Advertisment
बादल सरोज

“तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा” !!

“तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा” !!

पीयूष मिश्रा गिरे हुए पैसे उठाने के लिए झुको-मगर गिरो तो थोड़ा सलीके से गिरो !! अग्रज कवि नरेश सक्सेना ने कहा तो है; "चीजों के गिरने के नियम होते हैं, मनुष्यों के गिरने के कोई नियम नहीं होते
Advertisment

सदस्यता लें