अन्तोनियो ग्राम्शी के चिंतन का सार क्या है? अंतोनियो ग्राम्शी का जन्मदिन पर प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी से जानिए ग्राम्शी की आठ शिक्षाएं
Author: जगदीश्वर चतुर्वेदी
भारत कभी हिन्दू राष्ट्र नहीं था, न आज है और न कभी भविष्य में बनेगा
आरएसएस के हिंदुत्व का हिन्दूधर्म से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। उसी तरह केरल में हाल के वर्षों में पैदा हुए मुस्लिम फंडामेंटलिस्ट संगठन पापुलर फ्रंट का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है।
संचार क्रांति और तुलसीदास
आज भी तुलसीदास सबसे ज्यादा पढ़े, सुने और देखे जा रहे हैं। इलैक्ट्रोनिक मीडिया के जमाने में अब सब कुछ संचित करके रख सकते हैं। ज्ञान का सार्वभौम की बजाय स्थानीय उत्पादन कर सकते हैं।
रामचरित मानस में वायनरी अपोजीशन और हिन्दू अस्मिता के खेल
Binary opposition and the game of Hindu identity in Ram Charit Manas. तुलसी का मानस चूंकि वायनरी अपोजीशन की पद्धति का अनुकरण करता है अत: इसमें अतीत के लौटने की कोई संभावना संकेत के रूप में भी नहीं है।
कमलेश्वर : हम अपनी जिंदगी को कहाँ तक सँभालते
आज कमलेश्वर का जन्मदिन है। इस मौके पर कमलेश्वर के विचारों पर चर्चा करें… ”कादिर मियां!…बन गया साला पाकिस्तान…”
स्वामी दयानन्द सरस्वती और मूर्तिपूजा
Swami Dayanand Saraswati and idol worship : स्वाधीनता संग्राम में स्वामी दयानन्द सरस्वती की भूमिका का विश्लेषण कर रहे हैं प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी। वासुदेव वर्मा की लिखी किताब “अठारह सौ सत्तावन और दयानन्द सरस्वती” महत्वपूर्ण कृति है।
फोटो हिन्दी की देह है और संगीत प्राण है
हिन्दी के विकास में बाधा क्यों आयी ? नए दौर की हिन्दी की देह है फोटो और प्राण है संगीत। भाषा को क्या साहित्य बनाता है? हिन्दी में उदारता का प्रधान कारण क्या है?
एक सम्पूर्ण आलोचक प्रोफेसर मैनेजर पांडेय
प्रोफेसर मैनेजर पांडेय ने छात्रों के साथ मित्रता का सम्बन्ध बनाया और सत्ता से सारी ज़िन्दगी दूरी बनाए रखकर लोकतंत्र की सेवा की। उनकी मौत से हम सब आहत हैं।
मथुरा के चौबों का परिवर्तित संसार और इतिहास की धर्मनिरपेक्ष परंपरा
मथुरा का कंस मेला : विगत 70 सालों में चतुर्वेदी जाति (मथुरा के चौबों ) गुणात्मक तौर पर बदली है। उसमें विभिन्न पेशेवर वर्गों का जन्म हुआ है। इस समय एक दर्जन से अधिक अरबपति हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध : व्लादिमीर पुतिन के अधिनायकवाद के खतरे
पं. नेहरू के साथ पूरे देश ने संकल्प लिया कि भारत में वर्चस्व की राजनीति के लिए कोई जगह नहीं होगी। वर्चस्व की राजनीति ही है, जो व्लादिमीर पुतिन को बार-बार युद्धों कीव्लादिमीर पुतिन के अधिनायकवाद ओर ले गई।
श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के दिन सदमे में था जेएनयू
जेएनयू के छात्रों को धन्यवाद देने प्रसिद्ध सिख संत और अकालीदल के प्रधान संत स्व.हरचंद सिंह लोंगोवाल, हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक सरदार महीप सिंह और राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला के साथ जेएनयू कैम्पस आए।
सुनक बनाम मोदी, नागरिक बनाम हिन्दुत्व !
सबसे बड़ी बात यह है ऋषि सुनक बातूनी-भाषणबाज-असत्यवादी नहीं हैं। मोदी को भाषण और असत्यवाचन के अलावा कुछ नहीं आता। अहर्निश भाषण देना और असत्य बोलना उनके व्यक्तित्व का गुण है।
कैसा पीएम है यह, जिसे जनता की पीड़ा और तबाही नजर नहीं आती ?
पीएम मोदी नेआम जनता में यथार्थ मत देखो, मोदी देखो, जनता के कष्ट मत देखो, भगवान देखो, यह धारण पैदा करके दिमागी और आर्थिक कंगाली पैदा की है और यही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है।
अनपढ़ मार्क्सवादियों से मार्क्सवाद को सबसे ज्यादा ख़तरा है
राजनीति और विचारधारात्मक कार्यों में कोई अछूत नहीं होता। लोकतंत्र में जो वामपंथी अछूतभाव की वकालत करते हैं, मैं उनसे पहले भी असहमत था आज भी असहमत हूँ।
क्या मार्क्सवाद जिंदाबाद करने से ही काम चल जाएगा?
वामपंथी दोस्त क्रांति का बिगुल बजा रहे हैं और यह उनका हक है और उनको यह काम करना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे देश में लोकतंत्र संकट में है क्रांति नहीं।
आजादी का अमृत महोत्सव : नव्य सामंतवाद, मध्यवर्ग और फासिज्म
तिरंगे के लिए क्या खतरे हैं? मध्य वर्ग की निजी आर्थिक समस्याएं क्या हैं? मध्य वर्ग नरेंद्र मोदी से प्रभावित क्यों है? क्या भारत को फासिज्म और तानाशाही चाहिए या भारत को लोकतंत्र चाहिए?
साम्प्रदायिकता और मुक्तिबोध
साम्प्रदायिकता भारत की सबसे बड़ी समस्या है मुक्तिबोध हिन्दी का पहला लेखक है जो साम्प्रदायिक स्टीरियोटाइप को चुनौती देता है। हिन्दी में साम्प्रदायिक स्टीरियोटाइप को
हिन्दी दिवस : मैं तो हिन्दी के बिना जी नहीं सकता.. और आप?
हिन्दी दिवस पर प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी की विशेष टिप्पणी आज 14 सितम्बर है, सारे देश में केन्द्र सरकार के दफ्तरों में हिन्दी दिवस का दिन
पितृपक्ष को यहां से देखें
मथुरा के चौबों में श्राद्ध पक्ष का क्या महत्व है? इन दिनों पितृपक्ष शुरू हो गया है। मथुरा के चौबों में यहाँ श्राद्ध पक्ष का
सनातनी मथुरा और संत तुलसीदास
सनातनी मतलब बंद गली के निवासी! यह जनश्रुति है संत तुलसीदास कभी मथुरा आए थे और मथुरा के किसी प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन करने गए,
इतिहास ग्रंथों में औरतों के साथ जो हुआ, वही राजेन्द्र यादव ने किया
साहित्य लीला और राजेन्द्र यादव (3 सितम्बर 2009 को राजेन्द्र यादव ने ‘देशकाल डाट काम’ को दिए साक्षात्कार में साहित्य के जाति आधार की पुन: