वे संघी हैं, हमारे पड़ोसी हैं। भले ही बंद दिमाग वाले हैं, किंतु बिना स्वार्थ के, पहले जनसंघ का फिर जनता पार्टी का और अब भाजपा का झंडा उठाये घूमते रहते हैं! उनसे मैंने जब इस बंपर जीत का कारण पूछा तो बोले- ”हम कांग्रेस को या जो भी हमारे उम्मीदवार के सामने हो, उसे कमजोर कभी नहीं समझते! हम …
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