/hastakshep-prod/media/post_banners/SCugxTRA8bR73wOdyNWB.jpg)
Air pollution situation worrisome in Banaras
बनारस में वायु प्रदूषण के हालात चिंताजनक, नीति नहीं नियत में खोट
ज़िला प्रशासन सक्रिय हो नहीं तो हमारे फेफड़े निष्क्रिय हो जाएंगे
वाराणसी 25 जनवरी 2020. भारत के अधिकांश बड़े शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर चिंताजनक रूप से गिर चुका है. उनमें भी अपने शहर बनारस की हवा साँस लेने लायक भी नहीं बची है. हाल ही में प्रकाशित मीडिया खबरों में वाराणसी सब से प्रदूषित नगरों में से एक रहा है. वायु प्रदूषण की गंभीरता को समझते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश पर केंद्र सरकार नेशनल क्लीन एयर एक्शन प्लान- National Clean Air Action Plan (NCAP) जारी किया और इसी तर्ज पर राज्य प्रदूषण बोर्डों ने भी शहरों को चिन्हित कर शहर विशेष प्लान बनाए हैं. चिन्हित शहरों की सूची में वाराणसी भी शामिल है. शहर में वायु प्रदूषण की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. कोढ़ में खाज का काम, गड्ढे व धूल से भरी सड़कें, बेतरतीब निर्माण काम, सुचारू पब्लिक यातायात व्यवस्था का अभाव आदि कर रहे हैं. 180 दिनों में सड़कें दुरुस्त करने का वादा करने के बावजूद आज गड्ढों में सड़क रह गयी है ये प्रतीत होता है. प्रदूषित आबोहवा से शहर में दमा रोगियों की कतारें अस्पतालों-क्लीनिकों में लगातार लंबी होती जा रही है. वाराणसी के लिए बनाये गए एक्शन प्लान के तहत जिला अधिकारी के नेतृत्व में 6 सदस्यों की एक पैनल गठित की गयी है.
क्लाइमेट एजेंडा की ओर से आयोजित आज के विमर्श कार्यक्रम सिटी कनसल्टेशन, में वाराणसी के स्वच्छ वायु एक्शन प्लान, वायु प्रदूषण कम करने लिए 6 महीने पहले जारी 10 करोड़ रूपये आदि की जानकारी स्लाइड शो के माध्यम से आमंत्रित मेहमानों को साझा की गयी।
मेहमानों में विश्वविद्यालय छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, पत्रकार, चिकित्सक आदि लगभग हर सामाजिक समुदाय के नागरिक थें. आपसी बातचीत में यह तय हुआ कि जिला प्रशासन से आवंटित धन राशि का प्रदूषण नियंत्रण में क्या इस्तेमाल किया गया इस बाबत जानकारी मांगी जाएगी और अगर प्रशासन बढ़ते वायु प्रदूषण स्तर की संजीदगी को नहीं समझ पा रहा है तो क्लाइमेट एजेंडा इन नागरिक जनों के साथ सड़क पर आंदोलन करने को मजबूर होगा.
विमर्श के दौरान प्रवीन जी ने ध्यान दिलाया कि खुले नाले व मेटल के कारखानों से होने वाले प्रदूषण को विशेष रूप से इंगित किया जाए।
एक अन्य वक्ता ने जोड़ा कि बनारस में सिल्क निकालने के दौरान जो प्रदूषण हो रहा है उसकी अनदेखी भी नहीं की जा सकती।
शिवदास जी ने प्रदूषण और स्वास्थ्य को जोड़ते हुए वायु प्रदूषण को टीवी और दमा जैसी बीमारियों का कारण बताया। साथ ही कहा कि निर्माण और खनन में लगे मजदूरों पर वायु प्रदूषण के पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन भी होना चाहिए।
फादर आनंद ने फुटपाथों किनारे घास लगाने का आग्रह किया।
शशांक ने कानूनी पक्ष जोड़ते हुए हर जिले में अलग से पर्यावरण अधिकारी की मांग की।
अपने समापन भाषण में वल्लभ जी ने पर्यावरण आयोग की अत्यंत आवश्यक बताया। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को रीसायकल करने की एक समग्र नीति की जरूरत साथ ही सरकारी आंकड़ों की सोशल ऑडिट कवायद को आवश्यक बताया।
सभा का संचालन क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने किया।
स्लाइड माध्यम से स्थानीय एक्शन प्लान समझाने का काम सानिया अनवर ने किया। साथ वल्लभाचार्य पांडेय, फ़ादर दिलराज, विद्यापीठ छात्र नेता ऋषभ पांडेय, आई ई एस डी से , नीति भाई, नंदलाल मास्टर, मूसा भाई, अजित सिंह, राम जनम, प्रवीण दुबे, शशांक, एडवोकेट राजेश, ओम, शिवदास, निराला, आदि उपस्थित रहे.