Beware, the dock media has come out openly in the role of the enemy of the country!
गोदी मीडिया अपने आकाओं के इशारे पर निज़ामुद्दीन दिल्ली में तबलीगी जमात के मरकज– Markaz of Tabligi Jamaat in Nizamuddin of Delhi, (धर्मशाला) में मिले 1000 देसी-विदेशी मुसलमानों को कोरोना के संदिग्ध संक्रमित बता कर एक बार फिर देश को साम्प्रदायिक दंगों की आग में झोंकने की भूमिका तैयार करने में जुट गया है। वह पिछले दो महीनों में विदेश से लौटे 15 लाख यात्रियों की कोरोना वायरस जांच में सरकार की बड़ी लापरवाही को छिपाते हुए इन मुसलमानों को खलनायक बनाने की भरपूर कोशिश कर रहा है। जबकि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा का वह पत्र सार्वजनिक हो चुका है जिसमें उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों को कहा है कि ‘पिछले दो महीनों में 15 लाख से ज्यादा यात्री विदेशों से भारत आए लेकिन इन सभी की कोरोना की जांच नहीं हुई है। कोरोना वायरस की जांच हुए लोगों की रिपोर्ट और कुल यात्रियों की संख्या में बड़ा अंतर सामने आ रहा है।’
यही नहीं लॉकडाउन घोषित होने से पहले देश के तथाकथित उच्चवर्गीय लोगों को इसकी सूचना लीक कर उनके परिजनों को विदेशों से चार्टर्ड प्लेन्स से स्वदेश वापस लाने और इसके ठीक उलट देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत मजदूरों को अपने घरों को लौटने का अवसर न देने के बाद उन सबका पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर अपने गांवों को लौटने में पुलिस-प्रशास द्वारा लाठी-डंडों से पीटने, सड़कों पर मुर्गा बनाने, कीटनाशकों से नहलाने, तथा उनके साथ दुर्व्यवहार की अमानवीयता से देशभर में फैले जनाक्रोश को दबाने के लिए गोदी मीडिया ने सरकार की तरफ से मोर्चा संभाल लिया है।
जरा इस गोदी मीडिया की उस कारस्तानी को याद कीजिये कि इसने किस तरह नोटबंदी के समय दो हजार के नोट पर 120 मीटर की गहराई तक रखे नोटों का पता उन पर लगी चिप से लगने की हवाबाजी की थी।
निज़ामुद्दीन में तबलीगी जमात के मामले को जबरन मजहबी रंग देकर कोरोना के इलाज में डॉक्टरों को आ रही समस्याओं, वेंटिलेटर व PPE किट की कमी, लॉक डाउन से पैदा हुई देशव्यापी समस्याओं पर चल रही बहस का रुख मोड़ देने का रामबाण नुस्खा मिल चुका है। पूरे देश में स्थानीय प्रशासन विदेशों से आये लोगों की जांच कर रहा है और कल इसी सिलसिले में दिल्ली के निजामुद्दीन में भी जांच की गई। जहां उसे अनेक लोगों की तबियत खराब मिली। पता चला कि वे जहां-जहां गए, वहां कोरोना से मौतें हुई हैं, यह बात सच है लेकिन इसे जिस तरह से पेश किया जा रहा है, उससे बहुत आसानी से यही निष्कर्ष निकाला जाएगा कि ये लोग देश भर में कोरोना फैलाने के जिम्मेदार हैं जो कि बिल्कुल गलत है।
The dock media is plotting a terrible conspiracy
सरकार के बचाव का एक भी मौका न चूकने वाले इस जनविरोधी गोदी मीडिया (Anti-public Godi media) ने सत्ताधारियों के मुस्लिम विरोधी एजेंडे (Anti-Muslim agenda of the ruling) को ताकत देने के लिए अब यह नया नैरेटिव चालू कर दिया है और कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि लॉकडाउन (Lockdown) की समाप्ति के बाद फिर एक बार देश को ऐसी ही हवाबाजी द्वारा साम्प्रदायिककता की आग में झौंक दिया जाये। जिसके बहाने देश पर हिटलरशाही का कब्जा बहुत आसानी से पूरी तरह हो जाये।
इसकी देखादेखी फेसबुक, ह्वाट्सएप्प, इंस्टाग्राम आदि सोशल प्लेटफार्म्स पर मुस्लिम इलाकों के फोटोशॉप वीडियो खूब फैलाए जा रहे हैं, ताकि लॉकडाउन से फैली अव्यवस्था, वेंटिलेटर तथा PPE किट की कमी से उपजे असंतोष की परिणति हिंसा में हो और उसके संभावित लक्ष्य अभी से तय कर दिये जाएं।
इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि गोदी मीडिया एक भयानक षड्यंत्र रच रहा है जिससे निकट भविष्य में बड़े पैमाने पर मॉब लिंचिग या फिर उससे भी भयानक सामूहिक हिंसा हो सकती है। यह खेल किसके इशारे पर खेला जा रहा है, इसे सब समझते हैं। बहरहाल, यह बिका हुआ मीडिया देश के दुश्मन की भूमिका में खुलकर उतर आया है।
श्याम सिंह रावत
31.3.2020
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
हमें गूगल न्यूज पर फॉलो करें. ट्विटर पर फॉलो करें. वाट्सएप पर संदेश पाएं. हस्तक्षेप की आर्थिक मदद करें