विपक्ष की लोकतांत्रिक गतिविधियों को कुचल कर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में जुटी है राज्य सरकार
लखनऊ – 26 मई, 2021, उत्तर प्रदेश में क्या हक के लिए आवाज उठाना गुनाह है? क्या शांतिपूर्ण तरीके से वह भी घर या दफ्तरों में प्रतिरोध जताना अपराध है? यदि नहीं तो वामपंथी दलों के कार्यालयों को पुलिस भेज कर खंगालना, उनकी घेराबंदी करना तथा नेताओं कार्यकर्ताओं को नजरबन्द करने का कानूनी औचित्य क्या है? क्या उत्तर प्रदेश सरकार लोगों के साथ साथ लोकतंत्र की हत्या की गुनहगार नहीं है?
और यदि गुनहगार है तो उसकी सजा तय होनी चाहिए, सजा मिलनी चाहिये। कौन तय करेगा सजा, कौन देगा ये सजा? कोई तो संवैधानिक आथारिटी होगी? वो कब ध्यान देगी।
उपर्युक्त सवालात आज यहां भाकपा के राज्य सचिव मंडल ने अपने एक प्रेस बयान में दागे।
भाकपा सचिव मंडल किसानों- कामगारों के काले दिवस को समर्थन प्रदान करने पर वामदलों के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये पर प्रतिक्रिया जता रहा था।
भाकपा ने कहा कि सभी को मालूम था कि यह प्रतिरोध शांतिपूर्ण तरीके से होना था। घरों या दफ्तरों पर काले झंडे लगाने, काली पट्टियां बांधने तथा कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करने के स्पष्ट निर्देश थे। वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं के अनुशासन के बारे में सभी जानते हैं। फिर भी योगी सरकार ने वामदलों के कार्यालयों पर रेड करायी, जगह जगह नेताओं/ कार्यकर्ताओं को नजरबन्द किया और जहां प्रोटोकाल का पालन करते हुए निर्धारित जगहों पर धरने आदि हुये, उन स्थलों को छावनी में बदल दिया गया।
इस सबका क्या औचित्य था? निश्चय ही इसका कोई औचित्य नहीं था। इसका एक ही अर्थ है कि योगी सरकार विपक्ष की लोकतांत्रिक गतिविधियों को कुचल कर केवल अपने एजेंडे को चलाना चाहती है। वह सरकार जो महामारियों से लोगों के प्राण बचाने के दायित्व में पूरी तरह फेल हो चुकी है। और अब स्थिति सुधर रही है तो बेशर्मी से अपनी तारीफों के पुल बांध रही है। इतना ही नहीं कोविड समीक्षा की आड़ में मुख्यमंत्री ने सरकारी संसाधनों के बल पर आगामी चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
भाकपा ने कहा कि सरकार की तमाम दमनकारी कार्यवाहियों के बावजूद प्रदेश में किसानों- कामगारों का काला दिवस कामयाब रहा और समर्थक दलों ने भी सरकार के कुत्सित इरादों को आईना दिखाया। भाकपा ने सभी प्रतिरोधियों को प्रतिरोध जताने के लिये बधायी दी है।
भाकपा ने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रदेश के विपक्षी दल राज्य सरकार की इन लोकतंत्र विरोधी कार्यवाहियों पर कड़ा प्रतिरोध जताएं। इस हेतु संयुक्त रणनीति बनाने का यह सबसे उचित समय है, भाकपा ने जोर देकर कहा है।
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