Akhilesh Yadav's socialism has turned into capitalism
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नई दिल्ली, 27 मई 2022. भारतीय सोशलिस्ट मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता चरण सिंह राजपूत ने कहा है कि आज यदि देश में अराजकता बढ़ी है। भाजपा अपने नापाक मंसूबों में कामयाब हो रही है तो इसकी बड़ी वजह है कि समाजवाद के नाम पर राजनीति कर रहे जिम्मेदार नेता अपने पथ से भटक गए हैं। संघर्ष के नाम पर मैनेज की राजनीति कर रहे हैं। संघर्ष के लिए जाने जाने वाले समाजवादी वातानुकूलित कमरों के आदि हो गए हैं। यह भी कह सकते हैं कि इनका समाजवाद पूंजीवाद में बदल गया है।
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आज यहां जारी एक विज्ञप्ति में श्री राजपूत ने कहा कि देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तो गजब की राजनीति कर रहे हैं। पांच साल तक एक भी बड़ा आंदोलन न करने वाले अखिलेश यादव को इस बात की टीस है कि उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार न बन पाई। भले ही पार्टी में संगठन नाम की कोई चीज न हो पर इनकी सरकार बननी चाहिए थी। भले ही कार्यकर्ताओं को वह अपना गुलाम समझते हों पर उन्हें ईवीएम ने हराया है।
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उन्होंने कहा कि संघर्ष और आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध सपा को भले ही अखिलेश यादव ने दूसरी बसपा बना दिया हो पर उनकी सरकार बननी चाहिए थी। यदि अखिलेश यादव थोड़ी भी जमीनी राजनीति कर रहे होते तो उन पर ओमप्रकाश राजभर की वातानुकूलित कमरों से बाहर निकलने की नसीहत काम जरूर करती।
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सोशलिस्ट नेता ने कहा कि अपने को चाणक्य समझने वाले अखिलेश ने न केवल कांग्रेस बल्कि बसपा और रालोद से भी हाथ मिलाया, पर पार्टी और समाजवाद का कुछ भला न कर सके। सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां को भाजपा परेशान करती रही और अखिलेश यादव चुप्पी साधे रहे। अखिलेश यादव ने आजम खां के पक्ष में भले ही एक आंदोलन भी न किया हो पर निजी स्वार्थ के चलते कपिल सिब्बल को राज्य सभा भेजकर आजम खां के हितैषी बन रहे हैं। कपिल सिब्बल और जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजकर हो सकता है कि अखिलेश यादव का कुछ भला हो जाये पर इन नेताओं पर अखिलेश यादव की मेहरबानी से सपा और समाजवाद को नुकसान ही होगा।
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उन्होंने कहा कि समाजवाद के नाम पर परिवारवाद और वंशवाद को बढ़ावा देने वाले नेताओं ने समाजवाद का बहुत नुकसान किया है। आज की भाजपा का मुकाबला करना अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, तेजस्वी यादव, जयंत चौधरी के अलावा दूसरे वंशवाद के नाम पर स्थापित हुए नेताओं के बस की बात नहीं है। अब देश को लोहिया, जेपी, आचार्य नरेन्द्र देव, कर्पूरी ठाकुर, चन्द्रशेखर जैसे समर्पित, निष्ठावान और संघर्षशील समाजवादियों की जरूरत है। आज के युवा समाजवादियों को अपनी गर्दन बचा रहे नेताओं की गुलामी छोड़कर अपना वजूद बनाना चाहिए। संघर्ष का रास्ता अपनाकर देश को नया विकल्प देने की ओर अग्रसर होना चाहिए।