20 Indian soldiers were martyred and the Modi government, who entered into the house, kept silence
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लखनऊ, 17 जून 2020. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता और लोकमोर्चा के संयोजक अजीत सिंह यादव ने कहा है कि एलएसी पर 20 भारतीय जवान शहीद (20 Indian soldiers martyred on LAC) हो गए। सेना और मोदी सरकार ने चुप्पी साध ली। पहले 3 सैनिकों के मारे जाने की खबरें बाहर आईं, बाद में 17 और के मारे जाने की। पूरे 18 घंटे बाद देश को पता चल सका। हर बात पर बोलने वाले प्रधानमंत्री मोदी अभी तक मौन हैं।
उन्होंने कहा कि 43 चीनी सैनिकों के मारे जाने की ANI ने खबर चला दी। गोदी मीडिया को मसाला मिल गया हैडलाइन लगा दी गई - हमारे 20 सैनिक शहीद, चीन के 43 ढेर। लेकिन अभी तक ANI की 43 चीनी सैनिकों के मारे जाने की खबर की पुष्टि नहीं हुई है।
हमारे इतने सैनिक शहीद, हमने उतने मारे।
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श्री यादव ने कहा कि यह समझ और प्रचार युद्ध को महिमामंडित करने का प्रयास है। यह देशहित / देश की जनता के हित में नहीं है।
एक बयान में उन्होंने कहा कि पहली बात तो हमें यह समझ लेनी चाहिए कि चीन हो या कोई और पड़ोसी मुल्क सीमा विवाद का निपटारा युद्ध के जरिये संभव नहीं है। चाहे जितनी जनहानि हो जाये इतिहास गवाह है कि किसी भी युद्ध का अंत अंततः वार्ता व समझौते में ही होता है। इसलिए युद्ध समाधान नहीं खुद एक समस्या है। कोरोना काल में जब देश की जनता गंभीर संकटों का सामना कर रही है, अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। किसी भी स्तर का युद्ध पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रही आम जनता से कीमत वसूलेगा, जनता की जिंदगी को और अधिक परेशानियों में डालेगा। सीमा विवाद का इस स्तर तक पहुंच जाना जहां हमारे सैनिकों को अपने बहुमूल्य जीवन को कुर्बान करना पड़े, कूटनीतिक -राजनीतिक विफलता का परिणाम है। हमारे एक एक सैनिक की जान हमारे लिए कीमती है। भारत सरकार राजनयिक /कूटनीतिक तरीके से वर्तमान सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान करने में असफल रही है, जिसकी कीमत हमारे जवानों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है।
क्या अभी और सैनिकों की शहादत की खबरों का इंतजार कर रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी ?
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श्री यादव ने सवाल किया कि आखिर कितने सैनिक शहीद हो जाएं तब प्रधानमंत्री बोलेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अब चुप्पी तोड़नी चाहिए। क्या पीएम पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद(Border dispute with China in eastern Ladakh) के निपटारे की राजनयिक कूटनीतिक विफलता की जिम्मेदारी लेंगे ?