तो भारत जोड़ो यात्रा का असली संदेश है : भारतीयों, कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाओ ( मेरे परिवार के नेतृत्व में, क्योंकि हम भारत के शाही परिवार हैं), क्योंकि हम मछली की तरह पानी से बाहर सत्ता से बाहर रहने के अभ्यस्त नहीं हैं, और सत्ता की रोटियों बग़ैर आनंद लेने में सक्षम नहीं हैं।
Author: Guest writer
यहाँ सुख के भी दुःख होते हैं… ये जीवन है …
आज अपने दामन में
बो लिए हैं खार हमने
और चाहा दूसरों से
प्यार, केवल प्यार हमने
भारत में वर्तमान ऐतिहासिक स्थिति पर जस्टिस काटजू का लेख
संघर्ष लंबा और कठिन होगा, और इसे चलाने के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होगी, क्योंकि इसका अर्थ है हमारे लोगों की पिछड़ी हुई मानसिकता को बदलना, जो कि अत्यंत कठिन कार्य है।
जस्टिस काटजू ने पूछा कि क्या गुजरात दंगों पर बीबीसी की कमेंट्री पर प्रतिबंध वैध है
केंद्र सरकार ने गुजरात दंगों पर बीबीसी की टिप्पणी दिखाने वाले यूट्यूब और वीडियो ट्वीट्स को ब्लॉक कर दिया है।
जानिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर क्या है जस्टिस काटजू की राय
इस लेख में न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर मद्रास उच्च न्यायालय में अपना खुद का अनुभव बता रहे हैं जस्टिस मार्कंडेय काटजू
Jisne Lahore Nahi Dekha, wo janma hi nahi : लाहौर जाने का जस्टिस काटजू का सपना, क्या रह जाएगा अधूरा?
एक प्रसिद्ध कहावत है ”जिसने लाहौर नहीं देखा वो जन्मा ही नहीं” (जिसने लाहौर नहीं देखा वह पैदा भी नहीं हुआ) और जस्टिस काटजू पैदा होना चाहते हैं।
जस्टिस काटजू को क्यों लगता है भारत में आने वाला है तूफान!
भारत को एक गरीब, पिछड़े अर्ध-सामंती, जातिगत और साम्प्रदायिक देश से बदलने के लिए, सच्चे आधुनिक विचारधारा वाले देशभक्त नेताओं के नेतृत्व में, भारतीयों को एक शक्तिशाली संयुक्त ऐतिहासिक जनसंघर्ष छेड़ना होगा, जिसमें जबरदस्त कुर्बानी देनी होगी
अपनी समस्याओं को हल करने के लिए मुसलमानों को क्या करना होगा? जस्टिस काटजू का लेख
भारत में व्यवस्था बदलने पर ही मुसलमान बिना किसी भेदभाव और उत्पीड़न के रह पाएंगे। लेकिन वे अकेले सिस्टम को नहीं बदल सकते। ऐसा करने के लिए उन्हें अपने हिंदू भाइयों से हाथ मिलाना होगा, और मुश्तर्का जनसंघर्ष में शामिल होना होगाI
भारत जोड़ो यात्रा सिर्फ एक हंगामा है, जस्टिस काटजू की टिप्पणी
मोदी को बदल कर राहुल को लाना केवल नेता का परिवर्तन होगा, लेकिन लोगों के सामाजिक-आर्थिक संकट का कोई अंत नहीं होगा।
पतंग का मौसम
कुछ को बरगद की
ऊँची शाख़ों ने लपक लिया
वो जो ख़ुदमुख़्तार थीं,
जा उलझी खंभों की तारों में,
और तेज़ हवाओं ने उन पतंगों के
कपड़े चिथड़ दिये …..
सुप्रीम कोर्ट की फटकार : क्या नफरती एंकर्स पर कोई प्रभाव पड़ेगा? जानिए क्या कहते हैं जस्टिस काटजू
Will Supreme Court’s reprimand make any difference to the hateful anchors of news channels? यह टीवी एंकर समझते हैं कि अदालत की डाँट केवल गीदड़ भभकी और लफ़्फ़ाज़ी है और उन्हें कोई सजा नहीं मिलेगी, विशेषकर जब सरकार उनके समर्थन में हैI
जानिए कैसे जस्टिस काटजू ने रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों की आधुनिक व्याख्या की
हनुमानजी ज्ञानी और विवेकयुक्त भी हैं ( जैसा देशभक्त को होना चाहिए )I कोई ऐसा काम दुनिया का नहीं है जो वह नहीं कर सकते हैंI उनका अवतार रामचन्द्रजी की सेवा करने के लिए हुआ हैI
राजा और साधु की अद्भुत व ऐतिहासिक मित्रता स्वामी विवेकानंद और खेतड़ी नरेश अजीत सिंह की
कैसे हुई स्वामी विवेकानंद की खेतड़ी नरेश अजित सिंह से पहली भेंट.. स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय. Swami Vivekanand biography in Hindi. स्वामी विवेकानंद पगड़ी क्यों बांधते थे ? विवेकानंद की पगड़ी कैसे पहचान बनी ?
कड़ाही से आग में कूदना
भारत की बड़ी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, महंगाई आदि को हल करने के लिए राहुल गांधी के ठोस विचार क्या हैं, क्योंकि उनकी बयानबाजी में केवल प्यार फैलाने और नफरत का विरोध करने जैसे उपदेश शामिल हैं।
भारी संकट में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था
मंदी से निपटने के लिए जरूरी है कि लोगों की आमदनी बढ़े जिससे उनकी खरीदने की क्षमता बढ़े यानी लोगों की क्रयशक्ति और बाजार में मांग बढ़ाई जाए।
विश्व हिंदी दिवस : जस्टिस काटजू बोले हिंदी नकली भाषा है
World Hindi Day 2023 आज : विश्व हिंदी दिवस पर जस्टिस काटजू की टिप्पणी. आप लोग सच्चाई से क्यों भागते हैं ? हिंदी एक कृत्रिम भाषा है जिसको बनाने का मक़सद था हिन्दू-मुस्लिम को लड़वाना, यह प्रचार करके कि हिंदी हिन्दुओं की और उर्दू मुसलमानों की भाषा है
वो कौन सी किताबें जो जस्टिस काटजू को मुसीबत में डाल सकती हैं
पुलिस, न्यायपालिका और अन्य राज्य प्राधिकरणों के जीवन को आसान बनाने के लिए, जस्टिस काटजू सिफारिश करते हैं कि इन सभी लेखन को भारत में तुरंत प्रतिबंधित कर दिया जाए।
जोशीमठ त्रासदी की असल वजह क्या है ? प्रकृति या अनियंत्रित विकास ?
क्या आधुनिक शहर बनने की होड़ का नतीजा भुगत रहा है जोशीमठ? क्या प्रकृति आदि शंकराचार्य की तपोभूमि पर कुपित हो रही है या तथाकथित विकास की अंधी दौड़ हमारी देवभूमि हिमालय को लील रही है?
जब घूंघट बना इंक़लाब का परचम : हिजाब, नारीवाद और निरंकुशता
बेखौफ आजादी – ये सब महिलाओं की मांग है – आजादी अपने फैसले खुद लेने की, आज़ादी बेख़ौफ़ रहने की, पढ़ने की, काम करने की, आज़ादी खुली हवा में सांस लेने की, और आजादी सपने देखने और उन्हें पूरा करने की।
जस्टिस काटजू से जानिए भारत में साम्प्रदायिकता के कारण क्या हैं
इस तरह एक निश्चित नीति के तहत भारतीय इतिहास की पाठ्यपुस्तकों को इतना मिथ्या और विकृत किया गया कि यह आभास हो कि भारतीय इतिहास का मध्यकाल मुस्लिम शासकों द्वारा उनके हिंदुओं पर किए गए अत्याचारों से भरा था और हिंदुओं को इस्लामी शासन के तहत भयानक अपमान सहना पड़ा था।
भारत जोड़ो यात्रा : जस्टिस काटजू ने पूछा क्या आपातकाल फासिज्म नहीं था ?
भारत जोड़ो यात्रा से क्या व्यापक जातिवाद और साम्प्रदायिकता पर ज़रा भी असर पड़ेगा ? वह मूर्ख हैं जो ऐसा समझते हैंI उसको समाप्त करने के लिए एक महान जनक्रांति की आवश्यकता है जो अभी कहीं नहीं दिखाई देतीI