(यह वह दौर था जब कौंसिल के चुनावों में लाला लाजपत राय ने कांग्रेस का साथ छोड़कर उसकी मुख़ालफ़त करनी आरम्भ कर दी थी और अनेक ऐसी बातें कहीं जो कि किसी भी तरह उन्हें शोभा नहीं देती थीं। यह देखकर कुछ संवेदनशील नौजवानों ने लाला जी के विरुद्ध आवाज़ उठाई। उसका बदला लेने के लिए लाला जी ने खुले …
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