बीजेपी का भविष्य
कई पत्रकार, वेबसाइट और टीवी चैनल कह रहे हैं कि बीजेपी की जनप्रियता गिर रही है और इसलिए उसका भविष्य अंधकारमय हैI (संदर्भ के लिए लेख के अंत में यूट्यूब लिंक देखें)
यह स्वघोषित बुद्धिजीवी पत्रकार फरवरी 2022 के उत्तर प्रदेश विधान सभा के आगामी चुनाव के बारे में अटकलें लगा रहे हैं कि इसमें बीजेपी की दुर्दशा होगी, जिसका संकेत हाल के उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव से मिलता है।
यह सही है कि इस वक़्त बढ़ती बेरोज़गारी, कोरोना महामारी आदि से बीजेपी की जनप्रियता घटी हैI पर यह तथाकथित बुद्धिजीवी पत्रकार एक बात भूल जाते हैं : जनता की याददाश्त कमज़ोर और अल्पदृष्टि से युक्त होती है ( public memory is short ) I
अभी भी उत्तर प्रदेश के चुनाव आने में आठ महीने हैंI इस बीच कई घटनाएं हो सकती हैं, उदाहरणस्वरूप वाराणसी का ज्ञानव्यापी मस्जिद और मथुरा का शाही मस्जिद कुछ तत्वों द्वारा गिराया जा सकता है, जैसा कि बाबरी मस्जिद का हाल हुआ, और सांप्रदायिक दंगे बड़े पैमाने पर आयोजित करवाए जा सकते हैं, जैसे गुजरात में 2002 में हुए या 2013 में मुज़फ्फरनगर मेंI यह सब चुनाव आने के एक दो महीने पहले करवाए जा सकते हैं, और इन पर उत्तर प्रदेश पुलिस आँख मूंदे रहेगी क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार हैI
अपनी गिरती लोकप्रियता देखते हुए ऐसी घटनाएं निश्चित होंगी जैसे 2019 के लोकसभा चुनाव के पूर्व बालाकोट पर हमला, जिसके बाद कहा गया “हमने घर में घुस कर मारा है”, और भारत के नागरिकों ने खूब तालियां बजायींI
मैंने कई बार कहा है कि भारत के 90% लोग बेवक़ूफ़ और भावुक होते हैं, न कि समझदारI वोट डालते समय जाति-बिरादरी देखते हैं न कि असल मुद्दे जैसे गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी और स्वास्थ्य लाभ का अभाव आदि। इसलिए उन्हें आसानी से झांसा दिया जा सकता हैI इंदिरा गाँधी ने ग़रीबी हटाओ का नारा दिया और जनता ने समझा अब तो ग़रीबी निश्चित हटेगीI मोदी ने विकास का नारा दिया और लोग समझे अब अवश्य विकास होगाI
हमारे संविधान में लिखा है कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है पर वास्तविकता कुछ और ही हैI भारत में अधिकांश हिन्दू सांप्रादायिक होते हैं और अधिकांश मुसलमान भीI साम्प्रदायिक भावनाएं आसानी से भड़कायी जा सकती हैं और चुनाव जब निकट होंगे तो ऐसा अवश्य होगाI क्योंकि हमारी 80% आबादी हिन्दू है इसलिए बीजेपी फिर चुनाव जीतेगी और सत्ता में आएगीI
जस्टिस मार्कंडेय काटजू
(लेखक प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन और सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश हैं।)
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