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तोहूँ बाबा विश्वनाथ जी, हो गइला एनआरआई !
बाबा विश्वनाथ हो गए एनआरआई ! | Baba Vishwanath turned NRI!
खबर है, लंदन की अर्न्स्ट एंड यंग ( Enrst & Young Co ) कंपनी, काशी विश्वनाथ धाम का संचालन करेगी। श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट विकास परिषद की बैठक में इस विदेशी कंपनी के नाम पर मुहर भी लग गई है।
बनारस के मंडलायुक्त सभागार में, 1 नवम्बर, 2021 को, आयोजित एक, बैठक में इस बात की घोषणा की गई।
अमर उजाला की खबर के अनुसार, यह तय किया गया है कि, श्री काशी विश्वनाथ धाम का संचालन लंदन की कंपनी ईस्ट एंड यंग (ई एंड वाई) करेगी। सोमवार नवम्बर 1, को श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट विकास परिषद की बैठक (shri kashi vishwanath vishisht vikas parishad meeting report) में इस कंपनी के नाम पर, सरकार ने अपनी सहमति भी दे दी।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का संचालन व देखरेख पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर होगा। इसकी जिम्मेदारी ब्रिटिश कंपनी ईस्ट एंड यंग (British company East and Young -ई एंड वाई) को दी गई है। कंपनी का मुख्यालय लंदन में है। यह कंपनी कुंभ (प्रयागराज) में भी कसंल्टेंसी का काम कर चुकी है। टेंडर के मानक पर कंपनी के सहमत होने के बाद काम दिया गया है।
वित्तीय मुद्दों पर भी सहमति बन गई है। धाम में निर्माणाधीन 24 भवनों में करीब 15 भवनों का व्यावसायिक इस्तेमाल होगा। कंपनी भक्तों के लिए धाम को सर्व सुविधा युक्त बनाने में मदद करेगी।
परिषद के सीईओ सुनील कुमार वर्मा ने बोर्ड के सदस्यों के सामने पिछली बैठक में हुए आदेश पर चर्चा की। परिषद के लिए बने नए भवनों में लगने वाले फर्नीचर को खरीदने के लिए मंडलायुक्त ने पीडब्ल्यूडी को भवनों के अनुसार फर्नीचर खरीद करने का आदेश दिया।
शुरू हुआ तीर्थों का कॉर्पोरेटाइजेशन (corporatization of pilgrimages started)
तीर्थ और आस्था के इस कॉर्पोरेटाइजेशन औऱ बाजारीकरण पर बनारस की क्या प्रतिक्रिया होती है यह तो बाद में ही पता चलेगा, पर यह तय है कि तीर्थों के कोर्पोरेटाइजेशन का दौर शुरू हो गया है। हम एक भी ऐसा ट्रस्ट भारत में नहीं ढूंढ पाए जो बाबा विश्वनाथ धाम की सेवा पूजा कर सके।
Demolition of temples in Banaras (Varanasi News in Hindi)
बनारस में मंदिरों की जो तोड़फोड़ की जा रही थी, अक्षयबट, गणेश, अविमुकेश्वर आदि आदि प्राचीन विग्रहों को जिस निर्दयता और अनास्था के साथ पिछले तीन चार वर्षों से तोड़ा जा रहा है, पक्का महाल की काशिका संस्कृति को जिस प्रकार से ध्वस्त किया गया है, वैसा अनर्थ, काशी के अनंत काल से चले आ रहे इतिहास में कभी नहीं हुआ है।
अब यह राज खुला कि, यह सब कॉरपोरेटीकरण का एक षड़यंत्र है। क्या दुनिया में अन्य किसी भी, धर्म के मुख्य तीर्थ के मुख्य मंदिर की व्यवस्था का संचालन, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (public private partnership) पर दिया गया है ? क्या एक ट्रस्ट बनाकर, उसमें बनारस के विद्वत परिषद को रख कर विश्वनाथ मंदिर की व्यवस्था नहीं की जा सकती थी ?
विजय शंकर सिंह
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