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CAA, NPR, NRC to end reservation and enslave public
विश्व में उसी देश ने अपनी जनता के लिए विकास के बहु आयामी प्रतिमान स्थापित किये हैं जिसने भी सतत् रूप से रिसर्च एवं डेवलपमेंट की दिशा में काम किया है। आजादी के बाद सभी सरकारों ने इस दिशा में कार्य किया है, मोदी सरकार को छोड़ कर। देश की खाद्यान्न आवश्यकता की पूर्ति के लिए जय जवान, जय किसान का नारा लगाकर हमने खेती को उन्नत बनाकर यह लक्ष्य हरित क्रांति के बल पर हासिल किया है।
Nehru's modern thinking of building India
नेहरू के भारत निर्माण की आधुनिक सोच उनके इस वाक्य से परिलक्षित होती है कि आधुनिक कल कारखाने भारत मंदिर है। महात्मा गांधी के ग्राम स्वरोजगार योजना की सोच शहरों के साथ गांवों के समग्र विकास की प्रतीक थी। इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी ने देश में रिसर्च और डेवलपमेंट की विचारधारा को आगे बढ़ाया। राजीव गांधी सरकार ने दूरसंचार के साथ नई तकनीक को अपनाकर देश में विकास की अपार संभावनाएं पैदा कीं और इसके लिए देश के द्वार खोले। राजीव गांधी देश के दूरदर्शी नेता रहे हैं।
अटल सरकार के समय मिसाइल बनाने से लेकर पोखरण दो बम विस्फोट किया गया तो प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत देश में विकास के लिए ढांचागत सुविधाओं का विस्तार हुआ।
मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने विश्व में छाई मंदी के दौर में भारत की अर्थ व्यवस्था को उंचाई के नये आयाम दिये। आम आदमी को सशक्त बनाने के लिए मनरेगा जैसी योजना के कारण पहली बार देश के असंगठित मजदूरों की दिहाड़ी चार सौ रुपये से ऊपर चली गई। आम आदमी की जेब में पैसा आने से उसकी क्रय शक्ति में भारी इजाफा हुआ, उसके परिणाम स्वरूप दुनिया को हमारे देश में बड़ी व्यापक संभावनाओं वाला बाजार दिखने लगा। दुनिया की बड़ी कम्पनियों और बडे देश भारत को मजबूत अर्थव्यवस्था के कारण सम्मान देने लगे।
यह सब मन मोहन सिंह सरकार की देन थी। यहां से विदेशी कुचक्र के प्रभाव से भारत को कमजोर करने की साजिशों की शुरुआत हुई। देशव्यापी काल्पनिक मुद्दों पर आंदोलन करके झूठ के मायाजाल को फैलाकर संघ परिवार ने मन मोहन सिंह सरकार को चुनाव में पराजित कर वर्ष 2014 मे केंद्र में मोदी सरकार बनवा दी। उस समय से आजतक मोदी सरकार देश में झूठ फैलाने का काम कर रही है और प्रत्येक जनता के मुद्दे पर यह सरकार दिशाहीन एवं फेल साबित हो गई है। महंगाई, बेरोजगारी, बैंक लूट, बीएसएनएल, रेलवे, एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम, भेल जैसी मजबूत भारत सरकार के उपक्रम इस दौरान खस्ताहाल होकर बेचे जा रहे हैं और जनता को साजिश के तहत देश के मीडिया के द्वारा हिन्दू मुस्लिम में उलझाकर रखा है।
सरकार संघी सोच के अनुरूप आरक्षण को समाप्त करने के लिए मनुवादी व्यवस्था को लागू पिछले रास्ते से कर रही है। इससे दो फायदे हैं। एक सरकार अपने चहेते उद्योगपतियों को अपने उपक्रम औने पौने दामों में बेच रही है और लगे हाथ दूसरा आरक्षण से भी निजीकरण के माध्यम से निजात पाई जा रही है। इसी को कहते है आम के आम गुठलियों के भी दाम। इसी कारण देश में छाई आर्थिक मंदी के दौर में भी देश की सत्ता के निकट बने उद्योगपतियों की सम्पत्तियों मे 37 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। देश के किसान मजदूर अपना परिवार चलाने में ही अपना जीवन हार रहे हैं। सरकार में बैठे लोगों की संवेदना आत्महत्या करने वाले मजदूर किसानों के प्रति शायद मर चुकी है। यही स्थिति सभी भाजपा शासित प्रदेशों की है। देश का संविधान हिटलर बने तख्तनशीन शहंशाहों से देश की जनता को सवाल करने जवाब मागंने का हक देता है।
देश का संविधान देश की जनता को समता और बराबरी का अधिकार देता है जो मनुवादी भाजपा शासन को कहाँ पसंद आता है। मनुवादी मानसिकता के रोगी सावरकर और नाथूराम गोडसे के संघी अनुयायियों के पास देश की जनता की समस्याओं का समाधान नहीं है।
देश की भाजपा सरकार के पास विशाल बहुमत है पर सरकार की नीतियों से कभी नहीं लगता कि इस सरकार की सोच समता मूलक वैज्ञानिक समाज के निर्माण करने वाली है।
यह सरकार गाय गोमूत्र गो देश धर्म भक्ति का व्यापार बेशर्मी से अपने नफरत के एजेंडे को चलाने के लिए करने वाली देश विरोधी कंम्पनी बनके कर रही है। देश की आजादी के कई दशकों बाद तक संघ के मुख्यालय में तिरंगा झण्डा नहीं फहराने वाले अब अपनी देश भक्ति कठुआ जिले के सामूहिक बलात्कारियों के समर्थन में तिरंगा झण्डा हाथों में लेकर अपनी देश भक्ति रैली के माध्यम से दिखा रहे हैं। समझ नहीं आता इस पर रोया जाऐ या फिर हंसा जाऐ।
भारत माता का संघी स्वरूप देश में भय पैदा कर रहा है।
देश में नारी सम्मान और कन्या पूजन के दैवीय स्वरूप को मानने वाली जनता यह भी देख रही है कि कैसे बलात्कारी के समर्थन में खडे देश धर्म प्रेमी भाजपा के नेता निर्लज बन गए हैं। बलात्कार पीड़ित बेटियों के परिवारों को सीधे यमलोक पहुंचाने की योजना भी भाजपा शासन में चल रही है। फिर भी देश का चौकीदार कहता है, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ। पर बेटी बचाये किससे, इस पर भाजपा सरकार मोन हो जाती है।
आजाद हिन्द फौज के सामने भारत मां का एक स्वरूप देश के महान सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी रखा था। अपनी आजाद हिन्द सेना के लिए सुभाष चंद्र बोस कलकत्ता की सड़कों पर जब चंदा मांग रहे थे तब एक मुस्लिम व्यापारी ने सुभाष बोस को एक करोड रुपये का चंदा दिया। एक मुस्लिम अंधी मुस्लिम महिला ने रोते हुए सुभाष बोस से कहा कि आज मेरे पास एक करोड़ रुपये होते तो मे भी आपको वह दान कर देती। इस पर बोस ने उस बुढ़िया से कहा माताजी आप अपने जवान बेटे को आजाद हिंद फौज में लडने के लिए भेज दो, यही आपका देश के लिए अमूल्य दान होगा। उस अंधी बुढिया का बेटा आजाद हिन्द फौज मे कर्नल शाहनवाज बन कर देश के लिए शहीद हो गया।
देश की सेवा में शहीद होने वाले कर्नल शाहनवाज की अन्तिम विदाई के अवसर पर उसकी अंधी बहरी मां को सामने खड़ा करके आजाद हिंद फौज के सिपाहियों से सुभाष बाबू ने कहा था कि हमने सभी ने भारत माता को नहीं देखा है पर आज मैं तुम्हें साक्षात सामने खड़ी भारत मां के दर्शन करा रहा हूँ। कर्नल शाहनवाज की मां ही साक्षात भारत मां की तस्वीर है।
सुभाष बाबू ने कहा था मेरे सपनों के स्वतंत्र भारत में सभी भारतवासी सर उठा कर स्वतंत्रता पूर्वक अपना जीवन व्यतीत करेंगे यह था हमारा भारत।
न्यू इन्डिया का सपना दिखाने वाले मोदी जी आज हमें कहां से कहां ले आये। देश में CAA, NPR, NRC कानून लागू करके देश के संविधान पर निर्णायक चोट करके देश को अराजकता के अंधकार मे धकेलने का काम मोदी सरकार कर रही है। देश की अदालत, न्याय, जांच एजेंसियों को पंगु बनाकर जनता से संविधान प्रदत्त अपील वकील दलील के अधिकार छीने जा रहे हैं। देश की तानाशाह सरकार एनपीआर कानून के माध्यम से देश की जनता को ही देश का संदिग्ध नागरिक बना रही है। आम आदमी के वोट देने के अधिकार से चुनी हुई सरकार ही अब उसके भाग्य निर्माता मतदाता के वोट देने के अधिकार को नकार रही है।
एनआरसी से सर्वाधिक नुकसान देश की बहुसंख्यक जनता के आरक्षित वर्ग जन जाति घुमंतू, दलित, भूमिहीन मजदूर वर्ग को होगा। असम में हुई एनआरसी इसका उदाहरण है, जहां बिहारी, बंगाली, असमिया, नेपाली मजदूर रातोंरात सभी दस्तावेज होने के बाद विदेशी नागरिक घोषित कर दिये गए।
देश में लाखों लोगों के पास कोई सम्पत्ति नहीं है। करोड़ों की संख्या में लोग घुमन्तु खानाबदोश जीवन जी रहे हैं। करोड़ों आदिवासी आज भी जल जंगल जमीन पर अपने कब्जे की लडाई लड रहे हैं, वे किस प्रकार अपनीं नागरिकता को साबित कर पाएंगे?
देश के आम आदमी दलित आदीवासी गरीब आदमी पर अपनी राज्य सत्ता को बरकरार रखने के लिए और हिन्दुत्व की गुलामी इन वर्गों पर जबरन लादने लोगों को मताधिकार से वंचित करने वाला काला कानून है NPR, NRC, CAA। यह कानून पूर्णतया संविधान देश विरोधी देश तोडने वाला साबित होगा। इस कानून से देश के करोड़ों लोग रातोंरात नोटबंदी की तरह कतारों में खड़े कागज अपने हाथों में लिये नागरिकता विहीन विदेशी घोषित हो जाएंगे। ऐसे लोगों को विदेश नहीं भेज कर देश में बने डिटेंशन केन्द्रों मे सभी अधिकार छीनकर गुलामों की भांति हिन्दू राष्ट्र के पुरोहितों की सेवा करने के लिए रखा जाएगा। इस कानून से भाजपा के विरोध में पड़ने वाले करोड़ों दलित आदिवासी गरीबों के मताधिकार को छीन कर सदा के लिए अपनी सल्तनत कायम करने का मंसूबा भी जिल्ले इलाही पाले बेठे हैं तभी अमित शाह एक इंच पीछे नहीं हटने की बात कर रहे हैं।
इस कानून से करोड़ों लोगों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा, सो अलग से है। इस प्रकार मोदी अमित शाह संघ परिवार के हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लक्ष्य की प्राप्ति भी सुनिश्चित करके अपनी अपनी ताजपोशी भी अगले चुनाव में करने का सपना भी पाले हुए हैं। भले ही यह देश रहे ना रहे क्योंकि सरदार के पाप सत्ता बदलते ही पहले की भांति उन्हें अपने किये की सजा में जेल भेज सकते हैं।
इस कानून का प्रभाव मुस्लिम समुदाय से ज्यादा देश के गरीब दलित आदिवासी घुमंतू भूमिहीन आरक्षित ओबीसी वर्ग पर पड़ेगा। इसी कारण देश का पढ़ा लिखा छात्र वकील समाज इसका जम कर विरोध कर रहा है।
मोहम्मद हफीज पठान
लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं