सब झूठे हैं,
पैर के छाले सच्चे हैं,
जो दिन, तूने लाया भैया ,
वो दिन ,कितने अच्छे है ।
सब झूठे हैं………
तेरी तरक्की ने है ,
कितने जख्म दिये,
रोज़ी रोटी नींद सकूं ,
सब दफ़न किये।
झूठ फरेबी मुस्कानों के
क़दम क़दम पर गच्चे हैं।
सब झूठे……..
तपेंद्र प्रसाद, लेखक अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी व पूर्व कैबिनेट मंत्री व सम्यक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
हम भी भारत जन हैं ,
लेकिन ,
सड़कों पर लावारिस हैं ।
भूख हताशा लाठी डंडे
औ गाली की बारिस है ।
क़दम क़दम पर मौत खड़ी है ,
व्याकुल बीबी बच्चे हैं।
सब झूठे………….
नोट - हम किसी भी राजनीतिक दल या समूह से संबद्ध नहीं हैं। हमारा कोई कॉरपोरेट, राजनीतिक दल, एनजीओ, कोई जिंदाबाद-मुर्दाबाद ट्रस्ट या बौद्धिक समूह स्पाँसर नहीं है, लेकिन हम निष्पक्ष या तटस्थ नहीं हैं। हम जनता के पैरोकार हैं। हम अपनी विचारधारा पर किसी भी प्रकार के दबाव को स्वीकार नहीं करते हैं। इसलिए, यदि आप हमारी आर्थिक मदद करते हैं, तो हम उसके बदले में किसी भी तरह के दबाव को स्वीकार नहीं करेंगे।OR
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