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अंतर्धार्मिक विवाहों पर हल्लाबोल : महिलाओं की स्वतंत्रता को सीमित करने का बहाना

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hastakshep
08 Nov 2020
बंधुत्व को बढ़ावा : अदालतें आगे आईं, सुदर्शन टीवी पर नफरत फैलाने वाले कार्यक्रम पर रोक

Ram Puniyani was a professor in biomedical engineering at the Indian Institute of Technology Bombay and took voluntary retirement in December 2004 to work full time for communal harmony in India. He is involved in human rights activities for the last three decades. He is associated with various secular and democratic initiatives like All India Secular Forum, Center for Study of Society and Secularism and ANHAD

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Campaign to Curb Inter-faith marriages: Ruse to Restrict Women’s Freedom

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Dr Ram Puniyani writes on the politics of Love Jihad in Hindi. Know what is Love Jihad, and what is Jihad.

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इलाहबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक हालिया निर्णय में कहा है कि दो विभिन्न धर्मो के व्यक्तियों के परस्पर विवाह के लिए धर्मपरिवर्तन करना अनुचित है क्योंकि विशेष विवाह अधिनियम में अलग-अलग धर्मों के व्यक्तियों के बीच विवाह का प्रावधान है. मामला एक मुस्लिम महिला के हिन्दू पुरूष से विवाह करने के लिए धर्मपरिवर्तन करने का था.

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इस निर्णय के उपरांत उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुस्लिम पुरूषों के विरूद्ध एक अभियान छेड़ दिया है. उनके अनुसार, मुस्लिम युवक अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर हिन्दू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उन्हें इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर करते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी और उनकी अर्थी निकाली जाएगी (राम नाम सत्य है). सख्त चेतावनी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की घटनाएं नहीं होने दी जाएंगी और इसके लिए शीघ्र ही एक कानून बनाया जाएगा. उन्होंने यह घोषणा भी की कि जो लोग इस तरह की गतिविधियों में संलग्न होंगे उनके पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएंगे. उनसे प्रेरित होकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने भी घोषणा की कि उनकी सरकार इस तरह के अंतर्धार्मिक विवाहों पर प्रतिबंध लगाने के लिए शीघ्र ही एक कानून बनाएगी. मुस्लिम युवकों और हिन्दू युवतियों के विवाह को लांछित करने के लिए इन्हें ‘लव जिहाद’ कहा जाता है. इस तरह की शब्दावली के प्रयोग के चलते ऐसे विवाहों के बाद हिंसक घटनाएं आम हैं. ऐसा ही कुछ सन् 2013 में उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुआ था.   

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भाजपा नेता चाहे जो कहें, हकीकत यह है कि अंतरधार्मिक विवाहों की संख्या उंगलियों पर गिनने लायक है. सच पूछा जाए तो ऐसी शादियां दोनों प्रकार की हुई हैं. अभी हाल में तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां ने एक हिन्दू से शादी की. इसका विरोध करते हुए उन्हें ट्रोल किया गया. इसी तरह का एक मामला निकिता तोमर का है जिनकी एक मुस्लिम युवक ने हत्या कर दी. इस सिलसिले में तौसीफ और रेहान नामक दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई है. ‘क्षत्रिय लाईव्स मैटर’ हैशटैग के साथ इस घटना को लव जिहाद बताते हुए प्रचारित किया जा रहा है.

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यहां यह उल्लेखनीय है कि संसद में आधिकारिक वक्तव्य देते हुए केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा था कि लव जिहाद जैसी कोई चीज नहीं है.

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उन्होंने यह बात केरल के एक सांसद द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कही थी. सांसद ने यह जानना चाहा था कि क्या केरल में लव जिहाद की घटनाएं हुई हैं.

रेड्डी ने यह भी सूचित किया था कि लव जिहाद के आरोप की वास्तविकता जानने के लिए जांच-पड़ताल की गई और यह आरोप बेबुनियाद पाया गया.

Love Jihad: What is the case of Akhila

लव जिहाद शब्द अखिला नामक महिला के अंतरधार्मिक विवाह के बाद चलन में आया. इस हिन्दू लड़की ने एक मुस्लिम युवक से शादी की और अपना नाम बदलकर हादिया रख लिया. इस मुद्दे को लेकर एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में केरल उच्च न्यायालय के आदेश को पलटते हुए हदिया को अपने पति के साथ रहने की इजाजत दे दी. इसी तरह का विवाद तनिष्क के विज्ञापन के बाद उभरा. इस विज्ञापन में एक हिन्दू वधू यह देखकर आश्चर्यचकित और प्रसन्न नजर आ रही है कि एक मुस्लिम परिवार में गोद भराई की हिन्दू रस्म अदा करने की तैयारी हो रही है. साम्प्रदायिक तत्वों ने न केवल इस विज्ञापन की निंदा की वरन् तनिष्क के उत्पादों के बहिष्कार की घोषणा भी कर डाली. इस धमकी के चलते कंपनी ने घुटने टेक दिए और विज्ञापन वापस ले लिया. यह आरोप लगाया गया कि इस तरह के विज्ञापन लव जिहाद को प्रोत्साहित करते हैं.

‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए उत्तरप्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों ने अनेक कदम उठाने की घोषणा करने के साथ-साथ लगे हाथों हिन्दू अभिवावकों को यह सलाह भी दी कि वे यह नजर रखें कि उनकी बेटियां किस से मिल रही हैं और मोबाइल पर किन लोगों से बात कर रहीं हैं. वे यह भी देखें कि उनकी लड़कियां कहाँ आती-जाती हैं. कुल मिलाकर, हिन्दू युवतियों और महिलाओं पर नियंत्रण रखने की रणनीति तैयार की जा रही है. स्पष्ट है कि साम्प्रदायिक राजनीति का प्रमुख एजेंडा है हिन्दू महिलाओं और लड़कियों पर पूर्ण नियंत्रण. अल्पसंख्यकों - मुस्लिम और कुछ हद तक ईसाईयों - से घृणा इस तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का मुख्य आधार है. इस तरह की राजनीति का मुख्य लक्ष्य लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होने के पूर्व के जातिवादी समीकरणों और पितृसत्तात्मक व्यवस्था को पुनर्स्थापित करना है.यदि ऐसा होता है तो इससे सामाजिक स्वतंत्रता कमजोर होगी.

बच्चियों में शिक्षा के प्रसार के कारण युवकों और युवतियों के बीच सामाजिक संबंध का बढ़ना स्वाभाविक है और इसके चलते अंतरधार्मिक विवाहों को रोका नहीं जा सकता. महिलाओं को पुरूषों के नियंत्रण में रखना साम्प्रदायिक राजनीति का अभिन्न अंग है. चाहे साम्प्रदायिकता मुस्लिम हो या ईसाई, पुरूषों का महिलाओं पर नियंत्रण सभी का अभिन्न अंग है. 

जहां तक हिन्दू साम्प्रदायिकता का प्रश्न है, उसके द्वारा बार-बार यह प्रचारित किया जाता है कि हिन्दू महिलाओं को इस्लाम कुबूल करने के लिए बाध्य किया जाता है. यहां यह बताना प्रासंगिक होगा कि हिन्दुत्व के मुख्य चिंतक सावरकर ने छत्रपति शिवाजी, जो हिन्दू सम्प्रदायवादियों के आराध्य हैं, की इसलिए निंदा की थी कि उन्होंने बसेन के मुस्लिम सूबेदार की बहू को आजाद कर दिया था जिसे उनके सिपाही उपहार के रूप में उन्हें भेंट करने के लिए लाए थे. इसी कारण सावरकर, जो वैसे शिवाजी के प्रशंसक थे, ने शिवाजी के शासनकाल को अपनी पुस्तक ‘सिक्स ग्लोरियस ऐपक्स ऑफ़ इंडियन हिस्ट्री’ में शामिल नहीं किया था.

आज से बहुत पहले, सन 1920 के दशक के आसपास, जब मुस्लिम सम्प्रदायवाद के समानांतर हिन्दू सम्प्रदायवाद विकसित हो रहा था, तब भी मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या को हिन्दुओं के लिए खतरा बताया जाता था. चारू गुप्ता  अपनी पुस्तक ‘मिथ ऑफ़ लव जिहाद’ में एक दिलचस्प टिप्पणी करते हुए कहती हैं कि ‘हिन्दू औरतों की लूट’ जैसे भड़काऊ शीर्षक वाले पम्फलेट, जिनमें मुसलमानों द्वारा हिन्दू महिलाओं का धर्मपरिवर्तन करवाने की निंदा की गयी थी, उस समय प्रकाशित किये गए थे. उसी दौरान एक आर्य समाजी द्वारा तैयार किये गए एक प्रकाशन में हिन्दू स्त्रियों की लूट के कारण गिनाये गए थे और उन्हें मुसलमान बनने से रोकने के उपाय भी. आज का लव जिहाद अभियान भी इसी तरह के तर्कों और भाषा का उपयोग कर रहा है.

इसी बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि महिलाओं को घर- गृहस्थी के कामों तक स्वयं को सीमित रखना चाहिए और पुरूषों को कमाई करनी चाहिए.

हमारे वृहद समाज में अलग-अलग तरह की जीवन पद्धतियाँ हैं. विभिन्न जातियों और धर्मों के बीच मेलमिलाप एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. इस तरह के मेलमिलाप से लोग एक दूसरे के नजदीक आते हैं और कभी-कभी इनका अंत शादी-विवाह में होता है. डॉ अम्बेडकर ने अंतरजातीय विवाहों को जातिप्रथा के उन्मूलन का सबसे प्रभावशाली उपाय बताया था. भारत में अंतरजातीय विवाह कम ही होते हैं. अंतरधार्मिक विवाहों के मामले में तो स्थिति और भी खराब है.  हिन्दू धर्म के तथाकथित रक्षक और मुस्लिम कट्टरवादी उन लोगों के खून के प्यासे हो जाते हैं जो धर्म की सीमाओं को लांघकर प्रेम और विवाह करते हैं.

-राम पुनियानी

(अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया) (लेखक आई.आई.टी. मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं.)

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