पुलिन बाबू की जीवनी (Biography of Pulin Babu in Hindi) Pulin Babu: Half-Unfinished Story of a People’s Committed Yayavar पुलिन बाबू मेरे पिता का नाम है। उनके जीते जी मैं उन्हें कभी नहीं समझ सका। उनके देहांत के बाद जिनके लिए वे तजिंदगी जीते रहे, खुद उनके हक-हकूक के लिए देशभर के शरणार्थी आंदोलनों से उलझ जाने की वजह से …
Read More »पलाश विश्वास
सबकी खबर ले, सबकी खबर दे वाला जनसत्ता अपने ही पत्रकार की मृत्यु की खबर न दे पाया
प्रताप सिंह जी ने व्हाट्सएप पर सतीश पेडणेकर के निधन की खबर (news of the death of Satish Pednekar) दी। हम 1980 से 2016 तक लगातार अखबार का संस्करण निकलते रहे हैं। यह बहुत चुनौतीपूर्ण काम है और इसकी जवाबदेही बड़ी होती है। अखबार कितना ही अच्छा निकले, उसकी तारीफ हो या न हो, कहीं कोई चूक हो जाती है …
Read More »वन बीवी, सुंदरवन और वन भोजन
प्रकृति, पर्यावरण और जैव विविधता का आंचल है सुंदरवन (Sundarbans is the zenith of nature, environment and biodiversity) बांग्लादेश और भारत में बंगाल की खाड़ी के समुद्र तट (Beaches of the Bay of Bengal in Bangladesh and India) मैंग्रोव फॉरेस्ट सुंदरवन का इलाका (Mangrove Forest area of Sundarbans) है। असंख्य नदियों और असंख्य द्वीपों से बने सुंदरवन प्रकृति और पर्यावरण, …
Read More »हमारा बचपन ढिबरी और लालटेन की रोशनी में बीता है और आपका?
विश्व साहित्य, बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी की पत्र पत्रिकाओं, रवींद्र, शारत, बंकिम, माइकल के साहित्य, गोर्की की मां, पर्ल बक की गुड अर्थ, हेमिंग्वे की द ओल्डमैन एंड द सी, विक्टर ह्यूगो की हंचबैक ऑफ नॉस्टरडम से लेकर प्रेमचंद, अमृतलाल नागर, तारा शंकर बंदोपाध्याय, समरेश बसु, निराला, मुक्तिबोध, शैलेश मटीयानी, अमृता प्रीतम सभी इसी मद्धिम सी रोशनी में समाहित है। …
Read More »अशोक भौमिक : प्रसिद्ध चित्रकार और चित्रकला के इतिहासकार
Ashok Bhowmik: Famous painter and historian of painting अशोक भौमिक देश के प्रसिद्ध चित्रकार हैं और चित्रकला के इतिहासकार भी। यह उनकी सदाशयता है कि हम जैसे मामूली इंसान भी उनके दोस्तों में शामिल हैं। अशोक भौमिक का स्तंभ ‘चित्रकला और मनुष्य’ अपनी पत्रिका में उनका स्तंभ चित्रकला और मनुष्य हम नियमित छाप नहीं सकते, फिर भी दशकों की मित्रता …
Read More »जानिए मैं पितृसत्ता के खिलाफ क्यों हूं?
देश का भूगोल बहुत छोटा हो गया है क्योंकि आपको विकास चाहिये
The geography of the country has become very small because you want development. वरिष्ठ पत्रकार और हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार पलाश विश्वास की यह टिप्पणी (This comment of Palash Vishwas) आज से पाँच वर्ष पूर्व 17 मार्च 2017 को लिखी गई थी। आज पाँच वर्ष बाद जब पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम (Results of assembly elections of five …
Read More »बोलियों का साहित्य कहाँ गायब हो गया?
Where did the literature of dialects disappear? बांग्ला में दो तरह की भाषा प्रचलित रही है। बंकिम चंद्र की तत्सम संस्कृतमुखी बांग्ला (Bankim Chandra’s Tatsam Sanskritmukhi Bangla) और जनभाषा, जो लोग बोलते हैं। बांग्लादेश का समूचा साहित्य लोक संस्कृति में रचे बसे जनपदों की बोलियां हैं। जैसे हम हिंदी के संत साहित्य में पाते हैं। बृज भाषा, अवधी, मैथिली, बुंदेलखंडी …
Read More »क्या यूक्रेन में वियतनाम युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं?
Russia reiterates mistake of sending Soviet troops to Afghanistan जैसी आशंका थी, युद्ध जल्दी खत्म नहीं हो रहा। रूस ने अफगानिस्तान में सोवियत सेना भेजने की गलती दोहराई है। यूक्रेन हमेशा आजादी की लड़ाई लड़ता रहा है। सोवियत संघ में वह था, लेकिन रूसी वर्चस्व को उसने जार के साम्राज्य में भी बर्दाश्त नहीं किया। बहरहाल रूस एक patrotic महायुद्ध …
Read More »द्वितीय विश्व युद्ध : भारत में एक भी बम नहीं गिरा, लेकिन लाखों लोग मारे गए
World War II: Not a single bomb dropped in India, but millions of people died द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में एक भी बम विस्फोट नहीं हुआ था। हालांकि जापानी लड़ाकू विमान कोलकाता के आसमान में नजर आए। लेकिन बंगाल के भीषण अकाल में लाखों लोग मारे गए, अनाज की कमी के कारण नहीं बल्कि लोगों को भूखा रहना …
Read More »हर पल चलती फिरती लाशों से टकरा रहे हैं, यह संवादहीनता का दौर है
डॉ सुनील हालदार दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके। उत्तर प्रदेश काल में हल्द्वानी से 50 हजार वोट मिले बीएसपी से। फिर माकपा से भी लड़े। साइकिल से भारत की परिक्रमा कर चुके हैं। हमारे घनिष्ठ मित्र हैं। इन दिनों कोलकाता गए हुए हैं, वहां एनआरएस अस्पताल में उनकी बेटी कार्यरत है। असीमदा की मृत्यु के बाद उनके परिजनों से …
Read More »लता मंगेशकर के व्यक्तित्व को फिल्मी दायरे में सीमाबद्ध करना अपराध है
It is a crime to limit the personality of Lata Mangeshkar in the film industry. लता मंगेशकर के सुर संसार में हम सभी लोग कमोबेश शामिल रहे हैं। 92 वर्ष की आयु में भी उनके स्वर के अवसान से हम सभी दुःखी हैं। वे भारत रत्न हैं। और किसी भी राजनेता या कलाकार, साहित्यकार से ज्यादा उनकी प्रतिष्ठा और विश्वव्यापी …
Read More »प्रेम और विवाह भारत में स्त्री के लिए चक्रव्यूह है, जिसमें निशस्त्र वह घुस तो जाती है, लेकिन उसमें से निकलने का कोई रास्ता उसे मालूम नहीं होता।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल (21 years of marriage age of girls) करने को कृतसंकल्प हैं और लोकसभा में भी विधेयक पारित हो चुका है। आधी आबादी पर प्रेम और विवाह की उम्र कानूनी जामा पहनाकर थोपने की इस पहल पर स्त्रियों से कोई राय नहीं पूछी गयी। निर्णय की किसी प्रक्रिया में स्त्री की …
Read More »नेताजी की प्रतिमा को हिटलर की छवि में बदल रहा है कॉरपोरेट फासीवाद
क्या एक सैन्य राष्ट्र के निर्माण के लिए नेताजी की छवि का इस्तेमाल हो रहा है? कॉरपोरेट फासीवाद (corporate fascism) नेताजी की प्रतिमा (Netaji’s statue) को हिटलर की छवि (picture of Hitler) में बदल रहा है जो नेताजी और आज़ाद हिन्द फौज का अपमान (Netaji and Azad Hind Fauj insulted) तो है ही, इतिहास के भगवाकरण के साथ-साथ अक्षम्य देशद्रोह …
Read More »प्रवास वृत्तांत : मजदूर बस्ती के एक बेरोजगार कलाकार की ट्रेन से कटकर मौत, एक प्रेमकथा का दुःखद अंत
Migration story: An unemployed artist from Mazdoor Basti dies after being hit by a train, sad end of a love story बंगाल में 35 साल के वाम शासन में आज़ाद भारत की उद्योग विरोधी शहरीकरण के कारपोरेटपरस्त मुक्तबाजारी अर्थव्यवस्था में 56 हजार कल कारखाने बन्द हो गए। ममता बनर्जी के परिवर्तन आंदोलन और वाम तख्ता पलट का यह सबसे बड़ा …
Read More »जनादेश का अभूतपूर्व प्रहसन : विशाल रैलियां भी होंगी और लॉकडाउन की तैयारी के मध्य कर्फ्यू जारी रहेगा
चाहे कुछ हो जाये, चुनाव जरूर होंगे। मीडिया और तकनीक के जरिये लड़ेंगे चुनाव। विशाल रैलियां भी होंगी और लॉकडाउन की तैयारी के मध्य कर्फ्यू जारी रहेगा। जनादेश का अभूतपूर्व प्रहसन लेकिन स्कूल कालेज कारोबार उद्योग धंधे सब बन्द हो जाएंगे। चंद दिनों के लिए गरीबों और भिखारियों को खैरात बांटे जाएंगे और कारपोरेट कम्पनियों को राहत पैकेज दिए जाते …
Read More »जनसंख्या की राजनीति के जरिए बहुसंख्य जनता को राजनीतिक प्रतिनिधित्व से वंचित रखा जा रहा है
Majority of people are being denied political representation through population politics. हमारे दिवंगत मित्र प्रबीर गंगोपाध्याय ने बांग्ला में जनसंख्या की राजनीति (population politics) पर एक अद्भुत तथ्य आधारित, अखिल भारतीय ग्रास रूट लेवल सर्वेक्षण और जनसंख्या के आंकड़ों के साथ अद्भुत किताब लिखी थी। Politics of Demography इसी राजनीति के तहत भारत विभाजन करके सत्ता हस्तांतरण के बाद से …
Read More »हिंदुत्व के नाम पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाली भाजपा आदिवासियों को भी संदिग्ध नागरिक बता रही
सिंधु सभ्यता के वारिस आदिवासी और दलित इस देश के नागरिक नहीं हैं तो नागरिक कौन हैं? असम में अभयारण्यों की किलेबंदी के खिलाफ आदिवासियों और वनवासियों के वनाधिकार की लड़ाई लड़ रहे असम के प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रणब डोले की नागरिकता (Citizenship of famous human rights activist of Assam Pranab Doley) संदिग्ध बताते हुए उनके पासपोर्ट के नवीकरण से …
Read More »खास लोगों के लिए आपदा ही अवसर है खतरे से खाली नहीं इस निजाम में आम लोगों की आवाज उठाना
For special people, disaster is an opportunity. Raising voice of common people in this system not free from danger कोहरा क्यों जरूरी है? कुहासा का मौसम शुरू हो गया। यह चुनाव का मौसम भी है। गेंहू और लाही की फसल के लिए कोहरा जरूरी है। ज्यादा सर्दी भी। धान की फसल चौपट होने के बाद किसान इसी फसल के भरोसे …
Read More »जब पं. नेहरू के मंच से कांग्रेस के खिलाफ भाषण देकर एनडी तिवारी बन गए थे विधायक
कैसे चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं से मिले बिना, उनसे संवाद किये बिना लोग चुनाव जीत जाते हैं? कैसे बड़ी-बड़ी रैली, रोड शो, विज्ञापन और आईटी सेल के जरिये चुनाव प्रचार में मतदाताओं से सम्पर्क किये बिना चुनाव नतीजे तय होते हैं? कैसे होती है कारपोरेट फंडिंग और विदेशी फंडिंग, पार्टियों और उम्मीदवार के करोड़ों के खर्च का क्या हिसाब …
Read More »पत्रकारिता की दयनीय हालत के लिए पत्रकार भी कम दोषी नहीं
गोदी मीडिया और पप्पू मीडिया की हरकतों को देखते हुए पत्रकारिता की गिरती हालत पर रोज चर्चा (Discussion on the deteriorating condition of journalism) होती है। लेकिन यह गिरावट एक दिन में नहीं आ गई है न एक दिन में पत्रकारिता की मौत हुई है। पत्रकारिता की गिरावट के कारणों की समीक्षा (A review of the reasons for the decline …
Read More »