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अब बिहार किधर

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hastakshep
19 Nov 2020
New Update
गुलामी से मुक्ति : बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े मुद्दे की अनदेखी!

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21 नवम्बर 2020 को आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय समिति और आंमत्रित लोगों की गूगल मीट पर आयोजित वर्चुअल बैठक के लिए नोट

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Note for the Virtual Meeting of the National Committee of All India People's Front and Invited People held on Google Meet on 21 November 2020

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एआईपीएफ की 21 नवम्बर को आयोजित वर्चुअल राष्ट्रीय समिति की विस्तारित बैठक में बिहार चुनाव की समीक्षा और ‘अब बिहार किधर’ पर चर्चा होगी।

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एआईपीएफ ने यह महसूस किया है कि गहरे बिखराव, आपसी खींचातान और संकट के दौर से गुजरी नीतीश के अगुवाई वाली एनडीए सरकार की पुनर्वापसी ने लोकतांत्रिक, प्रगतिशील ताकतों को चिंतित किया है और यह नोट किया है कि बिहार मौजूदा महागठबंधन की राजनीति से आगे जाकर अपराध और भ्रष्टाचार मुक्त लोकतांत्रिक राजनीति का विस्तार चाहता है।

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बिहार की जनता को आश्वस्त भी करना होगा कि रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य का मुद्दा महज चुनावी नारेबाजी नहीं है बल्कि इसके लिए आर्थिक नीतियों में बदलाव और राजकोषीय घाटे से निपटने के नाम पर बनाया गया राजकोषीय जबाबदेही और बजट प्रबंधन अधिनियम 2003 ; (Fiscal Responsibility and Budget Management Act 2003 FRBM)  कानून को भी रद्द करना होगा। क्योंकि जब तक यह कानून रहता है तब तक रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और जनकल्याण के लिए पर्याप्त मद का आवंटन सम्भव नहीं होगा।

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     आगामी बंगाल विधानसभा चुनाव की राजनीतिक दिशा पर भी एआईपीएफ की बैठक में चर्चा होगी। एआईपीएफ वाम सर्किल में बंगाल की चुनावी दिशा पर चल रही बहस को अनावश्यक मानता है। क्योंकि भाजपा के विरूद्ध सभी वामपंथी, प्रगतिशील, लोकतांत्रिक राजनीतिक ताकतों की धार है लेकिन आमतौर पर लोगों का यह मानना है कि ममता सरकार के भ्रष्टाचार और लोकतंत्र विरोधी दमन की कार्यवाही ने भाजपा को बंगाल में विस्तार दिया है, न कि केवल उसकी हिन्दुत्व की राजनीति ने।

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जहां तक ओवैसी जैसे लोगों को भाजपा विरोधी पैन अपोजीशन में शरीक किया जाए या नहीं की बात है। लोगों का यह भी मानना है कि जो समुदाय या जाति आधारित राजनीतिक संगठन है यदि उनकी राजनीतिक दिशा समाज और राज्य के जनतंत्रीकरण के लिए नहीं है तो उनकी राजनीति अंत्तोगत्वा अधिनायकवाद को ही मजबूत करती है, उनसे सचेत रहने की जरूरत है। इस नोट को राष्ट्रीय कार्यसमिति और आमंत्रित सदस्यों के लिए जारी किया जा रहा है ताकि बैठक से पूर्व वह इस पर विचार कर ले और 21 नवम्बर की बैठक में खुलकर अपना विचार रखें।

एस. आर. दारापुरी

राष्ट्रीय प्रवक्ता

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट

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