RSS-BJP कार्यकार्ताओं से एक गांधीवादी-समाजवादी की अपील – देश को बर्बाद और बदनाम न करो

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hastakshep
06 Mar 2020
RSS-BJP कार्यकार्ताओं से एक गांधीवादी-समाजवादी की अपील – देश को बर्बाद और बदनाम न करो

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भारतीय जनता पार्टी के कार्यकार्ताओं से एक गांधीवादी-समाजवादी की अपील

A Gandhian-Socialist appeal to Rashtriya Swayamsevak Sangh and Bharatiya Janata Party workers

भारतीय जनता पार्टी की सरकार (Bharatiya Janata Party government) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) लाकर देश में बवंडर खड़ा कर दिया है. देश का सामाजिक ताना-बाना तो तार-तार हो ही रहा है, देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और विदेशों में शायद भारत की कभी इतनी बदनामी नहीं हुई होगी.

देश में एक नागरिकता कानून था. संशोधन कर उसमें सिर्फ तीन देशों के छह धर्मावलम्बियों के लिए भारत की नागरिकता प्राप्त करना आसान बनाने की कोई ज़रूरत ही नहीं थी और न ही इसकी कोई मांग थी. उल्टे संदेश यह गया कि मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी और उन्हें हिरासत केंद्रों में रखा जायेगा.

मुस्लिम, खासकर औरतों ने सोचा कि जब हिरासत केंद्र जाना ही है तो पहले सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ ली जाये.

इस देश में अपने अपने मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन करने की परंपरा है. किन्तु किसी दूसरे के धरने में अव्यवस्था पैदा करने का मतलब है कि आप कमजोर हैं.

यदि भाजपा-संघ को नागरिकता संशोधन अधिनियम, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, राष्ट्रीय जनसँख्या रजिस्टर व हिरासत केंद्रों की नीति (Policy of National Population Register and Detention Centers) पर इतना ही भरोसा है तो इनके पक्ष में मुस्लिम महिलाओं के धरनों से बड़े धरने क्यों नहीं आयोजित करते?

संघ परिवार के लोगों ने हिन्दू जन मानस के अंदर यह भय बैठाया है कि एक दिन मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि दर ज्यादा होने के कारण उनकी सँख्या हिन्दुओं से ज्यादा हो जाएगी और तब इस देश में मुसलमानों का वर्चस्व होगा.

सच्चर समिति रिपोर्ट, जो देश में मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति का वैज्ञानिक अध्ययन है बताती है कि इस देश में मुसलमानों की जनसंख्या (Muslim population in India) 19% पर जाकर स्थिर हो जाएगी. जनसँख्या का ताल्लुक किसी धार्मिक समुदाय विशेष से नहीं होता बल्कि गरीबी से होता है. यह बात अन्य विकास अर्थशास्त्रियों के अलावाअसम के प्रोफेसर अब्दुल मन्नान ने भी कही है.

बांग्लादेश, जो एक मुस्लिम बहुसंख्यक देश है, ने अपने सामाजिक मानक, खासकर शिक्षा व स्वास्थ्य के, भारत से बेहतर कर अपनी जनसँख्या वृद्धि पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है.

सच्चर समिति की रिपोर्ट बताती है कि इस देश में मुसलमानों की स्थिति दलितों से थोड़ी ही बेहतर है. ज्यादातर मुस्लमान गरीब है और कारीगरी व मजदूरी का काम कर रहा है.

सिर्फ एक धर्म विशेष से होने के कारण हम किसी समुदाय को कटघरे में नहीं खड़ा कर सकते.

इस देश के आज़ादी के आंदोलन, निर्माण, अर्थव्यवस्था व अन्य क्षेत्रों में मुसलमानों का बहुमूल्य योगदान रहा है. हरेक समुदाय में कुछ अवांछनीय तत्त्व हो सकते हैं.

यदि सरकार को किसी को नागरिकता से वंचित करने का इतना ही शौक है तो वह विजय माल्ल्या व नीरव मोदी से क्यों नहीं शुरुआत करती है जो देश से करोड़ों रूपये लेकर भाग गए हैं? या फिर उन भ्रष्ट नेताओं व नौकरशाहों से जिन्होंने देश के बहुमूल्य संसाधनों को लूटा है? या फिर उनसे जो बलात्कार जैसे घिनौने अपराध करते हैं?

Swami Vivekananda also praised the bravery of Muslims

मुसलमानों की बहादुरी की तारीफ तो स्वामी विवेकानंद ने भी की है. स्वामी विवेकानंद ने सच्चे भारतीय की पहचान बताई है कि वो जिसके अंदर वेदांत की गहराई हो, इस्लाम की बहादुरी हो, ईसाई का सेवा भाव हो तथा बौद्ध की करुणा हो. बहादुर लोगों को तो हमारी फौजों में और सुरक्षा के कामों की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए. लेकिन यदि हम मुस्लमान की बहादुरी का देश के हित में इस्तेमाल करने के बजाये उनके अंदर असुरक्षा की भावना पैदा करेंगे तो इससे देश का नुक्सान ही होगा.

हमें याद रखना चाहिए कि भारत में आतंकवाद की समस्या का जन्म बाबरी मस्जिद के ध्वंस की प्रतिक्रिया में हुआ था.

संघ की राजनीति ने मुसलमानों को इस देश का सहयोगी बनाने के बजाये उन्हें इस देश के दुश्मन के रूप में पेश किया है. इससे देश का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है. बिना वजह हिन्दू-मुस्लमान के बीच वैमनस्य पैदा हो रहा है और दोनों समुदायों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं. अच्छे दिन के बजाये देश के विभाजन के समय के हालात पैदा कर दिए गए हैं.

यह कितने शर्म की बात है कि संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार संगठन के प्रमुख ने हमारे सर्वोच्च न्यायालय में अल्पसंख्यों के मानवाधिकार के बचाव के लिए याचिका दायर की है क्योंकि देश के विभिन्न संवैधानिक संस्थान तटस्थ होकर अपना काम नहीं कर रहे हैं.

शुरू में प्रधान मंत्री के बारे में कहा जा रहा था कि विदेशों में उन्होंने भारत का मान बढ़ाया किन्तु अब तो सारी दुनिया में भारत की बदनामी हो रही है और हम अपने पड़ोसियों का भी भरोसा खो रहे हैं यहाँ तक कि हिन्दू बहुसंख्यक देश नेपाल का भी. इससे आत्मघाती बात क्या हो सकती है?

India Pakistan Relations

भारत पाकिस्तान सम्बन्ध में पहली बार ऐसा हो रहा है कि पाकिस्तान दोस्ती करना चाह है और हम उसके लिए तैयार नहीं हैं.

इमरान खान ने करतारपुर गलियारा खोल दोनों तरफ सद्भावना का माहौल बनाया.

भाजपा को सोचना चाहिए कि सिर्फ नफरत और हिंसा से ही वोट बैंक नहीं खड़े किये जाते, दोस्ती और मोहब्बत भी आपके लिए जनाधार खड़ा कर सकता है. दुश्मन को खत्म करने का सबसे पुख्ता इंतज़ाम तो यही हो सकता है कि उसे दोस्त बना लो.

नरेंद्र मोदी नेहरू को गालियां देते हैं. लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि वे जिन सार्वजनिक उपक्रम की परिसंपत्तियां बेच रहे हैं वे ज्यादातर नेहरू की ही देन हैं.

संघ की एक इकाई हुआ करती थी 'स्वदेशी जागरण मंच', जिसके बारे में आजकल सुनने को नहीं मिलता. नरेंद्र मोदी देशी-विदेशी कंपनियों को देश के सार्वजनिक संसाधन बेच रहे हैं  और स्वदेशी जागरण मंच चुप है. क्या राज है?

क्या संघ परिवार के लिए सत्ता इतनी प्रिय है कि देश को नुकसान पहुंचा कर भी वे सत्ता से चिपके रहेंगे?

यह देश देख रहा है कि स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद उर्फ़ प्रोफेसर गुरु दास अग्रवाल की गंगा के मुद्दे पर 112 दिनों के अनशन के बाद 2018 में मौत हो गई. उन्होंने मौत से पहले नरेंद्र मोदी को 4 पत्र लिखे लेकिन जवाब एक का भी नहीं आया. हिन्दू हितों की बात करने वाली भाजपा-संघ ने स्वामी सानंद की जान बचाने की कोशिश भी नहीं की. यह कौन सी राजनीति है? कॉर्पोरेट हितों का संरक्षण करना और उनके अवैध पैसों से राजनीति करना क्या देश सेवा कहा जा सकता है?

इस देश को बचाने के लिए भाजपा-संघ को अपनी नीतियां बदलनी पड़ेंगी. फिलहाल तो उन्हें नागरिकता संशोधन अधिनियम को वापस लेकर यह सन्देश देना चाहिए कि हमारे संविधान व लोकतंत्र को कोई खतरा नहीं है.

संदीप पांडेय

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)

(लेखक मैग्सेसे पुरस्कार विजेता गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं।)

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