग गया था।
4 शिशु मंदिर—- संघ परिवार द्वारा संचालित स्कूल जहाँ बच्चों के दिमाग़ में बचपन से ही साम्प्रदायिकता का ज़हर घोला जाता है और जहाँ मुसोलिनी और हिटलर पैदा किये जा रहे हैं।
5 ‘परिवार’ अर्थात संघ परिवार।
6 सावरकर हिंदुत्ववादी विचारधार के समर्थक रहे और माफ़ीनामा लिखकर अंग्रज़ों की जेल से छूटे।
7 1975 की इमरजंसी —- 1975 में इंदिरा गाँधी ने इमरजंसी लगा दी थी।
8 योगी आदित्यनाथ — भाजपा के सांसद जो उत्तरप्रदेश में गुजरात जैसे प्रयोग कर रहे हैं।
9 आज़ाद— चंद्रशेखर आज़ाद।
10 स्तालिन — सोवियत संघ के नेता जिनके नेत्रत्व में 1924 से 1953 तक महान समाजवादी प्रयोग हुये और जिसके चलते पिछड़ा हुआ रूस एक शक्तिशाली आद्यौगिक शक्ति में तब्दील हो गया, स्तालिन के नेत्रत्व में ही सोवियत संघ ने फ़ासिस्ट जर्मनी को हराकर विश्व मानवता को उसके ख़तरनाक हैवानी चंगुल से बचाया था।
11 बाबू बजरंगी — ‘परिवार’ का कार्यकर्ता जिसने गुजरात दंगों में गर्भवती महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार करके उनके पेट चीर कर गर्भस्थ शिशु को तलवार की नोंक पर लहराकर कहा कि ऐसा करके मैनें महाराणा प्रताप और शिवाजी की तरह महसूस किया।
12 हिन्दुस्थानं —- हिन्दुस्तान को हिन्दुस्थानं संघ परिवार के गुरूजी ने बनाया है जो बिचारे पाणिनि से लेकर पतंजलि तक नही बना सके!!
लेखक युवा ब्लोगर हैं|संपर्क-<tarkvaageesh@gmail.com>