लखनऊ, 1 अक्टूबर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एससी-एसटी एक्ट को हल्का करने वाले अपने पुराने फैसले को मंगलवार को वापस ले लेने को जन आंदोलन की जीत बताया है।
पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने आज एक बयान में कहा कि ताजा फैसले से उक्त एक्ट की मूल रूप में बहाली के लिए डेढ़ साल पूर्व छेड़े गए आंदोलन के साथ अब जाकर कानूनी तौर पर न्याय हुआ है। इससे दलितों-आदिवासियों पर उत्पीड़न की एफआईआर बिना डीएसपी स्तर की जांच के दर्ज हो सकेगी और आरोपी की गिरफ्तारी भी बिना ऊपरी अनुमति के हो सकेगी।
उन्होंने कहा कि व्यापक जनहित में बने किसी प्रावधान का दुरुपयोग संबंधित प्रावधान को निष्क्रिय, हल्का या खत्म करने का आधार नहीं हो सकता।
माले नेता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की बड़ी बेंच द्वारा दिये गये बुद्धिमतापूर्ण फैसले के आलोक में केंद्र और प्रदेश सरकार पिछले साल दो अप्रैल को दलित और लोकतांत्रिक संगठनों द्वारा आहूत किये गये ‘भारत बंद’ आंदोलन में दलितों और बंद समर्थकों पर कायम किये गये मुकदमों को, जहां कहीं भी चल रहे हों, तत्काल प्रभाव से वापस ले लेना चाहिए।
SC’s fresh verdict on SC-ST ACT is victory of mass movement : CPI-ML
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