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The big majority of people in five key countries want stricter regulation on air pollution
Results support calls for governments to prioritise clean air in COVID-19 recovery packages
नई दिल्ली 19 जून, 2020 ; क्लीन एयर फंड (Clean Air Fund) द्वारा एक सर्वे में सामने आया है कि देश के 85फीसदी लोग चाहते हैं कि वायु प्रदूषण पर नकेल कसने के लिये कठोर कानून (Stricter laws to curb air pollution) लाया जाये और नियमों का पालन किया जाये। साथ ही 90 फीसदी भारतीय अपने शहर की हवा को साफ देखना चाहते हैं।
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सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य और पर्यावरण का खतरा माना है।
क्लीन एयर फंड के कार्यकारी निदेशक जेन बर्स्टन का कहना है,
‘दुनिया भर के लोग अपनी सरकार से साफ हवा की मांग कर रहे हैं। लॉकडाउन जैसे ही खत्म होगा और आर्थिक गतिविधि शुरु होगी, लोग फिर से खराब हवा में सांस नहीं लेना चाहते।’
क्लीन एयर फंड ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिये एक विशेष स्वास्थ्य और पर्यावरण नीति (A special health and environmental policy to deal with air pollution) बनाने, कोरोना संकट से निपटने के लिये जारी आर्थिक पैकेज में वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय पर फोकस करने, पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए शहर की सड़कों को अनुकूल बनाने, और लॉकडाउन के दौरान अनुभव किये साफ हवा और नीले आकाश को जारी रखने के लिये नीति बनाने की मांग की है।
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सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि :
- अधिकांश भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण सीधे तौर पर उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है
- भारत के निवासियों के लिए संक्रामक रोगों के साथ-साथ वायु प्रदूषण शीर्ष जनस्वास्थ्य की चिंता है
- अधिकांश भारतीयों को लगता है कि वायु प्रदूषण के ऐसे स्तरों के बीच रहने से न सिर्फ़ कोविड-19 जैसे वायरस से संक्रमित होने की सम्भावना बढ़ती है, उस संक्रमण के गंभीर के गम्भीर रूप लेने, और फिर उससे न उबर पाने की भी सम्भावना बढ़ जाती है.
- अधिकांश भारतीयों ने लॉकडाउन के बाद वायु की गुणवत्ता में सुधार महसूस किया है
- अधिकांश भारतीयों को लगता है कि उनके स्थानीय क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए
- वायु की स्वच्छता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नीतिगत उपायों के लिए जनता का भारी समर्थन है।
लगभग सभी भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है -
- 94फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि वायु प्रदूषण उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है
- 60फीसदी उत्तरदाता सोचते हैं कि यह उनके स्वास्थ्य को गम्भीर रूप से प्रभावित करता है
- 30फीसदी उत्तरदाता सोचते हैं कि यह उनके स्वास्थ्य को काफ़ी हद तक प्रभावित करता है
अधिकांश भारतीय वायु प्रदूषण को संक्रामक रोगों की तरह ही एक चिंतनीय जनस्वास्थ मुद्दा मानते हैं
- 86फीसदी उत्तरदाता वायु प्रदूषण को एक जन स्वास्थ्य मुद्दा मान उसके लिए चिंतित हैं
- चिंता का यह स्तर न सिर्फ़ संक्रामक बीमारियों के साथ है, जलवायु परिवर्तन (80फीसदी), मानसिक स्वास्थ्य (73फीसदी), नशीले पदार्थ और शराब (71फीसदी), धूम्रपान (68फीसदी) और मोटापे (65फीसदी) जैसी समस्याओं से आगे है।
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अधिकांश भारतीयों को लगता है कि वायु प्रदूषण के ऐसे स्तरों के बीच रहने से न सिर्फ़ कोविड-19 जैसे वायरस से संक्रमित होने की सम्भावना बढ़ती है, उस संक्रमण के गंभीर के गम्भीर रूप लेने, और फिर उससे न उबर पाने की भी सम्भावना बढ़ जाती है.
- उत्तरदाताओं से जब पूछा गया कि क्या ‘उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहने से यह संभव है कि कोई व्यक्ति COVID-19 से संक्रमित हो जायेगा?’ तब 63फीसदी ने जवाब हाँ में दिया
- उत्तरदाताओं से जब पूछा गया कि ‘क्या उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहने से यह संभव है कि कोई व्यक्ति COVID-19 से गंभीर रूप से बीमार हो जाए’, तो 67फीसदी ने कहा कि यह सच है
- जब पूछा गया कि ‘उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहना किसी व्यक्ति के लिए कोविड-19 से उबरना कठिन कर देता है’ तब 74फीसदी ने जवाब हाँ में दिया
अधिकांश भारतीयों ने, कोविड-19 के फैलने के बाद, व्यक्तिगत रूप से वायु की गुणवत्ता में सुधार देखा है।
- 87फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने के बाद से उन्होंने व्यक्तिगत रूप से वायु की गुणवत्ता में सुधार अनुभव किया है।
अधिकांश भारतीयों ने माना कि उद्योग जगत वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है
- जहाँ 69फीसदी उत्तरदाताओं ने उद्योग जगत को वायु प्रदूषण में योगदान करते पाया, वहीँ सड़क परिवहन को 64फीसदी, निर्माण क्षेत्र को 26फीसदी, ऊर्जा उत्पादन को 20फीसदी, और जलावन लकड़ी को 18फीसदी उत्तरदाताओं ने वायु प्रदूषण के योगदानकर्ता के रूप में माना।
अधिकांश भारतीयों को लगता है कि उनके स्थानीय क्षेत्र में की वायु की स्वच्छता और गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए
- 94फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि उनके स्थानीय क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए
- 52फीसदी का कहना है कि इसमें 'बहुत' सुधार होना चाहिए
निम्नलिखित उपायों के रूप में कोविड-19 महामारी के समाप्त होने के बाद वायु प्रदूषण के स्तरों को नियंत्रित और सीमित करने के उपायों के लिए भारत की जनसंख्या में समर्थन के उच्च स्तर हैं.
- सख्त कानून और / या वायु गुणवत्ता के नियमों का प्रवर्तन (85फीसदी समर्थन)
- लोगों और व्यवसायों को परिवहन के पर्यावरण-अनुकूल स्वरूपों (जैसे कम प्रदुषण करने वाले वाहन, सार्वजनिक परिवहन, पैदल चलना और साइकिल चलाना) (84फीसदी समर्थन) के उपयोग में सहायता और प्रोत्साहन
- शहरों में स्वच्छ वायु क्षेत्रों को बढ़ावा देना (जैसे सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर अधिक शमन शुल्क लिया जाना) (84फीसदी समर्थन)
- संक्रमण नियंत्रण उपायों को ध्यान में रखते हुए बेहतर सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को सुनिश्चित करना (अधिक सेवा आवृत्ति) (83फीसदी समर्थन)
- सडकों पर चलने और/या साइकिल चलाने के लिए उनके मौजूदा उपयोग का पुनरावलोकन (82फीसदी समर्थन)
- इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में अधिक निवेश (82फीसदी समर्थन)
- खाना पकाने और हीटिंग के लिए लोगों को अपने घर में पर्यावरण-अनुकूल ईंधन का उपयोग करने में मदद और प्रोत्साहन (80फीसदी समर्थन)
- गैस बॉयलरों की जगह विद्युत बॉयलरों के प्रयोग के लिए एक सरकारी योजना (78फीसदी समर्थन)
- खाना पकाने और हीटिंग के लिए घरों में प्रदूषणकारी ईंधन के उपयोग पर प्रतिबंध (76फीसदी समर्थन)
- नई सड़कों पर खर्च करने की जगह सार्वजनिक परिवहन पर खर्च करना (73फीसदी समर्थन)
- निजी / व्यक्तिगत वाहनों से प्रति मील आवागमन के आधार से शुल्क वसूलना (59फीसदी समर्थन)।