Burning effigy of corporate Ambani Adani at Ambedkar Park in Badaun on the call of the farmers' movement
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मोदी सरकार के तीन काले कृषि कानूनों के विरुद्ध दिल्ली बार्डर पर जारी किसान आंदोलन का लोकमोर्चा ने किया समर्थन
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बड़े पूँजीघरानों की गुलाम है मोदी सरकार - अजीत यादव
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बदायूँ, 5दिसम्बर, संघ -भाजपा की मोदी सरकार लुटेरे कॉरपोरेट घरानों अम्बानी -अडानी और अमेरिकी कंपनियों की गुलामी कर किसानों, मजदूरों, गरीबों समेत आम जनता और देश से गद्दारी कर रही है। वह किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों समेत आम जनता के खिलाफ काले कानून बना रही है। देश की संपदा, संसाधनों, रेलवे -बीमा -बैंक समेत पब्लिक सेक्टर के उपक्रमों, जल, जंगल, जमीन, खेती किसानी समेत जनता की पूंजी पर देशी विदेशी बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों का कब्जा करवा रही है। इस कॉरपोरेट लूट के विरुद्ध देश की जनता एकजुट न हो सके इसके लिए संघ -भाजपा और मोदी सरकार समाज में नफरत फैलाने, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने और लोकतंत्र को खत्म कर तानाशाही लादने की फासीवादी परियोजना पर काम कर रहे हैं।
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उक्त बातें लोकमोर्चा के संयोजक अजीत सिंह यादव ने आज बदायूँ के अम्बेडकर पार्क में अम्बानी अडानी आदि बड़े कॉरपोरेट घरानों के पुतला दहन के मौके पर कहीं।
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दिल्ली बार्डर पर जारी किसान आंदोलन के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर लोकमोर्चा द्वारा आज अम्बानी अड़ानी का पुतला जलाया गया और किसान आंदोलन को समर्थन दिया गया। कार्यक्रम में महाराम सिंह लोध, रंजीत यादव, विनोद समेत लोकमोर्चा के कई कार्यकर्ता शामिल रहे।
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लोकमोर्चा संयोजक ने कहा कि जनता की पूंजी से लगी पब्लिक सेक्टर की कंपनियों और उपक्रमों को बड़े पूँजीघरानों को बेच रही मोदी सरकार ने खेती किसानी और कृषि खाद्यान्न बाजार पर देशी विदेशी कॉरपोरेट कंपनियों का कब्जा कराने को कृषि के तीन काले कानून पारित किए हैं। किसान आंदोलन खेती किसानी और कृषि खाद्यान्न बाजार को देशी विदेशी कॉरपोरेट कंपनियों के कब्जे से बचाने के लिए चल रहा है।
किसान आंदोलन समाचार
उन्होंने कहा कि देशी विदेशी बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों और सरकारी संरक्षण में उनके द्वारा की जा रही लूट से प्रभावित किसान, मजदूर, व्यापारी, कर्मचारी, आदिवासी आदि सभी वर्गों सहित साम्प्रदायिक फासीवादी हमलों के शिकार समाज के सभी तबकों -बंचितों को एक संयुक्त राजनीतिक मंच बनाकर संघर्ष को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि आज देश को लुटेरे कॉरपोरेट घरानों और साम्प्रदायिक फडीवादी ताकतों से मुक्ति के लिए नए जनपक्षधर विकल्प की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन केवल तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि जनपक्षधर विकल्प के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ेगा और साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों को मुकम्मल शिकस्त देगा।