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सरकार अपनी जनता को बेसहारा नहीं छोड़ सकती - अखिलेन्द्र

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hastakshep
14 Dec 2020
आरएसएस-भाजपा के अधिनायकवादी प्रोजेक्ट पर अखिलेन्द्र प्रताप सिंह का महत्वपूर्ण लेख

Akhilendra Pratap Singh

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राजस्थान-हरियाणा बार्डर पर किसानों के धरने को किया सम्बोधित

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हिन्दुस्तान के इतिहास में नए किस्म का आंदोलन

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A new type of movement in the history of India

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राजस्थान-हरियाणा बार्डर, 14 दिसम्बर 2020  : कोई भी सरकार अपनी जनता को बेसहारा नहीं छोड़ सकती। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने किसानों की उपज की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी करे। इसके लिए उसे अपने बजट का महज ढाई से तीन लाख करोड़ रूपया खर्च करना होगा। लेकिन अम्बानी और अडानी की सेवा में लगी मोदी सरकार इस न्यूनतम काम को भी नहीं कर रही है। आज किसान विरोधी तीनों कानून की वापसी, एमएसपी पर कानून और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करने की मांग जनता की मांग बन गई है। इसलिए सरकार को किसानों को बदनाम करने, उनके खिलाफ दुष्प्रचार चलाने और उनका दमन करने की जगह इन मांगों को पूरा करना चाहिए।

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यह बातें राजस्थान-हरियाणा बार्डर पर जयसिंहपुर खेडा में किसानों के आयोजित धरने में गुजरात, राजस्थान व हरियाणा के किसानों को सम्बोधित करते हुए स्वराज अभियान के नेता अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहीं।

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अखिलेन्द्र के साथ स्वराज इंडिया अध्यक्ष योगेन्द्र यादव और पूर्व विधायक व अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरा राम ने भी सभा को सम्बोधित किया।  

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अखिलेन्द्र ने कहा कि हिन्दुस्तान के इतिहास में किसानों का यह आंदोलन एक नए किस्म का आंदोलन है, जो किसान विरोधी काले कानूनों के खात्मे के साथ मजदूर विरोधी लेबर कोड समेत राजद्रोह, यूएपीए, एनएसए जैसे सभी काले कानूनों के विरूद्ध भी आवाज उठा रहा है। इस आंदोलन ने सरकार की कारपोरेटपरस्त नीतियों और चरित्र को उजागर कर दिया है। यह आंदोलन देश में राजनीति की दिशा को बदलने का काम करेगा।

उत्तर प्रदेश के बारे में बोलते हुए अखिलेन्द्र ने कहा कि प्रदेश में धान की एमएसपी पर सरकारी खरीद न होने से किसान बेहद परेशान है। खरीद के डेढ महीने हो गए हैं लेकिन कभी बोरे के अभाव में और कभी नमी ज्यादा दिखाकर किसानों से सरकारी खरीद नहीं की गई। पूरे प्रदेश में किसानों को 7-8 रूपए किलो में धान बाजार में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हालत इतनी बुरी है कि हाईब्रिड धान तो न सरकारी क्रय केन्द्र पर लिया जा रहा है और न ही बाजार में खरीदा जा रहा है। वहीं योगी सरकार जनता के मूल सवालों को हल करने की जगह महज वोट बैंक के लिए एक समुदाय के खिलाफ दूसरे को लड़ाने में लगी हुई है। उत्तर प्रदेश का किसान भी किसानों के जारी आंदोलन के साथ है।

एआईपीएफ, स्वराज इंडिया और मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने आज उत्तर प्रदेश व बिहार के कई जिलों में प्रदर्शन कर अपना समर्थन व्यक्त किया है। कल अखिलेन्द्र सिंघू  बार्डर और टिकरी बार्डर पर जाकर आंदोलनरत किसानों को अपना समर्थन देंगे।  





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