बाबा साहब और दलितों को अपमानित करने के लिए अशोक स्तंभ में किया गया छेड़छाड़ - शाहनवाज़ आलम

hastakshep
13 Jul 2022
बाबा साहब और दलितों को अपमानित करने के लिए अशोक स्तंभ में किया गया छेड़छाड़ - शाहनवाज़ आलम बाबा साहब और दलितों को अपमानित करने के लिए अशोक स्तंभ में किया गया छेड़छाड़ - शाहनवाज़ आलम

लखनऊ, 13 जुलाई 2022। सेंट्रल विस्टा में लगाए जा रहे अशोक स्तम्भ में छेड़छाड़ (Central Vista project) कर उसे विकृत करने का आरोप लगाते हुए अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने इसे बौद्ध धर्म, बाबा साहब अंबेडकर और दलितों का अपमान बताया है।

कांग्रेस कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज़ादी के बाद जब अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय चिन्ह के बतौर स्वीकार किया गया था तब भी आरएसएस और हिंदू महासभा ने इसे बौद्ध धर्म से जुड़ा प्रतीक बता कर इसका विरोध किया था। जब बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म स्वीकार करने की घोषणा की थी तब भी हिंदू महासभा के नेता और अंग्रेज़ों से माफ़ी मांग कर छूटे दामोदर सावरकर ने बौद्ध धर्म के विरुद्ध अपमानजनक बयान दिया था। आज जब भाजपा पूर्ण बहुमत में आ गयी है तो तथागत बुद्ध और उनके अनुयायी बाबा साहब अंबेडकर और बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले दलितों को अपमानित करने के लिए अशोक स्तम्भ में छेड़छाड़ कर रही है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर के प्रयासों और प्रभावों से ही 1947 से 1950 के बीच भारतीय गणराज्य के बहुत से प्रतीकों में बौद्ध प्रतीकों जैसे राष्ट्रध्वज में धर्मचक्र, बौद्ध सम्राट अशोक के सिंहों को राष्ट्रीय चिन्ह की मान्यता दी गयी। तो वहीं राष्ट्रपति भवन की त्रिकोणिका पर बौद्ध सूक्त अंकित करवाई गयी।

उन्होंने कहा कि तिरंगे पर बौद्ध धर्म से जुड़े धर्म चक्र की मौजूदगी के कारण ही आरएसएस ने तिरंगे को राष्ट्रध्वज स्वीकार करने से न सिर्फ़ इनकार किया था, बल्कि उसे जलाया भी था।

बाबा साहब और दलितों को अपमानित करने के लिए अशोक स्तंभ में किया गया छेड़छाड़ - शाहनवाज़ आलम

लखनऊ, 13 जुलाई 2022। सेंट्रल विस्टा में लगाए जा रहे अशोक स्तम्भ में छेड़छाड़ (Central Vista project) कर उसे विकृत करने का आरोप लगाते हुए अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने इसे बौद्ध धर्म, बाबा साहब अंबेडकर और दलितों का अपमान बताया है।

कांग्रेस कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज़ादी के बाद जब अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय चिन्ह के बतौर स्वीकार किया गया था तब भी आरएसएस और हिंदू महासभा ने इसे बौद्ध धर्म से जुड़ा प्रतीक बता कर इसका विरोध किया था। जब बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म स्वीकार करने की घोषणा की थी तब भी हिंदू महासभा के नेता और अंग्रेज़ों से माफ़ी मांग कर छूटे दामोदर सावरकर ने बौद्ध धर्म के विरुद्ध अपमानजनक बयान दिया था। आज जब भाजपा पूर्ण बहुमत में आ गयी है तो तथागत बुद्ध और उनके अनुयायी बाबा साहब अंबेडकर और बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले दलितों को अपमानित करने के लिए अशोक स्तम्भ में छेड़छाड़ कर रही है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर के प्रयासों और प्रभावों से ही 1947 से 1950 के बीच भारतीय गणराज्य के बहुत से प्रतीकों में बौद्ध प्रतीकों जैसे राष्ट्रध्वज में धर्मचक्र, बौद्ध सम्राट अशोक के सिंहों को राष्ट्रीय चिन्ह की मान्यता दी गयी। तो वहीं राष्ट्रपति भवन की त्रिकोणिका पर बौद्ध सूक्त अंकित करवाई गयी।

उन्होंने कहा कि तिरंगे पर बौद्ध धर्म से जुड़े धर्म चक्र की मौजूदगी के कारण ही आरएसएस ने तिरंगे को राष्ट्रध्वज स्वीकार करने से न सिर्फ़ इनकार किया था, बल्कि उसे जलाया भी था।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज संविधान और बाबा साहब अंबेडकर के विचारों में आस्था रखने वाले सभी वर्गों को तथागत बुद्ध और बाबा साहब अंबेडकर के अपमान के खिलाफ़ मुखर आवाज़ उठानी चाहिए।

Ashoka Stambh was tampered with to humiliate Baba Saheb and Dalits - Shahnawaz Alam

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