अमेरिका से सावधान : अमेरिका भारत का दोस्त न कभी था, और न है और न हो सकता है

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hastakshep
07 Apr 2020
अमेरिका से सावधान : अमेरिका भारत का दोस्त न कभी था, और न है और न हो सकता है

Beware of America: America was never a friend of India, and neither is nor can be.

अमेरिका से सावधान।

कोरोना फैलने के बाद विदेश से आये 15 लाख लोगों की जांच और निगरानी, वायरस से निपटने की तैयारी और लॉक डाउन में देरी (Lock down delay,), स्वास्थ्य सेवा में सुधार के जरूरी काम छोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जिस खास दोस्त के लिए अहमदाबाद में बहुत बड़ा मजमा (Namaste Trump) खड़ा किया, उसने कोरोना से निपटने के लिये दवा (Anti-malarial drug hydroxychloroquine) न भेजने की स्थिति में भारत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दे दी है।

अमेरिका को अपनी युद्धक अर्थ व्यवस्था (America's war economy) को पटरी पर लाने के लिए भारत में आंतरिक और बाहरी खतरे की स्थितियों का फायदा उठाना था।

परमाणु भट्टियों का उत्पादन अमेरिका में एकदम ठप हो गया था। इसे पुनर्जीवित करने के लिए बुश ने भारत के साथ परमाणु सन्धि करने की पहल की। तब भाजपा विपक्ष में थी।

भारत में पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध की स्थिति पैदा करते रहने में अमेरिका की बड़ी भूमिका रही है।

भारत और पाकिस्तान में हथियारों की होड़ (Arms race in India and Pakistan) पैदा करके दोनों देशों को हथियार बेचता रहा है अमेरिका। रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश (Foreign investment in defense sector) से देशी पूँजीपतियों को फायदा हुआ तो सबसे ज्यादा फायदा अमेरिका के युद्ध गृहयुद्ध उद्योग को हुआ।

1991 से पहले तक, भारत का बाजार खुला छोड़ने से पहले तक हर मौके पर अमेरिका भारत का विरोध करता रहा है।

अफगानिस्तान में तालिबान को मदद के बहाने पंजाब और पूर्वोत्तर के अलगाववादियों को अमेरिका ने खुलकर मदद दी। अलगाववादियों को अमरीका से भारत के खिलाफ मुहिम चलाने की खुली छूट है।

भारत में आंतरिक संकट  पैदा करने में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की हमेशा बड़ी भूमिका रही है।

पलाश विश्वास जन्म 18 मई 1958 एम ए अंग्रेजी साहित्य, डीएसबी कालेज नैनीताल, कुमाऊं विश्वविद्यालय दैनिक आवाज, प्रभात खबर, अमर उजाला, जागरण के बाद जनसत्ता में 1991 से 2016 तक सम्पादकीय में सेवारत रहने के उपरांत रिटायर होकर उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर में अपने गांव में बस गए और फिलहाल मासिक साहित्यिक पत्रिका प्रेरणा अंशु के कार्यकारी संपादक। उपन्यास अमेरिका से सावधान कहानी संग्रह- अंडे सेंते लोग, ईश्वर की गलती। सम्पादन- अनसुनी आवाज - मास्टर प्रताप सिंह चाहे तो परिचय में यह भी जोड़ सकते हैं- फीचर फिल्मों वसीयत और इमेजिनरी लाइन के लिए संवाद लेखन मणिपुर डायरी और लालगढ़ डायरी हिन्दी के अलावा अंग्रेजी औऱ बंगला में भी नियमित लेखन अंग्रेजी में विश्वभर के अखबारों में लेख प्रकाशित। 2003 से तीनों भाषाओं में ब्लॉग पलाश विश्वास

जन्म 18 मई 1958

एम ए अंग्रेजी साहित्य, डीएसबी कालेज नैनीताल, कुमाऊं विश्वविद्यालय

दैनिक आवाज, प्रभात खबर, अमर उजाला, जागरण के बाद जनसत्ता में 1991 से 2016 तक सम्पादकीय में सेवारत रहने के उपरांत रिटायर होकर उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर में अपने गांव में बस गए और फिलहाल मासिक साहित्यिक पत्रिका प्रेरणा अंशु के कार्यकारी संपादक।

उपन्यास अमेरिका से सावधान

कहानी संग्रह- अंडे सेंते लोग, ईश्वर की गलती।

सम्पादन- अनसुनी आवाज - मास्टर प्रताप सिंह

चाहे तो परिचय में यह भी जोड़ सकते हैं-

फीचर फिल्मों वसीयत और इमेजिनरी लाइन के लिए संवाद लेखन

मणिपुर डायरी और लालगढ़ डायरी

हिन्दी के अलावा अंग्रेजी औऱ बंगला में भी नियमित लेखन

अंग्रेजी में विश्वभर के अखबारों में लेख प्रकाशित।

2003 से तीनों भाषाओं में ब्लॉग

1971 में बांग्लादेश युद्ध के दौरान पाकिस्तान की मदद करने के लिए भारत के खिलाफ सातवां नौसैनिक बेड़ा अमेरिका ने भेजा था।

मैंने अपने उपन्यास में भारत में अमेरिकी साजिशों और उसकी भारत विरोधी तमाम गतिविधियों का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया है।

The US President cannot be anyone's friend.

अमेरिकी राष्ट्रपति किसी के दोस्त नहीं हो सकते।

विश्व के बड़े राजनेताओं की सबसे ज्यादा हत्याएं अमेरिका ने ही करवाई हैं, ऐसे नेता जो अमेरिका का पिट्ठू थे। अरब देशों में अमेरिकी यद्ध और उसके लोकतंत्र निर्यात के तेल यद्ध आज भी जारी है।

आज तक किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने अमेरिका को इतना भरोसेमंद नहीं माना और न ही किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को अपना दोस्त बताया, उनमें विश्व नेता भी बने। अब ट्रम्प के हर सही गलत कदम के साथ खड़े होने वाले हमारे प्रधानमंत्री को ट्रम्प की इस चेतावनी के बाद अपनी राजनय की मरम्मत जरूर करनी चाहिए।

पलाश विश्वास

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