ऐश डैम टूटने की घटना : सासन पावर लिमिटेड के खिलाफ बिना किसी देरी के कार्रवाई की मांग

hastakshep
10 Jun 2020
ऐश डैम टूटने की घटना : सासन पावर लिमिटेड के खिलाफ बिना किसी देरी के कार्रवाई की मांग

Ash Dam breakdown incident: demand for action against Sasan Power Limited without any delay

अप्रैल 2020 में सासन पावर लिमिटेड और प्रशासन की लापरवाही के कारण ऐश डैम टूटने की घटना पर वेबिनार

कंपनी के खिलाफ बिना किसी देरी के कार्रवाई की जाय

नई दिल्ली, 10 जून 2020 ; मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले (Singrauli district of Madhya Pradesh) में प्रशासन और सासन पावर लिमिटेड (Sasan Power Limited) की लापरवाहियों और गैर-जवाबदेही को उजागर करने के लिए आज एएसएआर (असर), सीआरईए (सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर) और मंथन अध्ययन के द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया. कंपनी द्वारा फ्लाई ऐश प्रबंधन नियमों के लगातार उल्लंघन के कारण बड़े स्तर पर ऐश डैम टूटने की घटना (The breakdown of ash dam in Singrauli district of Madhya Pradesh) घटी.

इस वेबिनार में सिंगरौली सहित देश भर के वकीलों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया.

वेबिनार के आयोजकों ने मध्य प्रदेश सरकार से अपील की है कंपनी के खिलाफ बिना किसी देरी के कार्रवाई की जाय.

सिंगरौली क्षेत्र में भारत के कुल कोयला आधारित विद्युत उत्पादन क्षमता का 10 फीसदी से ज्यादा (23,000 मेगावाट) उत्पादन होता है, जिसके कारण इसे 'भारत की ऊर्जा राजधानी' (Energy Capital of India) भी कहा जाता है. एनटीपीसी विंध्याचल में डैम टूटने की घटना (Dam breaking incident in NTPC Vindhyachal) के महज 6 महीने बाद, 10 अप्रैल 2020 को एक और ऐश डैम टूट गया, एक साल के भीतर इस क्षेत्र में इस तरह की तीसरी घटना है.

वेबिनार में शामिल स्थानीय लोगों ने कहा कि ऐश पॉण्ड की दीवारें सासन थर्मल पावर प्लांट के द्वारा अवैध रूप से बनाई गई थी, जिसके टूटने के बाद चार गांवों- हरहवा, सीधीखुर्द, सीधीकला और झांझीटोल में राख का पानी बड़े स्तर पर भर गया.

रिहंद जलाशय के आसपास कंपनी के द्वारा 3000 एकड़ से अधिक जमीन का उपयोग फ्लाई ऐश को डिस्पोज करने के लिए किया जाता है और इनमें से ज्यादातर ऐश पॉण्ड (राख का तालाब) अपने अधिकतम ऊंचाई तक पहुंच चुकी है. प्लांट्स में फ्लाइ ऐश का उपयोग बहुत कम है, जो 3 फीसदी से 37 फीसदी के बीच है. इसमें सिर्फ महान पावर प्लांट अपवाद है जो बहुत कम पीएलएफ पर ऑपरेट करती है.

वेबिनार के दौरान स्थानीय निवासी और कार्यकर्ता संदीप साहु ने बताया,

"डैम टूटने से 1000 एकड़ से ज्यादा भूमि में राख का पानी फैल गया. 6 लोगों की मौत हुई, खेत में लगे फसल और सामान बर्बाद हो गए, जानवर बह गए और जानमाल की अपूरणीय क्षति हुई. अक्टूबर 2019 में इस तरह की घटना के बाद हमलोग इस तरह की आशंका को लेकर प्रशासन और पावर प्लांट के अधिकारियों को लगातार बता रहे थे, इसके बावजूद ये सब नुकसान हुआ है. हमारी चेतावनियों पर कार्रवाई करने के बजाय कंपनी और प्रशासन ने इसे नजरअंदाज किया, जिसके कारण अप्रैल 2020 में भयानक रूप से राख पूरे इलाके में फैल गया."

सैटेलाइट से लिए गए डेटा से पता चलता है कि डैम टूटने के कारण राख किस तरह रिहंद जलाशय में घुल चुका है, जो इस क्षेत्र के लोगों के लिए सबसे बड़ा जलश्रोत है. सैटेलाइट डेटा यह भी दिखाती है कि 45 दिनों के बाद भी इलाके में फैले राख को हटाया नहीं गया है और राख मुख्य ऐश पॉण्ड बाउंड्री के आसपास और रिहंद जलाशय की ओर बहने वाली नदी में फैला हुआ है.

पिछले तीन सालों में सासन पावर लिमिटेड को MPPCB के अलावा जिला प्रशासन ने भी कई बार नोटिस जारी किया लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया और लगातार नियमों और निर्देशों को उल्लंघन होता रहा. इन नियमों के उल्लंघन पर पर्यावरणीय वकील, ऋत्विक दत्ता (कोर्ट में पर्यावरणीय अपराधों और नुकसानों के खिलाफ समुदायों और प्रभावित नागरिकों का पक्ष रखने वाले) ने कहा,

"यह जिला प्रशासन के साथ-साथ एमपीपीसीबी के द्वारा सीधे तौर पर लापरवाही का मामला है, जो जानती थी कि एसपीएल फ्लाई ऐश को प्लांट बाउंड्री के अंदर अवैज्ञानिक तरीके से और अवैध रूप से डिस्पोज कर रहा था. जिसके कारण इस तरह की घटना हुई. कोई भी निर्देश या सुरक्षात्मक तरीकों का उन्होंने पालन नहीं किया. यह अवैध संचालन का मामला है. प्रशासन ने कंपनियों को नियमों के उल्लंघन करने और प्रदूषित करने की खुली छूट दी हुई थी. जब तक इन पर कड़ी आपराधिक कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है, वे लगातार प्रदूषण फैलाते रहेंगे और लोगों का स्वास्थ्य, पर्यावरण, पारिस्थिकी तंत्र इसके परिणामों को भुगतता रहेगा."

फ्लाई ऐश और प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों (Health effects of fly ash and pollution) पर छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में रिसर्च कर रहीं श्वेता नारायण ने कहा,

"कोल पावर प्लांट से निकलने वाले जहरीले राख का कुप्रबंधन सिर्फ सिंगरौली में नहीं है. यही कहानी भारत में अधिकतर कोयला पावर प्लांटों की है. कई सारे लोग दशकों से लगातार कोयले के कारण पैदा होने वाले हवा और जल प्रदूषण के साथ रह रहे हैं. कोयले का फ्लाई ऐश हवा और पानी में जहरीले भारी धातुओं के घुलने का एक बड़ा श्रोत है, जो अक्सर कैंसर जैसी बीमारियों को पैदा करने वाला होता है. कोयले के ऐश से निकले भारी धातु जैसे कैडमियम, आर्सेनिक, सेलेनियम और पारा हमारी जमीन, पानी और खेती को दूषित कर रहे हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य को बुरी तरीके से प्रभावित कर रहा है."

नारायण ने कहा,

"हर बार ऐश डैम टूटने के बाद मुआवजे और साफ करने के नाम पर सिर्फ बोलने भर का प्रयास किया जाता है. अगले कुछ सालों में, भारत के एक अरब टन कोयला उत्पादन की क्षमता के लक्ष्य से हम सिर्फ और सिर्फ भारी जल एवं वायु प्रदूषण और इसके आसपास रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर विनाशकारी परिणाम का गवाह बनने जा रहे हैं.”

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