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All the three agricultural bills passed in the Lok Sabha by the government are anti extremely farmers and anti poor - Dr. Rakesh Singh Rana
हाथरस, 19 सितंबर 2020. समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी व लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राकेश सिंह राना (Dr. Rakesh Singh Rana, former MLC of Samajwadi Party and former President of Lucknow University Students Union) ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पारित तीनों कृषि विधेयक घोर किसान व गरीब विरोधी हैं।
श्री राना आज जिला हाथरस की विधानसभा क्षेत्र सिकंदराराऊ के ग्राम मूढ़ा नौजरपुर में किसानों से उनके गाँव व व्यक्तिगत समस्याओं को लेकर चर्चा कर रहे थे।
किसानों ने श्री राना से बातचीत में इस बात पर रोष जाहिर किया कि वर्तमान समय में मक्का, धान, बाजरा आदि के बिक्री मूल्य में भारी गिरावट आई है व प्रदेश सरकार खाद उपलब्ध कराने में भी असमर्थ रही।
तीनों कृषि विधेयकों की चर्चा करते हुए डॉ. राना ने कहा कि पहले विधेयक में मंडी की सीमा समाप्त कर खुला बाजार नीति को लागू कर न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त करने की योजना केंद्र सरकार की है। दूसरे विधेयक में अनुबंध खेती या कारपोरेट खेती को नियमानुसार करने के कारण छोटे किसान जब कंपनी से अनुबंध करेंगे और यदि किसान व कंपनी के बीच उचित मूल्य ना मिलने व किसी अन्य बिन्दु पर विवाद हुआ, तब विवाद का निपटारा एसडीएम कोर्ट में होगा, जिसमें ज्यादातर मामलों में एसडीएम कंपनी का ही पक्ष लेगा ना कि गरीब किसान का। तीसरा विधेयक आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक नाम से पारित हुआ, जिसमें अनाज, आलू, प्याज व तिलहन को आवश्यक वस्तु से बाहर कर दिया गया है, जिसके कारण उद्योगपतियों की कंपनियों को जमाखोरी की खुली छूट मिल जाएगी, इस जमाखोरी से महंगाई बढ़ेगी व गरीब भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएगा।
उन्होंने कहा कि तीनों विधेयक पास करके केंद्र सरकार जो किसान विरोधी कानून बनाने जा रही है वह अमेरिका में लगभग 50 वर्षों से लागू है। अमेरिका में किसान को औसतन 7000 डॉलर की सब्सिडी प्रतिवर्ष दी जाती है जबकि भारत में यह मात्र 200 डॉलर प्रतिवर्ष है।
उन्होंने कहा कि इन किसान विरोधी कानूनों के कारण अमेरिका में किसानों की आत्महत्या में 45% की वृद्धि हुई है और वालमार्ट जैसी कंपनियां अमेरिका से बढ़कर विश्वव्यापी कंपनियां हो गई हैं। यह विधेयक अमेरिका जैसे सक्षम देश में लगभग 50 वर्षो से लागू है और जब यह कानून वहां के किसानों का उद्धार नहीं कर पाए तो आप इन कानूनों से भारत के किसानों के उद्धार की उम्मीद कैसे रख सकते हैं?
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