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अमेरिका से सावधान, मोदीजी के अमेरिकी नस्ली मॉडल से सावधान

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hastakshep
11 Apr 2020
देश बड़ा या दोस्ती ? : मोदी जी ट्रंप से दोस्ती निभाएंगे या देशभक्ति ?

Beware of American racial model of Modiji | The lock down is no longer likely to end early.

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लॉक डाउन अब जल्दी खत्म होने की कोई संभावना नहीं है।

लम्बी अवधि के लिए रोटी रोज़ी के संकट से रूबरू होने के लिए तैयार हो जाएं।

असमानता और अन्याय की  पूंजीवादी साम्राज्यवादी नस्ली फासिस्ट मुक्तबाजारी विश्व व्यवस्था में 99 फीसद जनता गरीबी रेखा के नीचे (Below poverty line) जीने को तेजी से मजबूर हैं।

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डॉ पार्थ बनर्जी न्यूयॉर्क (Dr. Partha Banerjee New York) से लगातार सिलसिलेवार ढंग से अमेरिका और खास तौर पर अमेरिका में मौत के मंजर पर लिख रहे हैं, जिसे मैं लगातार शेयर कर रहा हूँ।

बीबीसी की रपट के मुताबिक अमेरिका और खास तौर पर अमेरिका और खासकर न्यूयॉर्क में बड़ी संख्या में मौतों का कारण असमानता और अन्याय को बताया है।

बीबीसी के मुताबिक अमेरिका में मरने वाले लोगों में ज्यादातर अश्वेत गरीब और नीग्रो, काले और भूरे लोग हैं। जो रोजी रोटी के संकट से जूझते हुए पहले से कुपोषण और गम्भीर बीमारियों के शिकार हैं, जिनके इलाज का कोई बंदोबस्त नहीं है। यह वीडियो मैंने कल ही शेयर किया है।

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यही अमरीकी मॉडल का विकास है, जिसके लिए लगातार भारत के गांव और किसान को खत्म करने की कोशिशें जारी हैं। जिसके लिए उद्योग, काम धंधे, कारोबार बंद करके देश को मुक्तबाजार और विदेशी पूंजी कर हवाले किया जा रहा है। जिसके लिए लोकतांत्रिक विविधता और बहुलता के भारत को अपनी ही जनता के क्रूर दमन के लिए तेज़ी से सैन्य राष्ट्र बनाते हुए नागरिकों के खिलाफ युद्ध घोषणा कर दी गयी है। जिसके लिए तमाम सुधार हैं। नागरिकता कानून और श्रम कानून समेत तमाम कायदे कानून को बदल दिया गया। जनता की बुनियादी जरूरतों और सेवाओं को मुक्त बाजार और पूंजी के हवाले किया जा रहा है। राष्ट्रीय संस्थान और संसाधन निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।

Politics has become corporate and governments are also corporate

पूंजीपतियों को लगातार राहत और टैक्स छूट, कर्ज और पैकेज देकर आम जनता को रोज़ी रोटी से वंचित किया जा रहा है। राजनीति कारपोरेट हो गयी है और सरकारें भी कारपोरेट। संविधान बदलकर मनुस्मृति लागू की जा रही है। देश भर में घृणा और हिंसा का माहौल बनाया जा रहा है। तेज़ शहरीकरण हो रहा है। मातृभाषा और सही तय से किसान मजदूर और जनता को बेदखल किया जा रहा है।

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The double whammy of Corona and lock-down has left 38 crore people unemployed.

कोरोना और लॉक डाउन की दोहरी मार से 38 करोड़ लोग बेरोज़गार हो गए हैं।

एफसीआई में अनाज गोदाम की क्षमता से दो तीन गुना ज्यादा है, लेकिन कोरोना कर्फ्यू में भी यह अनाज जनता को नहीं दिया जा रहा है।। गोदाम भरे हैं, इस बहाने किसानों से अनाज खरीदा नहीं जा रहा है। किसान और युवा, मजदूर और कर्मचारी आत्महत्या कर रहे हैं।

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पलाश विश्वास जन्म 18 मई 1958 एम ए अंग्रेजी साहित्य, डीएसबी कालेज नैनीताल, कुमाऊं विश्वविद्यालय दैनिक आवाज, प्रभात खबर, अमर उजाला, जागरण के बाद जनसत्ता में 1991 से 2016 तक सम्पादकीय में सेवारत रहने के उपरांत रिटायर होकर उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर में अपने गांव में बस गए और फिलहाल मासिक साहित्यिक पत्रिका प्रेरणा अंशु के कार्यकारी संपादक। उपन्यास अमेरिका से सावधान कहानी संग्रह- अंडे सेंते लोग, ईश्वर की गलती। सम्पादन- अनसुनी आवाज - मास्टर प्रताप सिंह चाहे तो परिचय में यह भी जोड़ सकते हैं- फीचर फिल्मों वसीयत और इमेजिनरी लाइन के लिए संवाद लेखन मणिपुर डायरी और लालगढ़ डायरी हिन्दी के अलावा अंग्रेजी औऱ बंगला में भी नियमित लेखन अंग्रेजी में विश्वभर के अखबारों में लेख प्रकाशित। 2003 से तीनों भाषाओं में ब्लॉग पलाश विश्वास

जन्म 18 मई 1958

एम ए अंग्रेजी साहित्य, डीएसबी कालेज नैनीताल, कुमाऊं विश्वविद्यालय

दैनिक आवाज, प्रभात खबर, अमर उजाला, जागरण के बाद जनसत्ता में 1991 से 2016 तक सम्पादकीय में सेवारत रहने के उपरांत रिटायर होकर उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर में अपने गांव में बस गए और फिलहाल मासिक साहित्यिक पत्रिका प्रेरणा अंशु के कार्यकारी संपादक।

उपन्यास अमेरिका से सावधान

कहानी संग्रह- अंडे सेंते लोग, ईश्वर की गलती।

सम्पादन- अनसुनी आवाज - मास्टर प्रताप सिंह

चाहे तो परिचय में यह भी जोड़ सकते हैं-

फीचर फिल्मों वसीयत और इमेजिनरी लाइन के लिए संवाद लेखन

मणिपुर डायरी और लालगढ़ डायरी

हिन्दी के अलावा अंग्रेजी औऱ बंगला में भी नियमित लेखन

अंग्रेजी में विश्वभर के अखबारों में लेख प्रकाशित।

2003 से तीनों भाषाओं में ब्लॉग

जनता के पास न खाने को अनाज है और न बाजार के लिए पैसे हैं। बन्द हो रहे कारखाने खुलेंगे तो भी उनका माल बाजार में खपेगा नहीं। खुदरा कारोबार ई मार्केट ने खत्म कर दिया। अब थोक बाजार, मॉल औऱ शो रूम की बारी है। खेती, नौकरी और उद्योग के बाद कारोबार भी तबाह होने को है।

जाति व्यवस्था और हिंदुत्व के कारपोरेट एजेंडा के कारण दलित, आदिवासी, पिछड़े, गैर हिन्दू, अल्पसंख्यक और दूसरे कमजोर तबके के लोग अमेरिका की तरह भारत में भी अमेरिका की तरह आर्थिक संकट और कोरोना महामारी के शिकार होंगे, जो भुखमरी बेरोजगारी और दूसरी गम्भीर बीमारियों से मरेंगे।

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यही अमेरिकी नस्ली भेदभाव का कारपोरेट मॉडल मोदी मॉडल है, जिसे खूबसूरत मुलम्मे में जनविरोधी मीडिया रात दिन घृणा, हिंसा के धर्मोन्मादी र्राष्ट्रवाद की चासनी के साथ परोस रहा है।

अमेरिका से सावधान।

मोदी के अमेरिकी नस्ली मॉडल से सावधान।

पलाश विश्वास

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