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Akhilesh Yadav is getting involved in the organization along with the family!
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party President Akhilesh Yadav) की एक ओर जहां भाजपा घेराबंदी कर रही है वहीं वह अब अपने ही लोगों से घिरते जा रहे हैं। मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव, उनके भाई और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव के बाद अब आजम खां के समर्थकों ने अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
तानाशाह और घमंडी नेता की छवि बनती जा रही है अखिलेश यादव की
कभी मुलायम सिंह यादव का दाहिना हाथ माने जाने वाले आजम खां के समर्थक अखिलेश यादव पर आक्रामक हो रहे हैं। आजम खां के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान उर्फ शानू ने अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए कहा है कि अब तो अखिलेश यादव को उनके कपड़ों में भी बदबू आती है। उनका कहना है कि हम लोगों ने न केवल मुलायम सिंह यादव बल्कि अखिलेश यादव को भी मुख्यमंत्री बनाया। हम ही लोगों की वजह से ही विधानसभा में इस बार सपा की 111 सीटें मिली हैं।
फसाहत अली खान ने कहा है कि अखिलेश यादव को अपने बजाय मो. आजम खां को प्रतिपक्ष नेता बनाना चाहिए था।
उन्होंने अखिलेश यादव पर आजम खां को जेल से छुड़ाने का प्रयास न करने का आरोप लगाया है। फसाहत ने तो यहां तक कह दिया कि दरी भी अब्दुल बिछाएगा, वोट भी अब्दुल जुटाएगा और जेल भी अब्दुल जाएगा।
वैसे भी मुलायम सिंह यादव के राजनीति से निष्क्रिय होने के बाद अखिलेश यादव की छवि पार्टी में एक तानाशाह और घमंडी नेता की बनती जा रही है।
आजम खान समर्थकों में अखिलेश यादव को लेकर गुस्सा क्यों है?
दरअसल आजकल आजम खान जेल में बंद हैं। आजम खान समर्थकों को इस बात का गुस्सा है कि समाजवादी पार्टी की ओर से आजम खां की रिहाई को लेकर कोई बड़ा आंदोलन नहीं हुआ है। आजम खान के समर्थकों को लगता है कि एक रणनीति के तहत सपा में आजम खां की पैरवी करने से बचा जा रहा है।
लोगों का तो यहां तक कहना है कि दिल्ली में सपा के मुख्य महासचिव राम गोपाल यादव और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच एक गुप्त समझौता हुआ है, जिसमें नोएडा यादव सिंह प्रकरण में यादव परिवार के बचाव के लिए आजम खां के पक्ष में सड़कों पर उतरने से सपा को बचना है। यही वजह है कि मुलायम सिंह यादव के कहने के बावजूद सपा कार्यकर्ता आजम खां के समर्थन में सड़कों पर नहीं उतरे थे।
सपा में कार्यकर्ता इसलिए भी मो. आजम खां के समर्थन में आंदोलन करने से बचते हैं क्योंकि उनको लगता है कि अखिलेश यादव उनके पक्ष में कोई आंदोलन नहीं करना चाहते हैं।
आजम खां के समर्थक इसलिए भी अखिलेश यादव से खफा हैं क्योंकि अखिलेश यादव ने आजम खां और उनके बेटे के अलावा किसी और आजम खां के समर्थक को टिकट नहीं दिया। बताया जाता है कि आजम खां ने अपने और अपने बेटे के अलावा भी कई टिकट मांगे थे।
अपर्णा यादव और शिवपाल सिंह यादव के बाद अब आजम खां के समर्थकों का सपा से बगावत करना परिवार के साथ ही संगठन में भी फूट के रूप में देखा जा रहा है।
दरअसल उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटबैंक सपा के पक्ष में माना जाता है। गत विधानसभा चुनाव में तो भाजपा के ओवैसी को लगाने के बावजूद मुस्लिमों ने लामबंद होकर सपा को समर्थन दिया है।
आजम कैंप की बगावत से बढ़ गई हैं अखिलेश यादव की मुश्किलें
दरअसल समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार आजम खान मुलायम सिंह यादव के खास सिपहसालार माने जाते रहे हैं। सपा की पूर्ववर्ती सरकार का मुस्लिम चेहरा रहे आजम की गिनती टॉप के नेताओं में की जाती थी। लेकिन आजम के खेमे की तरफ से सपा के खिलाफ ही बगावत से अखिलेश यादव की मुश्किलें और बढ़ गई है।
बताया जा रहा है कि जेल में बंद आजम खान ने अखिलेश की सलाह पर वैक्सीन नहीं लगवाकर बड़ा रिस्क लिया, ऐसे में अखिलेश यादव ने आजम खान के पक्ष में क्या किया ?
दरअसल रामपुर जिले के समाजवादी पार्टी कार्यालय में रविवार को जनसमस्याओं को लेकर एक बैठक चल रही थी। इसी बीच फसाहत अली शानू ने बातों ही बातों में सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पर निशाना साधना शुरू कर दिया।
दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस बार 34 मुस्लिम विधायक हैं। सभी चुने गये विधायक समाजवादी पार्टी गठबंधन के हैं। इस बार सपा से जीतने वाले विधायकों में अमरोहा से महबूब अली, बहेड़ी से अता उर रहमान, बेहट से उमर अली खान, भदोही से जाहिद, भोजीपुरा से शहजिल इस्लाम, बिलारी से मो. फहीम, चमरौआ से नसीर अहमद, गोपालपुर से नफीस अहमद, इसौली से मो. ताहिर खान शामिल हैं। वहीं, कैराना से नाहिद हसन, कानपुर कैंट से मो. हसन, कांठ से कमाल अख्तर, किठौर से शाहिद मंजूर, कुंदरकी से जिया उर रहमान, लखनऊ पश्चिम से अरमान खान, मटेरा से मारिया, मेरठ से रफीक अंसारी, मोहमदाबाद से सुहेब उर्फ मन्नू अंसारी, मुरादाबाद ग्रामीण से मो. नासिर हैं।
इसके अलावा, नजीबाबाद से तस्लीम अहमद, निजामाबाद से आलम बदी, पटियाली से नादिरा सुल्तान, राम नगर से फरीद महफूज किदवई, रामपुर से मो. आजम खान, संभल से इकबाल महमूद, सिकंदरपुर से जिया उद्दीन रिजवी, सीसामऊ से हाजी इरफान सोलंकी, स्वार से मो. अब्दुल्ला आजम, ठाकुरद्वारा से नवाब जान, डुमरियागंज से सैय्यदा खातून, सहारनपुर से आशु मलिक भी सपा से विधायक चुने गए हैं।
आजम खां की वजह से मुस्लिम सपा का वोट बैंक है
समाजवादी पार्टी में मुस्लिम वोट बैंक आजम खां की वजह से माना जाता है। आजम खां समर्थकों को लगता है कि मुस्लिम आंख मूंदकर सपा को वोट करते हैं पर अखिलेश यादव को मुस्लिम नेता आजम खां की कोई परवाह नहीं हैं। मुस्लिम वोटबैंक को अपने पक्ष में करने के लिए असदुद्दीन ओवैसी जेल में आजम खां से मिले थे। हालांकि मुस्लिमों ने ओवैसी को वोट न देकर अखिलेश यादव को दिया।
दरअसल आजम खान 1980 से ही रामपुर से चुनाव जीतते आ रहे हैं। बीच में 1996 में ही एक बार उन्हें कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। समाजवादी पार्टी की तरफ से 2009 में उन्हें 6 वर्ष के लिए निकाल दिया गया था। हालांकि एक साल बाद ही निलंबन रद्द कर उन्हें वापस ले लिया गया।
इसी बीच संभल से सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने भी सपा के मुस्लिमों के हित में काम नहीं करने का आरोप लगा दिया है। ऐसे में आजम के नए राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं।
चरण सिंह राजपूत
लेखक वरिष्ठ पत्रकार व स्वतंत्र टिप्णीकार हैं।