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उन्नाव की आंगनबाड़ी कामिनी निगम को मिले 50 लाख मुआवजा-दिनकर
आंगनबाड़ियों के कोविड-19 के कार्य पर लगे रोक
वर्कर्स फ्रंट ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज उठाई मांग
लखनऊ, 20 जुलाई 2020, उन्नाव जनपद में कार्यरत आंगनबाड़ी कामिनी निगम की कोरोना संक्रमण और इलाज की सुविधा न मिलने के कारण हुई मृत्यु (Anganwadi Kamini Nigam working in Unnao district died due to corona infection and lack of treatment facility) पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजक उनके आश्रितों को शासनादेश के अनुसार 50 लाख रूपए मुआवजा देने की मांग की है।
पत्र में वर्कर्स फ्रंट ने सीएम के संज्ञान में लाया कि कोरोना महामारी में सरकार के आदेश के तहत आंगनबाड़ी कामिनी निगम सर्वेक्षण का कार्य कर रही थी। इसी कार्य के दौरान वह कोरोना संक्रमित हो गयी इसके बाद उन्हें उन्नाव में इलाज की सुविधा नहीं मिली, परिणामतः उन्हें कानपुर हैलेट अस्पताल- Lala Lajpat Rai Hospital (Hallett Hospital), ले जाया गया जहां भी उन्हें बेड नसीब नहीं हुआ और उन्होंने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया (Deaths In Kanpur's hospital,)।
श्री कपूर ने कहा है कि उनके इलाज के लिए उन्नाव सदर के विधायक पंकज गुप्ता तक ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कोरोना महामारी से निपटने की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और अपनी असहायता को प्रदर्शित करते हुए लिखा कि उनकी बात तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने नहीं सुनी व इलाज का इंतजाम नहीं किया।
श्री कपूर ने मांग की है कि अपर मुख्य सचिव राजस्व रेनुका कुमार ने 11 अप्रैल 2020 को शासनादेश किया है कि कोरोना के कार्य में लगे स्थायी/अस्थायी कर्मचारी या अन्य किसी भी तरह के कर्मचारियों की मृत्यु होने पर कर्मचारी के आश्रितों की सामाजिक सुरक्षा के लिए 50 लाख रूपए का बीमा राज्य सरकार द्वारा देय होगा।
इसलिए तत्काल प्रभाव से शासनादेश के अनुसार उन्नाव की आंगनबाड़ी कामिनी निगम के आश्रितों को 50 लाख का मुआवजा (50 lakh compensation to the dependents of Anganwadi Kamini Nigam of Unnao.) देने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाए।
पत्र में कहा गया कि आंगनबाड़ी मुख्यतः गर्भवती व धात्री महिलाओं, 6 वर्ष के बच्चों और 18 साल से कम उम्र की किशोरी बालिकाओं के पोषाहार, शिक्षा व स्वास्थ्य आदि का कार्य करती है। यह सारे समूह कोविड-19 में भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सुरक्षित समूह में रखे गए हैं। जिनकी सुरक्षा के लिए विशेष निर्देश भारत सरकार ने दिए हुए है। ऐसे में इन समूहों के बीच कार्य करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री को कोविड-19 के सर्वेक्षण कार्य में लगाना इन सारे समूह के जीवन को ही खतरे में डालना है। यही वजह है कि मध्य प्रदेश समेत तमाम हाईकोर्ट ने इनके कोविड़ के कार्य में लगाने पर रोक लगायी हुई है। न्यायाधीशों का मत है कि यदि आंगनबाड़ी कोविड के कार्य के दौरान संक्रमित हो गयी तो इस कारण से इन सारे समूहों का जीवन ही खतरे में पड़ जायेगा। इसलिए तत्काल प्रभाव से आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिकाओं को कोविड़ के कार्य में नियोजित करने पर रोक लगाने का आदेश देने का निवेदन किया गया।
वर्कर्स फ्रंट ने पत्र में कहा कि आंगबाड़ियों के जुलाई माह से मानदेय पर रोक लग गयी है। जून माह में किए कार्य का मानदेय भी अभी तक नहीं प्राप्त हुआ है। यह भी सूचना लगातार मिल रही है कि 62 वर्ष पूरा कर चुकी आंगनबाड़ियों को विधि के विरूद्ध लगातार जनपदों में सेवा से पृथक किया जा रहा है। इस सम्बंध में अधोहस्ताक्षरी ने दो पत्र दिनांक 9 जुलाई 2020 व 16 जून 2020 को प्रमुख सचिव बाल सेवा एवं पुष्टाहार को भी भेजे थे, पर सेवा से पृथक करने की विधि विरूद्ध कार्यवाही पर रोक नहीं लगी। यह बेहद कष्टदायक स्थिति है। जबकि आंगनबाड़ी अपनी जिदंगी को दांव पर लगाकर सरकार के आदेशों का अनुपालन करते हुए सर्वेक्षण आदि कार्य कर रही है। स्थिति यह है कि लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, सहारनपुर आदि जनपदों में तो उनके कोविड पोजटिव होने की सूचना भी आ रही है।
इसलिए अंत में आपसे यह भी निवेदन करते है कि आंगनबाड़ियों को सेवा से पृथक करने की विधि विरूद्ध कार्यवाही पर रोक लगाते हुए समस्त आंगनबाड़ियों का वेतन निर्गत करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया।