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भोपाल – 01 मई 2020. कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन का यह समय वंचित समुदायों के बच्चों पर विशेष ध्यान देने का समय भी है। इस समय जब बाल श्रम कानून के उल्लंघन में तेजी संभावित है तब सरकारें बच्चों से काम कराने वालों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने का बहाना न करें। इसके विपरीत, यह सतर्कता और बच्चों को श्रम, दुर्व्यवहार और शोषण से बचाने के लिए किये जाने वाले विशेष उपायों का समय है। यदि बच्चों के नियोक्ताओं ने उन्हें ऐसे ही सड़क पर छोड़ दिया है और लॉकडाउन के दौरान उनकी वे कोई देखभाल नहीं कर रहे हैं तो वे दूसरा अपराध कर रहे हैं। ऐसे नियोक्ताओं को बिना कार्यवाही के नहीं छोड़ा जा सकता है। ऐसी स्थिति में श्रम विभाग, बाल कल्याण समितियों और चाइल्ड लाइन के माध्यम से सरकार को इन बच्चों की देखभाल करनी चाहिए।
तेलंगाना में अपने कार्यस्थल से छत्तीसगढ़ के अपने गाँव में तीन दिन चलने के बाद अपनी जान गंवाने वाली वाली बारह साल की लड़की जमालो मडकाम का दुखद मामला हम सबके सामने है। ऐसे कई मामले और सामने आए हैं, जिनमें बच्चों को भारी बैग और वयस्कों के साथ कई किलोमीटर तक पैदल चलते हुए दिखाया गया है। कर्फ्यू में छूट के घंटों के दौरान सड़कों पर बच्चों को कचरा बैग, सब्जियां, फल और अन्य सामान बेचते हुए देखना मुश्किल है। कई और भीख मांगने के माध्यम से कुछ पैसे प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। ये सभी ज्यादातर प्रवासी समुदायों या दैनिक वेतन भोगियों के बच्चे हैं। यह पहले से ही अनुमान है कि कोविड 19 अधिक बच्चों को श्रम के लिए प्रेरित करेगा। बच्चों को पहले से ही श्रम में प्रवेश करने या तस्करी होने का अधिक खतरा है क्योंकि स्कूल बंद हैं और लॉक डाउन है।
बालश्रम विरोधी अभियान ने की अपील | Anti child labor campaign appeals
बालश्रम विरोधी अभियान ने बाल श्रम कानूनों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ अधिक सतर्कता और कड़ी कार्रवाई तथा बाल श्रम के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाते हुए प्रभावित बच्चों के संरक्षण के लिए तत्परता से काम करने को लेकर सरकार और समुदाय से आगे आने की अपील की है। बाल श्रम विरोधी अभियान से जुड़े संस्थाओं द्वारा बाल श्रम में लगे बच्चों की निगरानी की जा रही है।
राष्ट्रीय बालश्रम विरोधी दिवस पर हुई ऑनलाइन चर्चा के बाद सीएसीएल के राज्य समन्वयक राजीव भार्गव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि इस संक्रमण काल में हम देखें कि बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन ना हो इसलिए वर्तमान स्थिति में बाल श्रम के खिलाफ कानून का कार्यान्वयन अत्यंत प्राथमिकता से हो।