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सीएए : देश को बंटवारे वाले माहौल की ओर जा रही मोदी-शाह की जोड़ी !

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hastakshep
25 Feb 2020
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मोदीशाह घटना बन सकते हैं लेकिन इतिहास नहीं

CAA: The Modi-Shah duo is heading towards a partitioning country!

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नई दिल्ली। आखिर वह हो ही गया, जिसका अंदेशा व्यक्त किया जा रहा था। सीएए मुद्दे को भाजपा, आरएसएस और उनके सहयोगी संगठनों ने हिन्दू-मुस्लिम का रूप दे ही दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दिल्ली आगमन पर दिल्ली में सीएए विरोधी व समर्थकों में हुई भिड़ंत (Clash between anti-CAA and supporters in Delhi) ने सीएए विरोध और समर्थन को धर्म के आधार पर आंदोलन के रूप में तब्दील करने बड़ा दांव सियासी लोगों द्वारा चला गया है।

मौजपुर, जाफराबाद, गोकुलपुरी से एक-दूसरे समुदाय पर हमले राजनीतिक दलों की रणनीति को बयां कर रहे हैं। आंदोलन को हिंसक रूप देन में भले ही बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का नाम सामने आ रहा हो, पर इसके पीछे बड़े-बड़े धुरंधरों का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

बताया जा रहा है कि कपिल मिश्रा ने दिल्ली पुलिस को चेतावनी दी थी कि जल्द ही सीएए विरोधियों को नहीं खदेड़ा गया तो वह खदेड़ देंगे और उसके कुछ देर बाद आंदोलन हिंसक होना शुरू हो गया।

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एक पत्रकार से उसका धर्म पूछना और यह कहना कि उसकी पैंट उतारकर देखो, मोदी-मोदी के नारे लगाना, अब हिन्दू जाग गया कहना। क्या दर्शाता है ? इस मामले में मैं किसी राजनीतिक दल का पक्ष नहीं लूंगा। सत्ता के लिए लगभग सभी दल कुछ भी करने को तैयार हैं।

यदि भाजपा सीएए मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम का रूप देने में है तो आप और कांग्रेस भी राजनीतिक रोटियां सेंकने से बाज नहीं आ रहे हैं। शाहीन बाग आंदोलन को शांत कराने के बजाय दोनों ओर से उसे भुनाने पर ज्यादा जोर दिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने बेरोजगार, महंगाई, बदहाल अर्थव्यवस्था से लोगों का ध्यान बांटने के लिए बड़ी रणनीति के तहत देश में एनआरसी और सीएए मुद्दे को उछाला है। यह देश से मुस्लिम समुदाय को काटने वाली नीति ही है कि विदेश से आए हिन्दू, सिख और ईसाइयों को नागरिकता मिलेगी पर मुस्लिमों को नहीं। एनआरसी में नागरिकता साबित करनी होगी।

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मोदी सरकार की गतिविधियों से भारतीय मुस्लिमों के दिमाग असुरक्षा की भावना बैठना स्वाभाविक है। यही वजह है कि दिल्ली में जामिया मिल्लिया, शाहीन बाग, जाफराबाद में महिलाओं ने न केवल सीएए के विरोध में मोर्चा खोला बल्कि सब कुछ दांव पर लगाकर मोदी सरकार के खिलाफ तनकर खड़ी हो गईं।

इसमें दो राय नहीं कि दिल्ली में आप की जीत ने मुस्लिमों की अहमियत को और बढ़ाया है, जहां धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सेकुलर दलों को मुस्लिमों का वोट चाहिए वहीं भाजपा किसी भी तरह से हिन्दू-मुस्लिम का माहौल बनाकर हिन्दू वोटबैंक को अपने पक्ष में एकजुट रखना चाहती है।

मोदी सरकार और उसके समर्थकों की गतिविधियों पर नजर डालें तो अब उनका एजेंडा हिन्दू-मुस्लिम ही नहीं बल्कि मोदी सरकार के समर्थक और विरोधी भी हो गया है। यदि आप मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं तो भले ही हिंदू हों, आप मोदी सरकार सरकारी व निजी समर्थकों के निशाने पर हैं।

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मोदी समर्थकों का एकसूत्रीय एजेंडा है कि जो मोदी सरकार का समर्थन करे वही हिन्दू है।

जो लोग सीएए मुद्दे पर दिल्ली में खराब हुए माहौल को हल्के में ले रहे हैं, वे यह समझ लें कि मोदी सरकार के लगभग छह साल में जो माहौल बना है यह देश को बंटवारे के समय बने माहौल की ओर ले जा रहा है। यदि हिन्दू-मुस्लिम को लेकर समाज में फैल रही नफरत को नहीं रोका गया तो वह दिन दूर नहीं जब लोग अपने बच्चों को अपने ही सामने ही मरते-कटते देखेंगे। जो मंजरनामा देश में बंटवारे के समय हुआ था उससे भी बुरा होने होने के देश में आशंका व्यक्त की जा रही है।

लोगों को गोधरा कांड नहीं भूलना चाहिए। मोदी और अमित शाह का यह टेस्ट है। हां सत्ता के लिए कांग्रेस भी कुछ भी करने में माहिर रही है। अब जब भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं तो समझा जा सकता है कि देश में कितना माहौल खराब होने वाला है। आज की तारीख में देश की यह भी विडंबना है कि लभभग सभी दलों में एक भी नेता ऐसा नहीं कि जिसका जनता पर असर हो। भाईचारे और साम्प्रदायिक सौहाद के नाम पर जनता को शांत किया जा सके। सबसे अपने-अपने एजेंडो लेकर समर्थक हैं।

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बंटवारे के समय तो महात्मा गांधी, लोक नायक जयप्रकाश और डॉ. राम मनोहर लोहिया जैसे नायकों का जनता पर प्रभाव था। उनकी शांति की अपील का जनता पर असर पड़ता था। अब तो लगभग सभी दलों के मुख्य नेता जनता को उकसाने वाले हैं। ये लोग सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।

वैसे भी भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस का तो मुख्य एजेंडा ही देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित कराना रहा है। हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए मुसलमानों को तो ठिकाने लगाना पड़ेगा। यही वजह है कि मोदी सरकार उस काम पर पूरी तरह से लगी हुई है।

CHARAN SINGH RAJPUT, चरण सिंह राजपूत, लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। CHARAN SINGH RAJPUT, CHARAN SINGH RAJPUT, चरण सिंह राजपूत, लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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मोदी समर्थकों में मुगल शासकों के अत्याचारों की दास्तां ऐसे ही नहीं घूम रही हैं। ये सब कुछ न केवल भाजपा समर्थकों के बीच घूम रहा है बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसकी भरमार देखी जा रही है।

आरएएस और भाजपा ने अपने एजेंडे को लागू करने के लिए बड़े स्तर पर रणनीति बनाई है। यही वजह है कि भाजपा ने बड़ी रणनीति के तहत संविधान की रक्षा के लिए बनाए गये तंत्र, विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया को पूरी तरह से कब्जा लिया है। दो-चार अपवाद छोड़ दें तो ये सभी तंत्र जनता के लिए नहीं बल्कि मोदी सरकार के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार की निरंकुशता बढ़ना स्वभाविक है।

दिल्ली में हुए माहौल खराब को केजरीवाल की जीत को न पचाने के रूप में देखा जाना चाहिए। दिल्ली में एक आम आदमी पार्टी के नेता की हत्या की भी खबर आ रही है। हालांकि पुलिस इसे हादसा बता रही है।

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इन चुनाव में भाजपा किसी भी हाल में दिल्ली को जीतना चाहती थी। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के चुनाव प्रचार में जुटने के बावजूद केजरीवाल के प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने पर मोदी और अमित शाह की बड़ी फजीहत हुई है।

सी.एस. राजपूत

 

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