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मुश्किल में संघ का ड्रीम प्रोजेक्ट, सीएए का विरोध कर रहे लोगों के समर्थन में आया अकाल तख्त

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hastakshep
15 Feb 2020
संघ-भाजपा का नागरिकता कानून हिंदू धर्म का दुश्मन है

Akal Takht came in support of people opposing CAA

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चंडीगढ़, 15 फरवरी 2020. सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त (Akal Takht, the highest institution of Sikhism) ने नागरिकता संशोधन कानून -Citizenship amendment act (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मुस्लिम समूहों को अपना समर्थन दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तख्त के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि अकाल तख्त के प्रमुख ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अमृतसर में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख जफरुल इस्लाम खान के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और समर्थन देने का आश्वासन दिया।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने मुलाकात करने वाले मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल से कहा कि अल्पसंख्यकों में असुरक्षा और डर की भावना है और सिख उत्पीड़ित लोगों के साथ खड़ा होने के लिए बाध्य हैं।

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उन्होंने सीएए और एनआरसी को लेकर मुस्लिम और अन्य के साथ खड़े होने को लेकर सिखों का शुक्रिया अदा किया।

तख्त के प्रमुख ने कथित तौर पर कहा कि उन्हें अन्य मुस्लिम समूहों की तरफ से भी समर्थन करने को लेकर अनुरोध किया गया है।

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के सुप्रीमो और पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल ने भी दो दिन पहले कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि जो लोग केंद्र एवं राज्य में सत्ता में हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश का संचालन संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक आचार के हिसाब से किया जाना चाहिए।

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अमृतसर के पास ही एक रैली को संबोधित करते हुए बादल ने देश के सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त की थी।

उन्होंने कहा था,

"धर्मनिरपेक्षता के पवित्र सिद्धांतों से छेड़छाड़ सिर्फ हमारे देश को कमजोर करेगी। सत्ता में बैठे लोगों को एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में भारत की रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा के लिए एकजुट होकर अथक प्रयास करना चाहिए।"

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उन्होंने आगे कहा,

"यह विरासत हमें हमारे महान गुरुओं, संतों और ऋषियों से मिली है और हमें इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना होगा।"

बादल ने एक भावनात्मक प्रहार करते हुए कहा कि सरकार और राजनीतिक दलों को हिंदू-मुस्लिमों के साथ ही अन्य को भी प्यार और समझ के साथ एकजुट करने की दिशा में काम करना चाहिए।

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केरल के बाद पंजाब ऐसा राज्य है, जिसने सीएए के खिलाफ जनवरी में एक प्रस्ताव पारित किया था।

कांग्रेस शासित सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया था, जिसका मुख्य विपक्षी दल आप ने समर्थन किया था। लेकिन राज्य में भाजपा के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने प्रस्ताव का विरोध किया था। हालांकि उसने सीएए में मुस्लिम को शामिल न किए जाने का विरोध किया।

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि सीएए के मुद्दे ने देश को झकझोर कर रख दिया है।

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