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उत्तर प्रदेश और बिहार में सोलर माइक्रोग्रिड लगाने के लिए जारी हुई अब तक की सबसे बड़ी वित्तीय मदद
Biggest ever financial help released for setting up solar microgrids in Uttar Pradesh and Bihar
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 140 माइक्रोग्रिड बनाने के लिए इस कंपनी को मिला आईआरईडीए से US$4 मिलियन का ऋण | This company got a loan of US $ 4 million from IREDA to build 140 microgrids in rural areas of India
नई दिल्ली, 17 फरवरी 2022. एक घटनाक्रम में, ग्रामीण भारत में लगभग डेढ़ सौ सोलर माइक्रोग्रिड लगाने के लिए इंडिया रिन्यूबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (India Renewable Energy Development Agency) (IREDA) ने सवा चार मिलियन डॉलर का ऋण जारी किया है।
क्यों मिला है यह ऋण?
यह ऋण मिला है अफ्रीका और एशिया के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा सेवा क्षेत्र कि अग्रणी कंपनी और भारत में सौर ऊर्जा माइक्रोग्रिड समुदाय (Solar Energy Microgrid Community in India) की सबसे बड़े बेड़े की संचालक, हस्क पावर को।
कंपनी ने कल IREDA से 310 मिलियन रुपये ($4.2 मिलियन) के ऋण वित्तपोषण प्राप्त करने की आधिकारिक घोषणा की है।
पर्यावरणविद, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सीमा जावेद ने बताया कि यह घोषणा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आने वाले दिनों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की सूचक है।
गौर करने वाली बात ये है कि इस वित्त पोषण के साथ ही हस्क पावर अलग से $18 मिलियन जुटाने की कवायद में लगी है और इस राशि का उपयोग प्रोजेक्ट को तेज़ी से शुरू करने में किया जाएगा। आगे इक्विटी निवेश जुटाने कि कार्यवाई भी कतार में है।
डॉ. जावेद ने बताया कि हस्क पावर ने भारत और अफ्रीका में एक बेहद मजबूत प्रोजेक्ट पाइपलाइन का निर्माण किया है और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2025 तक कंपनी लगभग 1,300 ग्रिड का संचालन कर रही होगी।
आईआरईडीए से मिली वित्तीय मदद दरअसल जर्मन डेव्लपमेंट बैंक द्वारा भारत में ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए जारी कि गयी वित्तीय मदद का हिस्सा है। इस ऋण की मदद से हस्क पावर उत्तर प्रदेश और बिहार में 140 सोलर माइक्रोग्रिडस की स्थापना करेगी।
यहाँ जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वो ये है कि आईआरईडीए द्वारा किया जा रहा यह वित्त पोषण इस क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा वित्तपोषण है।
क्या है आईआरईडीए?
आईआरईडीए एक राज्य के स्वामित्व वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था है जो कि भारत सरकार आईआरईडीए के नियंत्रण और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के अंतर्गत आती है। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य रिन्यूबल एनर्जी परियोजनाओं (renewable energy projects) को बढ़ावा देना, विकसित करना और वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए हस्क पावर के सीईओ और को फाउंडर मनोज सिन्हा कहते हैं, "यह वित्त पोषण साफ दर्शाता है भारत सरकार के लिए अपने नेट ज़ीरो लक्ष्यों को हासिल करने में माइक्रोग्रिडस के विकास की एहम भूमिका है। साथ ही, यह घटनाक्रम हस्क पावर के लिए भी मतावपूर्ण है क्योंकि ऐसा वाणिज्यिक पैमाने हासिल करने वाली वह पहली कंपनी बनी है और इससे कंपनी को बेहद बल मिलेगा।” वो आगे उम्मीद जताते हैं कि इस वित्तीय मदद से वो अपना साल 2025 तक अपने माइक्रोग्रिड बेड़े को 10 गुना बढ़ाने के लक्ष्य को भी हासिल कर लेंगे।
गौरतलब है कि हस्क पावर ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के साथ एक एनर्जी कॉम्पेक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें भारत, नाइजीरिया और दक्षिण के अन्य देशों में 2030 तक 1 मिलियन कनेकश्न्स के साथ 5,000 माइक्रोग्रिड के निर्माण की प्रतिबद्धता है।