Ashok Bhowmik: Famous painter and historian of painting
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अशोक भौमिक देश के प्रसिद्ध चित्रकार हैं और चित्रकला के इतिहासकार भी। यह उनकी सदाशयता है कि हम जैसे मामूली इंसान भी उनके दोस्तों में शामिल हैं।
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अशोक भौमिक का स्तंभ ‘चित्रकला और मनुष्य’
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अपनी पत्रिका में उनका स्तंभ चित्रकला और मनुष्य हम नियमित छाप नहीं सकते, फिर भी दशकों की मित्रता जारी है।
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Bengal starvation and IPTA movement
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हमारे लिए बंगाल की भुखमरी और इप्टा आंदोलन में भारत की चित्रकला की यथार्थवादी, जन पक्षधर धारा विकसित हुई, जिसके प्रतीक रामकिंकर, जैनुल आबेदीन, चित्तोप्रसाद और सोमनाथ होड़ हैं।
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अशोक भौमिक जी इसी धारा के उत्तराधिकारी हैं।
अशोक भौमिक लेखक भी गजब के हैं। दुनिया भर की मनुष्य और मनुष्यता से जुड़ी चित्रकला के वे सशक्त प्रवक्ता हैं।
भारतीय चित्रकला का सचशीर्षक ही बताता है कि इस पुस्तक की कथावस्तु क्या होनी है।
राजसत्ता पोषित कुलीन और मनुष्यहीन कला, साहित्य, संस्कृति और चित्रकला के कठोर आलोचक हैं अशोकदा।
चित्रकला का अ आ क ख ग नहीं जानने वाले हम जैसे नासमझ पाठक भी उनके चित्र और लेखन से भारतीय चित्रकला का सच समझ सकते हैं।
कल ही यह पुस्तक डाक से मिली है और जाहिर है कि पुस्तक अभी हमने नहीं पढ़ी है, लेकिन दशकों से अशोक दा से संवाद की निरंतरता ने पुस्तक की विषय वस्तु से मुझे पहले ही अवगत करा दिया है।
भूमिका आशुतोष जी ने लिखी है।
चित्रकला बुनियादी कला है। सभ्यता के आदिम युग से। भारतीय चित्रकला प्राचीन है। इसकी विरासत की सही पहचान इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह हमारी लोक संस्कृति की धारक वाहक भी है।
अशोक दा वक्ता भी बेहतर हैं।
उनकी यह किताब आम लोगों तक पहुंचे, यह बेहद जरूरी है। वे लघु पत्रिका आंदोलन से भी जुड़े हैं।