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बंगाल का 'सोन्देश' : 2024 में केन्द्र में फिर भाजपा ही आएगी

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hastakshep
03 May 2021
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Bengal's 'message': BJP will come to the centre again in 2024

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महीने भर चले लोकतांत्रिक प्रहसन का आज पटाक्षेप हुआ। ऐसे हुआ कि अपनी जनता खुश है, या कम से कम तुष्ट है। तुष्टि ज़रूरी है इस समय, जब हर तरफ बुरी खबरें काटने को दौड़ती हों लेकिन पीछे मुड़ के भी देखना चाहिए। पिछले वर्षों में जब-जब विधानसभा चुनावों में भाजपा हारी है, तब-तब और सख्त हुई है। दमन बढ़ा है, chaos बढ़ा है। जबरन सरकारें गिराई गई हैं। कमलनाथ का उदाहरण सामने है। महाराष्ट्र लगातार अस्थिर है।

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ऐसे में मेरा आकलन है कि सदन में इकलौता विपक्ष बनने के बाद भाजपा ममता सरकार को चैन से जीने नहीं देगी।

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भाजपा थोड़ा बैक फुट पर ज़रूर है इस समय लेकिन सितंबर जाते-जाते पलटेगी। उसी काम में लग जायेगी जिसमें उसे महारत हासिल है। फिर बंगाल में तृणमूल सरकार निरंतर संकट में रहेगी और भाजपा सही समय का इंतज़ार करेगी तख्तापलट के लिए। बाकी राज्यों की तरह बंगाल भी अस्थिर हो जाएगा। चूंकि तृणमूल का पर्याय ममता हैं, तो महबूबा वाला कश्मीरी पाठ यहां भी दोहराया जाएगा।

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इस संदर्भ में दो लोगों की बातें अभी याद आ रही हैं। एक अपने साथी नलिन मिश्र हैं जो एक्टिविस्ट अध्येता से आजकल आचार्य हो गए हैं और बीते कुछ समय से इनका गणित सही बैठ रहा है। अब ये मत पूछिएगा कि मैं ज्योतिष को मानता हूँ क्या, वर्ना नील्स बोर की कहानी सुनानी पड़ जाएगी। नलिन का कल का स्टेटस देखिए, सटीक भविष्यवाणी की है।

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दूसरे याद आ रहे हैं पी. साईनाथ, जिन्होंने दो साल पहले कहा था कि 2024 तक ज़्यादातर राज्यों में गैर-भाजपा सरकारें होंगी लेकिन केन्द्र में फिर भाजपा ही आएगी। ये निष्कर्ष भी सही होता दिख रहा है।

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इसलिए आज बंगाल से निकला 'सोन्देश' बस टोकन है, प्रतीकात्मक है। इसका राजनीतिक मूल्य बस इतना है कि एक राज्य में भाजपा सत्ता में नहीं आयी है गोकि वहां उसके आने की स्थितियां तैयार थीं। एक बार कोरोना को माइनस कर के सोचिए कि भाजपा इसके बगैर कितनी सीटें ले आती, कहानी समझ में आ जाएगी।

अभिषेक श्रीवास्तव

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