Advertisment

जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन का 27 साल का सफर और नतीजा सिफर

author-image
Guest writer
13 Jan 2022
सीओपी 26 की कसौटी : विशेषज्ञों की नजर में भारत की राह चुनौतीपूर्ण

COP26 (GLASGOW CLIMATE CHANGE CONFERENCE – OCTOBER-NOVEMBER 2021)

Advertisment

27 Years Journey of Climate Change Summit and Zero Result

Advertisment

सन् 1995 में शुरू हुए पहले जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (first climate change summit) से लेकर 2021 में  ग्लासगो में आयोजित COP26, अपने पिछले 27 सालों के सफर के बावजूद आज भी कामयाबी के मंजिल नामुमकिन नहीं तो दूर तो ज़रूर नजर आ रही है और दुनिया आज भी जलवायु परिवर्तन के चलते होने वाली ग्लोबल वार्मिंग की मार झेल रही है।

Advertisment

धरती गर्म क्यों हो रही है? | Why is the earth warming?

Advertisment

हालाँकि नवंबर 1990 में ही इंटरनेशनल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (international panel on climate change - IPCC) ने अपनी पहली मूल्यांकन रिपोर्ट जारी करते हुए यह कहा था कि 'मानव गतिविधियों से होने वाले उत्सर्जन वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैसों में काफ़ी इज़ाफ़ा कर रहे हैं' जिसकी वजह से हमारी धरती गर्म हो रही है।

Advertisment

यानी ग्लोबल वार्मिंग होनी की पुष्टि कर दी थी। दरअसल 1820-1840 से शुरू औद्योगिक क्रांति के बाद से विकास की तेज़ रफ़्तार पर सवार बीसवीं और इक्कीस्वीं सदी में वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में बेहिसाब बढ़ावा हुआ जिसने दुनिया को बेहद गर्म बना दिया।

Advertisment

Global warming caused by climate change

Advertisment

नतीजतन जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली ग्लोबल वार्मिंग के चलते कभी कड़ाके की ठण्ड तो कभी भीषण गर्मी फिर मूस्लदार बेवक्त लम्बी चली बारिश और बाढ़ का प्रकोप कुल मिलकर मौसम की बेरूखी का क़हर आज भी जारी है।

पहला जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन या कन्वेंशन ऑफ़ पार्टीज ( COP 1) की पहली बैठक मार्च/ अप्रेल 1995 के बीच बर्लिन, जर्मनी में हुई थी।

दूसरा जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन या कन्वेंशन ऑफ़ पार्टीज ( COP  2), जुलाई 1996 को जिनेवा, स्विटज़रलैंड में हुआ।

क्योटो प्रोटोकॉल क्या है?

तीसरा जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन या कन्वेंशन ऑफ़ पार्टीज ( COP 3) क्योटो, जापान में 11 दिसंबर 1997 को हुआ। इसमें ही संधि को आमतौर पर क्योटो प्रोटोकॉल के नाम से जाना जाता है।

चौथा जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन या कन्वेंशन ऑफ़ पार्टीज ( COP 4)नवंबर 1998 में ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में हुआ।

पांचवां जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन या कन्वेंशन ऑफ़ पार्टीज ( COP 5) नवंबर, 1999 को बॉन, जर्मनी में आयोजित हुआ।

छठा जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन या कन्वेंशन ऑफ़ पार्टीज ( COP 6) नवम्बर 2000 में हेग में आयोजित हुआ। इसका दूसरा सत्र जुलाई 2001 में बॉन में आयोजित हुआ।

सातवां जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन या कन्वेंशन ऑफ़ पार्टीज ( COP 7) मर्रकेश, मोररको में अक्टूबर/ नवम्बर 2001 में आयोजित हुआ।

आठवां जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (COP 8) नई दिल्ली में अक्टूबर 2002 में आयोजित हुई।

नवां जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन(COP 9) इटली के मिलन शहर में दिसम्बर 2003 में आयोजित हुई।

दसवां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 10) ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में दिसम्बर 2004 में आयोजित हुआ।

ग्यारहवां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन( COP 11) दिसम्बर 2005 में मोंट्रियल कनाडा में आयोजित हुआ।

बारहवां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन(COP 12) नवम्बर 2006 में नैरोबी केन्या में आयोजित हुआ।

तेरहवां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 13) दिसम्बर 2007 में बाली इंडोनेशिया में आयोजित हुआ।

चौदहवां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन( COP 14) दिसम्बर 2008 में पोलैंड के पोजनान शहर में आयोजित हुआ।

पन्द्रहवां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन(COP 15) दिसम्बर 2009 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में आयोजित हुआ।

कुल मिलाकर लेकिन COP 15 तक आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलनों से यह साफ़ ज़ाहिर हो गया था कि अगर दुनिया को बचाना है तो जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए कुछ निर्णायक कदम उठाने पड़ेंगे।

COP16 नवम्बर 2010 में मक्सिको के कानकुन शहर में आयोजित हुआ।

COP17 नवम्बर 2011 में दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में आयोजित हुआ।

COP18 नवम्बर 2012 में क़तर के दोहा शहर में आयोजित हुआ।

COP19 नवम्बर 2013 में वॉरसॉ, पोलैंड में आयोजित हुआ।

COP20 नवम्बर 2014 में लिमा, पेरू में आयोजित हुआ।

COP21- यह दिसंबर 2015 को पेरिस, फ्रांस में आयोजित हुआ। इसमें एक लम्बे सफर के बाद सभी देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयास में एक नई रूपरेखा पर एकमत होकर खुद अपने मर्जी से अपने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कटौती (cut greenhouse gas emissions) के लिए पेरिस समझौता अपनाया।

COP22 नवम्बर 2016 में मर्रकेश, मोररको में आयोजित हुआ।

COP23 नवम्बर 2017 में बॉन, जर्मनी में आयोजित हुआ।

COP24 दिसम्बर 2018 में कटोविस, पोलैंड में आयोजित हुआ।

COP25 दिसम्बर 2019 में मेड्रिड स्पेन में आयोजित हुआ।

COP26 नवम्‍बर 2021 में आयरलैंड के ग्‍लासगो में ब्रिटेन के तत्वाधान में इसे आयोजित किया गया।

इस मौके पर सभी देशों ने यह माना कि अगर उत्सर्जन का यही हाल रहा तो दुनिया का 3 डिग्री सेल्सियस से उपर गर्म हो जायेगी। यह सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि/ ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से ऊपर की सीमा में सीमित रखने के पेरिस समझौते के लक्ष्य को हासिल करने में फ़िलहाल नाकाम नजर आ रही है।

डॉ. सीमा जावेद

पर्यावरणविद, वरिष्ठ पत्रकार

और

जलवायु परिवर्तन की रणनीतिक संचारक

Seema Javed सीमा जावेद पर्यावरणविद, स्वतंत्र पत्रकार

Seema Javed सीमा जावेद

पर्यावरणविद, स्वतंत्र पत्रकार

Advertisment
सदस्यता लें