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शिक्षा नीति बाजार के हस्तक्षेप से बनाई जा रही है : प्रो. अनिता रामपाल

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hastakshep
08 Jun 2022
शिक्षा नीति बाजार के हस्तक्षेप से बनाई जा रही है : प्रो. अनिता रामपाल

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आम लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए करनी होगी नई पहल

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स्वास्थ्य के कॉर्पोरेटाइजेशन से आम आदमी की पहुंच से दूर हो रही हैं स्वास्थ्य सेवाएं

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भोपाल, 08 जून 2022. 17वीं अखिल भारतीय जन विज्ञान कांग्रेस (17th All India People's Science Congress) में स्वास्थ्य, शिक्षा, निजीकरण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इसके साथ ही छोटे समूहों में विज्ञान एवं सामाजिक विकास से जुड़े विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।

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नई शिक्षा नीति में खामियां

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इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. अनिता रामपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में कई खामियां हैं, जो एक बड़े वर्ग को शिक्षा से वंचित कर सकती है। शिक्षा नीति बनाने और उसके क्रियान्वयन में बाजार का हस्तक्षेप है। भारत के शिक्षा मॉडल में बाजारीकरण की झलक मिलती है। सरकारी स्कूलों की इतनी श्रेणियां बना दी गई है, जो अपने आप में भेदभाव को दर्शाता है। इसी तरह वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर बात करते हुए साइंस डॉक्युमेंट्री निर्माता एवं वैज्ञानिक गौहर रजा ने कहा कि जरूरी नहीं कि जिन तक विज्ञान पहुंचे उन तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी पहुंचे। यह हमारी बड़ी जवाबदेही है कि इस वर्ग तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण पहुंचाया जाए।

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स्वास्थ्य पर बात करते हुए वरिष्ठ स्वास्थ्य कार्यकर्ता समीर गर्ग ने कहा कि आयुष्मान कार्ड जैसी योजना से निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को लाभ हो रहा है और सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा कमजोर हो रहा है।

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वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सत्यजीत रथ ने कहा कि महामारी या सामान्य समय में भी हम तक दवाइयों के पहुंचने के साथ-साथ इसकी जानकारियों का भी पहुंचना जरूरी है। जानकारी के अभाव में हम उन बातों को नहीं जान पाते, जिनकी वजह से हमारा स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।

विज्ञान कांग्रेस में कल चार विषयों स्वास्थ्य, शिक्षा, निजीकरण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर प्रो. अनिता रामपाल, प्रो. सुरोजीत मजूमदार, पूर्वा भारद्वाज, प्रो. आर. रामानुजन, प्रो. विनीता गोवडा, प्रो. डी. इंदुमती, मयंक वाहिया, गौहर रजा, किशोर चंद्र, विवेक मोंटेरियो, प्रो. सत्यजीत रथ, समीर गर्ग, इंदिरा चक्रवर्ती, वंदना प्रसाद, टी. सुंदररमन, दिनेश अब्रोल, अशोक धावले, डी. रघुनंदन, रामालिंगम ई., थॉमस फ्रैंको सहित देश के कई वरिष्ठ वैज्ञानिक, शिक्षाविद एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।

छोटी कार्यशालाओं में विभिन्न राज्यों से आए जमीनी कार्यकर्ता अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। शाम को विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न राज्यों के पुस्तकें एवं उत्पादों के स्टॉल लगाए गए हैं।

आंध्रप्रदेश के प्रतिभागियों ने अंधविश्वास एवं भ्रांतियों की वैज्ञानिक व्याख्या के लिए लाइव डेमो का स्टॉल लगाया है। “भारत का विचार’’ को लेकर विभिन्न महापुरुषों एवं वैज्ञानिकों के वक्तव्य के साथ वरिष्ठ चित्रकार मनोज कुलकर्णी की पेंटिंग प्रदर्शनी लगाई गई है।

आज 8 जून को पर्यावरण, कृषि, आजीविका, लैंगिक समानता जैसे विषयों पर सेमिनार एवं कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।

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