Advertisment

किसान आंदोलन के आह्वान पर बदायूँ के अम्बेडकर पार्क में लुटेरे कॉरपोरेट अम्बानी अडानी का पुतला जलाया

author-image
hastakshep
05 Dec 2020
कृषि संबंधी नए कानून और एमएसपी : भाजपा ने अपने घोषणापत्र, संकल्पपत्र को तो जुमला कह दिया !

Advertisment

Burning effigy of corporate Ambani Adani at Ambedkar Park in Badaun on the call of the farmers' movement

Advertisment

मोदी सरकार के तीन काले कृषि कानूनों के विरुद्ध दिल्ली बार्डर पर जारी किसान आंदोलन का लोकमोर्चा ने किया समर्थन

Advertisment

बड़े पूँजीघरानों की गुलाम है मोदी सरकार - अजीत यादव

Advertisment

बदायूँ, 5दिसम्बर, संघ -भाजपा की मोदी सरकार लुटेरे कॉरपोरेट घरानों अम्बानी -अडानी और अमेरिकी कंपनियों की गुलामी कर किसानों, मजदूरों, गरीबों समेत आम जनता और देश से गद्दारी कर रही है। वह किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों समेत आम जनता के खिलाफ काले कानून बना रही है। देश की संपदा, संसाधनों, रेलवे -बीमा -बैंक समेत पब्लिक सेक्टर के उपक्रमों, जल, जंगल, जमीन, खेती किसानी समेत जनता की पूंजी पर देशी विदेशी बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों का कब्जा करवा रही है। इस कॉरपोरेट लूट के विरुद्ध देश की जनता एकजुट न हो सके इसके लिए संघ -भाजपा और मोदी सरकार समाज में नफरत फैलाने, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने और लोकतंत्र को खत्म कर तानाशाही लादने की फासीवादी परियोजना पर काम कर रहे हैं।

Advertisment
उक्त बातें लोकमोर्चा के संयोजक अजीत सिंह यादव ने आज बदायूँ के अम्बेडकर पार्क में अम्बानी अडानी आदि बड़े कॉरपोरेट घरानों के पुतला दहन के मौके पर कहीं।

Advertisment

दिल्ली बार्डर पर जारी किसान आंदोलन के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर लोकमोर्चा द्वारा आज अम्बानी अड़ानी का पुतला जलाया गया और किसान आंदोलन को समर्थन दिया गया। कार्यक्रम में महाराम सिंह लोध, रंजीत यादव, विनोद समेत लोकमोर्चा के कई कार्यकर्ता शामिल रहे।

Advertisment

लोकमोर्चा संयोजक ने कहा कि जनता की पूंजी से लगी पब्लिक सेक्टर की कंपनियों और उपक्रमों को बड़े पूँजीघरानों को बेच रही मोदी सरकार ने खेती किसानी और कृषि खाद्यान्न बाजार पर देशी विदेशी कॉरपोरेट कंपनियों का कब्जा कराने को कृषि के तीन काले कानून पारित किए हैं। किसान आंदोलन खेती किसानी और कृषि खाद्यान्न बाजार को देशी विदेशी कॉरपोरेट कंपनियों के कब्जे से बचाने के लिए चल रहा है।

किसान आंदोलन समाचार

उन्होंने कहा कि देशी विदेशी बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों और सरकारी संरक्षण में उनके द्वारा की जा रही लूट से प्रभावित किसान, मजदूर, व्यापारी, कर्मचारी, आदिवासी आदि सभी वर्गों सहित साम्प्रदायिक फासीवादी हमलों के शिकार समाज के सभी तबकों -बंचितों को एक संयुक्त राजनीतिक मंच बनाकर संघर्ष को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि आज देश को लुटेरे कॉरपोरेट घरानों और साम्प्रदायिक फडीवादी ताकतों से मुक्ति के लिए नए जनपक्षधर विकल्प की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन केवल तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि जनपक्षधर विकल्प के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ेगा और साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों को मुकम्मल शिकस्त देगा।

यह जानकारी एक विज्ञप्ति में दी गई है।

Advertisment
सदस्यता लें