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फिर से भगत सिंह

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hastakshep
23 Mar 2021
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भगतसिंह ने इंक़लाब ज़िंदाबाद कहा गर्व से कहा मैं मनुष्य हूँ और नास्तिक हूँ

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खून से सनी सड़कों पर धूल जम गई है,

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धूल क्या उस पर बहुत सी नई परत चढ़ गई हैं।

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तब उनके खून से सींचे पेड़ों पर आज मीठे फ़ल लदे हैं,

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उन फलों की टोकरियाँ चंद मज़बूत पकड़ वालों की मुट्ठी में हैं।

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कल दरख़्त उखड़ कर इन्हीं सड़कों पर गिरेंगे,

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पत्ते सूख जाएंगे, बबूल उगेंगे, सड़क उखड़ने लगेगी और खून के सूखे धब्बे फिर दिखने लगेंगे।

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मचेगा हाहाकार क्योंकि वक्त भी जवाब मांगता है,

उन खून के धब्बों को फिर से ताज़ा करना होगा।

क्या रक्त बहाने वालों की कमी होगी,

क्या हिन्द का रक्त पानी हो चुका होगा।

आज धर्म, जाति, ज़मीन पर बांटने वाले भूल गए हैं कि तब भी यहां बांटने वाले थे तो खून बहा देश बचाने वाले भगत भी थे।

देखा है हमने तुम्हारा खेल, इतिहास तुम पर थूकेगा। भारत माँ के लालों पर कहीं डंडे बरसे हैं तो कहीं उन्होंने राजद्रोह का मुकदमा झेला है।

गांधीवाद के नाम की तुम अब तक खाते हो पर उन्हीं के आदर्शों को कुचलते आगे बढ़ते हो।

कब तक!!! अब एक नहीं,

फिर से भगत सिंह।।

हिमांशु जोशी।

himanshu joshi jouranalism हिमांशु जोशी, पत्रकारिता शोध छात्र, उत्तराखंड।

himanshu joshi jouranalism हिमांशु जोशी, पत्रकारिता शोध छात्र, उत्तराखंड।





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