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An increase in cholesterol also increases the risk of heart diseases
नई दिल्ली – दिल का मामला ऐसा है जो तमाम उम्र इंसान के लिए परेशानी का कारण बन जाता है. जवानी की आहट सुनाई देते ही दिल के लेने-देने, टूटने-जुडने का सिलसिला तक जारी रहता है. लेकिन अधेड़ावस्था आयी नहीं कि दिल को लेकर एक नई समस्या सामने आ जाती है. जवानी में गुजारे गये अनियमित जीवन और तमाम दूसरे कारणों से रक्त दबाव बढ़ता है, कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि (Increase cholesterol) होती है जिसकी वजह से दिल की बीमारियों का खतरा (Risk of heart diseases) बढ़ जाता है. दिल की बीमारियों तथा पक्षाघात का आतंक तो रक्त दबाव को अपने आप बढ़ा देता है. जैसे-जैसे हमारे आस पास प्रदूषण तथा तनाव बढ़ा है वैसे-वैसे दिल की बीमारियों में भी इजाफा होता चला गया है.
सिबिया मेडिकल सेंटर के निदेशक डॉ. एस.एस. सिबिया का कहना है कि कई वर्षों से आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में इस बात को लेकर अनुसंधान हो रहे थे कि दिल की इलाज करने के लिए ऐसा कुछ उपाय खोजा जाये जिसमें चीड़-फाड़ यानी सर्जरी की जरूरत न पड़े. आखिरकार इस मुहिम में सफलता मिली और दिल की रक्त नलिकाओं को फैलाने का एक सर्जरी रहित तथा बिना किसी तरह के खतरे वाले इलाज की खोज कर ही ली गयी ताकि वे समानान्तर रूप से कार्य कर सकें.
Heart bypass without surgery
डॉ. एस.एस. सिबिया ने एक विज्ञप्ति में बताया कि जल्दी विश्वास नहीं होता लेकिन आज ऐसा संभव है जब बिना सर्जरी के ही हृदय का बाईपास हो जाये और इस दौरान नियमित रूप से जीवन की सामान्य गतिविधियों को जारी रखा जायें, सामाजिक जीवन में किसी तरह का खलल न पड़े और काई भी काम प्रभावित नहीं होने पाये.
Method to eliminate the blockage in the arteries without surgery
उन्होंने बताया कि सभी दिल के मरीजों के इलाज के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं होती है. उनके लिए भी नहीं जिन्हें दिल का दौरा पड़ चुका हो. वास्तव में बाई पास सर्जरी उस स्थिति में कामयाब नहीं हो सकती अगर पर्याप्त मात्रा में समानान्तर प्रवाह नहीं है. लेकिन अब डॉक्टरों के पास एक्सटर्नल काउंटर पल्सेशन (ईसीपी) - External counter pulsation (ecp) के रूप में इलाज की एक ऐसी विधि आ गई है जो बिना सर्जरी के धमनियों में आ गयी रूकावट को खत्म करते हुए रक्त के संचार को चालू कर सकती है. यह ईसीपी इलाज समानान्तर संचार को पुनर्स्थापित कर सकता है. मजे के साथ अचरज की बात यह है कि मरीज काम पर जाने से पहले, भोजनावकाश के दौरान, ऑफिस खत्म होने के बाद या फिर रात के वक्त भी अपना इलाज करवा सकता है. ईसीपी इलाज के तहत मरीज के बांहों, जांघों तथा नितंबों पर बड़े आकार के कफों का जोड़ा जाता है जिनमें मशीन की क्षमता बढ़ाने के लिए आठ प्रेशर प्वाइंट होते हैं.
डॉ. एस.एस. सिबिया के अनुसार आज के लिए ईसीपी ह्रदय रोग से पीडित उन करोड़ों हिन्दुस्तानियों के सामने एकमात्र विकल्प है जो कि या तो आर्थिक कारणों से या सर्जरी से जुड़े हुए खतरे की वजह से या फिर मधुमेह, अस्थमा, गुर्दे की बीमारी या पक्षाघात से पीड़ित होने के कारण बाई पास सर्जरी नहीं करवा पा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि निश्चित रूप से ईसीपी दिल की बीमारियों को किसी विवशता की वजह से ढो रहे मरीजों के लिए एक वरदान बन कर ही आया है. दरअसल ईसीपी के जरिए ह्रदय के अंदर छुपी हुई उन निष्क्रिय धमनियों को भी साफ किया जा सकेगा, जिसकी वजह से अब तक मरीजों की मौत होती रही है. चिकित्सा पद्धति कम खर्च पर मरीजों का सफलतापूर्वक उपचार कर रही है और भारत जैसे देश में इस का सफलता पूर्वक कार्य करना निश्चित रूप से एक अच्छे भविष्य का संकेत दे सकता है.