उपचुनाव : भाजपा का दरकता किला

उपचुनाव : भाजपा का दरकता किला

उपचुनाव में भाजपा का अपराजेय होने का भरम टूट गया

देशबन्धु में संपादकीय आज | Editorial in Deshbandhu today

भाजपा को अब तक ये गुमान है कि वो अपराजेय है। भाजपा के लिए किसी भी चुनाव में जीत दर्ज करना बाएं हाथ का खेल है। लेकिन मंगलवार को भाजपा का ये भरम टूट गया। 30 अक्टूबर को देश की तीन लोकसभा सीटों और 29 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिसके नतीजे दो नवंबर को घोषित हुए। इस चुनाव में गैर भाजपा शासित राज्यों में तो सत्तारूढ़ पार्टियों का दबदबा कायम रहा, लेकिन भाजपा शासित राज्यों में अपने ही उम्मीदवारों को भाजपा आसानी से जीत नहीं दिलवा पाई।

जनता सरकार की बेशर्मी देख रही है

गौरतलब है कि ये चुनाव उस वक्त हुए जब देश में ये माहौल बनने लगा है कि केंद्र और कई राज्यों की सत्ता पर बैठी भाजपा के लिए अब हालात कठिन हो रहे हैं। किसान आंदोलन पर तो भाजपा घिरी ही हुई है, इसके साथ ही महंगे पेट्रोल-डीजल,  कमरतोड़ महंगाई, कोरोना का डर और पेगासस जासूसी कांड (pegasus spyware india) के बीच मोदी सरकार फंस चुकी है।

जनता ये देख रही है कि उसकी तकलीफों से सरकार कोई वास्ता नहीं रख रही। पूरी बेशर्मी के साथ तेल और बाकी चीजों के दाम बढ़ाए जा रहे हैं और फिर संभल कर त्यौहार मनाने की हिदायत भी दी जा रही है। भाजपा शायद ये मानकर चल रही है कि वो कभी हार ही नहीं सकती। जरा सा हिंदू-मुस्लिम करेगी और वोटों को बांट कर राज करेगी।

उत्तरप्रदेश में इस वक्त जिस तरह की सियासत चल रही है, वो इस बात का उदाहरण है कि भाजपा चुनावों के वक्त मुद्दों से हटकर बात करने लगती है। हाल ही में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी तालिबान को धमकाने वाले अपने अंदाज के कारण सुर्खियों में बने रहे। न जाने क्या सोचकर योगीजी ने कहा कि आज तालिबान से पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान परेशान हैं, लेकिन तालिबानी जानते हैं कि भारत की तरफ बढ़े तो 'एयर स्ट्राइक' (हवाई हमला) तैयार है।

योगी जी ने ये भी कहा कि, ''मुहम्मद गोरी और आक्रांता गाजी के अनुयायी वोट बैंक के भय से हिन्दू रक्षक महाराजा सुहेलदेव के नाम से डरते हैं। इनको भय है कि सुहेलदेव का स्मारक बनने के बाद लोग गाजी को भूल जाएंगे और जनता राजनीतिक ब्लैकमेलरों को कूड़े में फेंक देगी, इसी भय से वे राष्ट्र रक्षक सुहेलदेव के स्मारक का अप्रत्यक्ष रूप से विरोध कर रहे थे।''

क्या योगीजी वायुसेना भी संभाल रहे हैं ? उप्र चुनाव में तालिबान कहां से आ जाता है?

कमाल की राजनीति है, योगीजी को राजभर समाज को साधना था और इसके लिए निशाना लगाया गया तालिबान पर। अब लगे हाथ योगीजी ये भी बता देते कि क्या वो उप्र के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ वायुसेना भी संभाल रहे हैं या देश के नए रक्षा विशेषज्ञ बन गए हैं। और उप्र चुनाव में ये तालिबान आ कहां से जाता है। इनके अपने मुद्दे कम हैं क्या जो एयर स्ट्राइक जैसी ललकार लगाने की जरूरत पड़ती है।

इस तरह की बातें शायद भाजपा इसी मुगालते में करती है कि उसे अब हराना मुश्किल है। लेकिन उपचुनावों के नतीजे कुछ और ही इशारा कर रहे हैं।

दादरा और नगर हवेली, हिमाचल प्रदेश की मंडी और मध्य प्रदेश की खंडवा इन लोकसभा सीटों में केवल खंडवा भाजपा के पास गई, मंडी में कांग्रेस की जीत हुई और दादरा और नगर हवेली में शिवसेना ने बाजी मारी।

असम की पांच, पश्चिम बंगाल की चार, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मेघालय की तीन- तीन, बिहार, कर्नाटक और राजस्थान की दो- दो और आंध्र प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मिज़ोरम और तेलंगाना की एक- एक सीट पर विधानसभा के उपचुनाव के नतीजे भी भाजपा के लिए निराशाजनक रहे।

प. बंगाल में तो चारों सीटों पर टीएमसी ने आसान जीत दर्ज की है। इससे ममता बनर्जी के दिल्ली पहुंचने के हौसले और बुलंद हुए होंगे।

राजस्थान में दोनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हुआ।

महाराष्ट्र भी कांग्रेस के खाते में गई। बिहार में जदयू ने बाजी मारी। लेकिन असम, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा इन भाजपा शासित राज्यों में भाजपा उम्मीदवारों के लिए मुकाबला आसान नहीं रहा।

असम में भाजपा ने पांच में से तीन सीटें जीतीं, जबकि छह महीने पहले ही भाजपा ने विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर दूसरी बार सरकार बनाई थी।

हरियाणा में किसान आंदोलन का नतीजा भाजपा को भुगतना पड़ा और इनेलो के प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला ने जीत हासिल की।

हिमाचल प्रदेश की तीनों सीटें कांग्रेस के खाते में गईं, जबकि कर्नाटक की दो सीटों में एक पर कांग्रेस जीती और सत्तारूढ़ भाजपा को एक पर जीत मिली।

मध्यप्रदेश में 3 में से 2 सीटों पर भाजपा का कब्जा हुआ, एक सीट कांग्रेस को मिली।

आंध्रप्रदेश में वायएसआरसीपी, मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट, नागालैंड में एनडीपीपी की जीत हुई, मेघालय में दो सीटें नेशनल पीपुल्स पार्टी और एक सीट यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी को मिली। जबकि तेलंगाना में भाजपा को जीत हासिल करने में सफलता मिली। तो कुल मिलाकर भाजपा को सात और जदयू की दो सीटें जोड़ लें, तो एनडीए को 9 सीटें मिलीं हैं, जबकि 20 सीटें दूसरे दलों के पास गई हैं।

सत्ता के क्वार्टर फाइनल जैसे हैं ये उपचुनाव

ये उपचुनाव सत्ता के क्वार्टर फाइनल जैसे हैं और इसमें मुकाबला जितना दिलचस्प रहा है, वैसा ही रोचक सेमीफाइनल यानी विधानसभा चुनाव भी रहेगा। जिसमें हिंदू-मुस्लिम की जगह जब असल मुद्दे सत्ताधारियों के सामने खड़े होंगे और उनके लिए टिकना आसान नहीं होगा।

आज का देशबन्धु का संपादकीय (Today’s Deshbandhu editorial) का संपादित रूप साभार.

Subscribe