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बैंक कर्मचारी व अधिकारी भी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में

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hastakshep
31 Jan 2020
बैंक कर्मचारी व अधिकारी भी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में

रांची, 31 जनवरी 2020. संसद का बजट सत्र (Budget Session of Parliament) आज से प्रारंभ हो चुका है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्णकालिक बजट कल यानी कि 1 फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जरिए सदन के पटल पर आर्थिक सर्वे पेश किया जा चुका है।

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बजट सत्र की शुरुआत में संसद के दोनों सदन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए अन्य बातों के अलावे यह भी कहा कि मेरी सरकार भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया-भर से आनेवाली चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत है, हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 450 बिलियन डॉलर से भी ऊपर के ऐतिहासिक स्तर पर है। दिवाला और दिवालियापन संहिता की वजह से बैंकों और अन्य संस्थानों के करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रूपये वापस भी आए हैं।

राष्ट्रपति के इस भाषण, जोकि सरकार का नीतिगत बयान ही होती है, के इतर आज से देश के तमाम सार्वजनिक बैंकों के लगभग 10 लाख कर्मचारी व अधिकारी ‘यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू)’ के बैनर तले दो दिवसीय (31 जनवरी से 01 फरवरी 2020) ‘राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल(Nationwide bank strike) पर हैं।

मालूम हो कि बैंक कर्मचारी नवंबर 2017 से ही सैलरी बढ़ाने समेत कई सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू)- United Forum of Bank Unions (UFBU) के 9 घटकों के प्रतिनिधियों ने इंडियन बैंक संघ (आइबीए) के साथ कई दौर की द्विपक्षीय वार्ता की, जिसमें वेतन बढ़ोतरी समेत कई मांगों को ठुकरा दिया गया। आइबीए ने 12.25 और 13.50 फीसदी वेतन वृद्धि का ऑफर दिया, लेकिन बैंककर्मियों की 20 प्रतिशत वेतन वृद्धि, मूल वेतन के साथ विशेष भत्ते के विलय और हफ्ते में 5 दिन कार्य के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

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What is United Forum of Bank Unions (UFBU)

‘यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू)’ बैंक के कई कर्मचारी व अधिकारी संगठनों का एक निकाय है, जिसमें ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआइबीओसी), ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एशेसिएशन (एआइबीइए), नेशनल ऑर्गिनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्लू), एनसीबीइ, एआइबीओए, बीइएफआइ, आइएनबीइएफ, आइएनबीओसी और एनओबीओ शामिल है।

What are the 12 point demands of the United Forum of Bank Unions (UFBU)

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इनकी 12 सूत्रीय मांगें निम्नलिखित हैं-

  1. ‘‘पे-स्लिप कम्पोनेन्ट पर 20 प्रतिशत वृद्धि एवं उचित लोडिंग के साथ वेतन पुनरीक्षण समझौता,
  2. 5 दिवसीय बैंकिंग,
  3. मूल वेतन के साथ विशेष भत्तों का विलय,
  4. नई पेंशन योजना (एनपीएस) को समाप्त किया जाए,
  5. पेंशन को अपडेशन किया जाए,
  6. परिवार के पेंशन में सुधर किया जाए,
  7. ऑपरेटिंग लाभ के आधार पर कर्मचारी कल्याण निधि के लिए रकम जारी किया जाए,
  8. सेवानिवृति लाभों पर बिना किसी सीमा के आयकर में छूट दिया जाए,
  9. बैंक की सभी शाखाओं में व्यवसाय का समय व भोजनावकाश का समय आदि में एकरूपता लाया जाए,
  10. अवकाश बैंक को प्रारंभ किया जाए,
  11. अधिकारियों के लिए कार्य का समय निश्चित किया जाए व
  12. कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों/व्यापार प्रतिनिधियों को समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए।

बैंक हड़ताल का झारखंड में प्रभाव - Bank strike effect in Jharkhand

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झारखंड के मुख्य सार्वजनिक बैंकों में से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की 561 ब्रांच, बैंक ऑफ इंडिया की 492 ब्रांच, इलाहाबाद बैंक की 147 ब्रांच, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया व यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की सैकड़ों ब्रांच समेत सार्वजनिक बैंकों की लगभग 2500 शाखाओं पर कामकाज पूरी तरह से ठप्प है। हड़ताल में राज्य भर के लगभग 2800 बैंककर्मी व अधिकारी प्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। ये यभी बैंक के सामने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं। ये सभी मोदी सरकार से इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में है।

एआइबीओसी के झारखंड राज्य के महासचिव सुनील लकड़ा कहते हैं कि

’‘केन्द्रीय कर्मियों के वेतन से जुड़े मुद्दों पर तुरंत निर्णय लिया जाता है, लेकिन भारतीय बैंक संघ के साथ 36 बैठकों के बाद भी बैंककर्मियों की मांगें नवंबर 2017 से ही लंबित है। भारतीय बैंक संघ के अडि़यल रूख के कारण हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इस हड़ताल के बाद एक बार फिर से बातचीत की कोशिश की जाएगी, अगर बातचीत नहीं बनती है, तो मार्च में 11, 12 और 13 को तीन दिनों की हड़ताल की जाएगी। उसके बाद भी शर्त नहीं मानने पर 1 अप्रैल 2020 से राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन बैंक हड़ताल की जाएगी।’’

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आज जारी हड़ताल के बीच ही मैं झारखंड के रामगढ़ जिला की एसबीआइ की मुख्य शाखा में पहुंचा। जब मैं वहां गया तो उस वक्त दिन के लगभग 12 बजने वाले थे। बैंक में ताला लटक रहा था, एटीएम से कुछ लोग पैसा निकाल रहे थे। बैंक के ऑफिसर व कर्मचारी बाहर में कुर्सी व बेंच लगाकर लगभग 2 दर्जन की संख्या में बैठे हुए थे। कुछ ही देर में ‘यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स, रामगढ़’ के बैनर तले अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाते हुए और 2 दर्जन बैंक कर्मचारी व ऑफिसर आ गये, फिर सभी मिलकर नारे लगाने लगे।

मौके पर मौजूद एसबीआई स्टाफ एसोसिएशन के असिस्टेन्ट जेनरल सेक्रेटरी मंजीत साहनी ने कहा कि बैंक हड़ताल पूरे झारखंड में अभूतपूर्व है और यहां पर रामगढ़ में स्थित सभी बैंक के कर्मचारी व अधिकारी एकत्रित हुए हैं। हमारी मांगे जायज है और सरकार को हमारी मांगे माननी ही होगी।

उस वक्त वहां पर एसबीआई स्टाफ एसोसिएशन के जोनल सेक्रेटरी भरत साहू, इंदु कुमारी, शशि भूषण, एसके रजक, राजेश सहाय, डी. तरफदार, राजेन्द्र प्रसाद, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अशोक राय, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के बंशी साहू, मदन कुमार सिंह, बैंक ऑफ इंडिया के संजय बनर्जी, अंकिता गोराई, रानी सिंह, सुनीता कुमारी, अमित कुमार दूबे आदि मौजूद थे, जिनकी आंखों में सरकार के प्रति गुस्सा और अपनी मांगों के प्रति दृढ़ निश्चय दिखाई दे रहा था।

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ठीक 2020-21 के आम बजट पेश होने के एक दिन पहले प्रारंभ हुई इस हड़ताल ने यह साबित कर दिया है कि सरकार के प्रति अब बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों का गुस्सा भी फूटने लगा है, जो भविष्य में सरकार के लिए गले की फांस बन सकती है। 8 जनवरी 2020 को केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों की एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भी ये लोग शामिल हुए थे और देश के करोड़ों मजदूर साथियों के साथ एकता का इजहार किया था। आज जब देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है व सार्वजनिक बैंकों की कमर टूट चुकी है और सरकार झूठ बोलकर लोगों को भरमाने में लगी है। आज जब सरकार की उदारीकरण, निजीकरण व भूमंडलीकरण की नीतियों के कारण हमारे देश का बैंकिंग सेक्टर खतरे में है, तो हम कह सकते हैं कि यह हड़ताल राष्ट्रीयकृत बैंकों को बचाने के लिए की जा रही है। सरकार अपने कर्मचारियों की हितैषी होने का लगातार दावा करते रहती है, ऐसे वक्त में बैंक कर्मचारियों व बैंक अधिकारियों की अपनी जायज मांगों के समर्थन में जारी यह हड़ताल सरकार के झूठ को बेनकाब कर दे रही है।

रूपेश कुमार सिंह

स्वतंत्र पत्रकार

 

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