भारत की शान कही जाने वाली लड़कियां जब जंतर मंतर पर बैठती हैं तब वे सिर्फ अपने लिए नहीं बैठी होती हैं; सार्वजनिक जीवन से खत्म की जा रही शुचिता और उत्तरदायित्व को बचाने और इस प्रकार समाज को सभ्य और सुसंस्कृत बनाने की लड़ाई भी लड़ रही होती हैं।
Author: बादल सरोज
अरक्षणीय तुलसी पर कोहराम तो बहाना है; मकसद मनु और गोलवलकर को बचाना है
क्या बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने कोई नई बात कही है?ह बिहार के शिक्षामंत्री पर नहीं भारत की तार्किकता की समझ और विवेक पर हमला है। इसके प्रति ढुलमुल या निरपेक्ष नहीं रहा जा सकता; इस मामले में जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध !!
धर्मांध कट्टरपंथी सिर्फ काबुल में नहीं हैं, न मारवा उनके खिलाफ अकेली खड़ी हैं !!
कट्टरपंथ की सरहदें नहीं होतीं. कट्टरपंथी धर्मान्धता यूं तो समूची मनुष्यता के खिलाफ होती है मगर उसकी पहली शिकार महिला होती है.
डिवाइडर इन चीफ के वायरस : कर्नाटक-महाराष्ट्र में रार; विभाजन, विग्रह, विखंडन की भाजपाई राजनीति
पिछली साल ही यह अशुभ भी हो चुका है जब असम और मिजोरम पुलिस की आमने सामने की भिड़ंत में 6 पुलिस सिपाही मारे गए थे। आज भी इन दोनों प्रदेशों की सीमाओं पर उनके प्रदेशों की पुलिस अलर्ट है।
2022 : किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है !! पूरे बरस त्रिशूल से भेदा जाता रहा यह संविधान
वर्ष 2022 की राजनीतिक समीक्षा : कैलेण्डर बदलने के साथ बोझ अपने आप उतरने वाला नहीं. वर्ष 2022 में उम्मीद की किरण क्या है?
हुड़दंग का बेशर्म ढंग फासी गिरोह की नई तरंग… परन्तु मौसम बदलने वाला है…
पठान और शाहरुख खान, गाना और उसके बोल तो बहाना है – असली मकसद संविधान और लोकतंत्र को निबटाना है। नाज़ियों की तरह एक बर्बर राज और घुटन भरा समाज बनाना है।
चुनाव नतीजों के सबक और कॉरपोरेट चीयरलीडर्स का कोहराम
यदि गुजरात और रामपुर आशंका हैं तो हिमाचल से दिल्ली होते हुए खतौली संभावनाएं हैं। इन परिणामों के तीन जाहिर उजागर सबक हैं और वे ये; कि भाजपा को हराया जा सकता है, कि अगर जनता के वास्तविक मुद्दों को उभार कर सामने लाया जाए तो उन्मादी घटाटोप छँट सकता है और यह भी कि यह अपने आप नहीं होगा।
काशी तमिल संगमम : गंगा किनारे हिलोरें लेता तमिल प्रेम का पाखंड
तमिल हो या हिंदी, जो बात काशी में भाषण दे रहे मोदी नहीं जानते वह यह है कि भाषा जीवित मनुष्यता की निरंतर प्रवाहमान, अनवरत विकासमान मेधा और बुद्धिमत्ता है। जिसे हर कण गति और कलकलता प्रदान करता है।
श्रद्धा वाल्कर के गिद्ध-भोज के लिए जुटान
क्या श्रद्धा वाल्कर अकेली है? यह पक्का किया जाना चाहिए कि उन्नाव और बदायूं के ऐसे ही अपराधियों की तरह श्रद्धा वाल्कर के अपराधी छूट नहीं जाएंगे। हाथरस और कठुआ के वहशियों की तरह सम्मानित नहीं किये जायेंगे।
भारत जोड़ो यात्रा : ऐ भाई राहुल! जाना किधर है ? मंजिल कहाँ है ?
यात्राएं वही सफल होती हैं जो अपनी मंजिल ठीक तरह से चुनती हैं और उसके अनुरूप मार्ग निर्धारित करती है। अभी तक नहीं लगता कि भारत जोड़ो यात्रा की कोई निश्चित मंजिल है,
हिन्दी; ई की जगह ऊ की मात्रा : हिंदी के हिन्दुत्वीकरण की साजिश
अमित शाह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट (Report of the parliamentary committee headed by Amit Shah) ने भाषा के संबंध में अब तक की मान्य, स्वीकृत और संविधानसम्मत नीति को उलट कर पूरे देश पर जबरिया हिंदी थोपने का रास्ता खोलने की आशंका साफ़-साफ़ सामने ला दी है।
वर्ण और जाति मुक्त भारत का संघी अभियान : नौ सौ चूहे खाके बिल्ली का हज करने का ऐलान
दलितों और पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए किये जाने वाले विशेष प्रावधानों का आरएसएस हमेशा से विरोधी रहा। इनके बारे में उनकी हिकारत इस कदर रही कि गोलवलकर ने इन तबकों को “माँस का टुकड़ा फेंकने पर इकट्ठे होने वाले कौए” तक बता दिया।
मदमस्त दरबारी पर्यटक राजा, धूमधड़ाके से बज रहा संविधान का बाजा
यह राजा भी वैसा ही है। पूरी तरह निर्वसन और नंगा। अडानी – अम्बानी और अमरीकी ठगों द्वारा तैयार की गयी नयी नयी पोशाकों में वह जितना इतराता है उतना ही अपनी नंगई को उघारता है।
न्यायपालिका के अपशकुनी बोल
न्यायपालिका के डरावने बोल : वैसे ही चलना दूभर था अंधियारे में. इनने और घुमाव ला दिया गलियारे में
दो फैसले, एक सजा और एक पैरोल
मोदी और खट्टर की और बाकी भाजपा सरकारें आशाओं और उम्मीदों पर भले कभी खरी न उतरें, आशंकाओं पर हमेशा खरी उतरती हैं।
राजेन्द्रपाल गौतम तो बहाना है डॉ अम्बेडकर पर निशाना है
बाबा साहब के खिलाफ युद्धघोष भी है राजेन्द्रपाल गौतम का इस्तीफा. कट्टर हिन्दू केजरीवाल ने तुरंत राजेन्द्रपाल गौतम का इस्तीफा मांगा. बाबा साहब की वे कौन सी 22 प्रतिज्ञाएं हैं, जिन्हें दोहराया गया.
आरएसएस : “तुम इतना जो बहका रहे हो; क्या जुर्म है जिसको छुपा रहे हो।”
एक ही समय में कई कई जुबानों से बोलने में सिद्धहस्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तरफ से अब एक और शिगूफा उछाला गया है।
बेहूदे समय के त्रासद प्रहसन : क्या सरकार ने चीतों के साथ कुछ भेड़िये भी छोड़ दिए हैं?
डकैत रमेश सिकरवार चीता मित्रों के महानायक बने. कहते हैं कि सियार का मुंह सियार सूंघ लेता है. रमेश सिकरवार डाकू था बागी नहीं.
आरएसएस के प्रति ममता बनर्जी के ममत्व पर हैरानी क्यों ? इसमें नया क्या है ?
बंगाल की समृद्ध साझी विरासत की जड़ों में तेज़ाब डालने की अपराधी हैं ममता बनर्जी ममता बनर्जी के आरएसएस प्रेम में पगे उदगारों को पढ़
…और अब नितिन गडकरी : क्या मोदी शाह भी मधोक की गति को प्राप्त होंगे?
जिसने जुबां चलाई वही काम से गया इन दिनों केंद्रीय मंत्री और खांटी नागपुरिये नितिन गडकरी बहुतई भड़भड़ाये हुए हैं। धड़ाधड़ ट्वीट पर ट्वीट कर
अमित शाह की भोपाल यात्रा और टी अंजैया की याद दिलाते कातर शिवराज सिंह चौहान
अमित शाह की भोपाल यात्रा : अंधेरे और पानी में डूबा रहा भोपाल और… भाजपा में नेतृत्व की गिनती जहाँ समाप्त हो जाती है उस