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दुष्यंत दवे बोले - अतिक्रमण हटाना है तो गोल्फ लिंक और सैनिक फार्म जाएं
नई दिल्ली, 21 अप्रैल 2022. सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे (Dushyant Dave, Senior Advocate of Supreme Court) ने कहा है कि जहांगीर पुरी में अतिक्रमण हटाने के अभियान से यह सवाल पैदा होता है कि क्या ये अभियान सिर्फ गरीबों के खिलाफ ही होते हैं और अगर प्रशासन इसके प्रति इतना ही प्रतिबद्ध है तो उसे पहले सैनिक फार्म और गोल्फ लिंक जैसे इलाकों में जाना चाहिये।
अतिक्रमण हटाने के बहाने एक वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है
मीडिया रिपोर्ट्सस के मुताबिक जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की ओर से मामले की पैरवी कर रहे दुष्यंत दवे ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि जहांगीर पुरी में अतिक्रमण हटाने का अभियान (Campaign to remove encroachment in Jahangir Puri) संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के सवाल पैदा करता है। उन्होंने कहा कि इन अभियानों के जरिये समाज के एक वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है। इन अभियानों में सिर्फ गरीबों की संपत्ति ढहायी जा रही है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की खंडपीठ ने श्री दवे से पूछा कि इस मामले में राष्ट्रीय महत्व क्या है? यह एक इलाके के बारे में है।
इस पर दवे ने कहा कि बुलडोजर को राज्य सरकारें एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं और समाज के एक खास तबके को इसका निशाना बनाया जा रहा है।
दवे ने कहा कि एनडीएमसी को पता था कि सर्वोच्च न्यायालय में बुधवार को इस पर बहस होगी इसी कारण उसने नौ बजे से ही ढहाने की कार्रवाई शुरू कर दी।
उन्होंने दलील दी कि आखिर भारतीय जनता पार्टी का कोई नेता एनडीएमसी को ढहाने के बारे में पत्र कैसे लिख सकता है और उसी के आधार पर वे अतिक्रमण हटाने भी लगते हैं।
दवे ने कहा कि दिल्ली नगरनिगम अधिनियम में नोटिस का भी प्रावधान है और अपील का भी प्रावधान है।
लोकतंत्र में इस तरह की कार्रवाई की अनुमति कैसे दी जा सकती है?
उन्होंने कहा,''अगर प्रशासन को अतिक्रमण हटाना ही है तो दक्षिण दिल्ली जाएं, सैनिक फार्म जाएं, गोल्फ लिंक आएं, जहां मैं रहता हूं। हर दूसरा घर कहीं न कहीं अतिक्रमण है लेकिन आप उसे छुएंगे तक नहीं।''
उन्होंने कहा कि जिन घरों और दुकानों को ढहा दिया गया वे तीस साल से अधिक पुराने थे। यहां लोकतंत्र है और इस तरह की कार्रवाई की अनुमति कैसे दी जा सकती है।
श्री दवे ने कहा कि पुलिस और प्रशासन संविधान से बंधे हैं न कि भाजपा नेता के पत्र से। यह दुखद स्थिति है।
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अन्य वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि पूरे देश में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है लेकिन मुस्लिमों के मुद्दे को अतिक्रमण से जोड़ा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि रामनवमी को हुई घटना के बाद ही अतिक्रमण हटाने का अभियान चला।
सिब्बल ने कहा कि घटनाएं हुईं, तो घर को बुलडोजर से ढहा दिया गया, किसी पर हत्या का आरोप लगा तो उसका घर ढहा दिया गया और एक पूरे समुदाय को बंद करके उनके घर दिल्ली में ढहा दिए गए। तो क्या घटनाएं भय देने के लिये हो रही हैं?
इस पर जस्टिस राव ने कहा कि तो वह किस राहत का दावा कर रहे हैं।
तब कपिल सिब्बल ने कहा कि अतिक्रमण के मामले एक समुदाय तक सीमित हैं, अगला आदेश आने तक ढहाने की कार्रवाई रोकी जाए।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि वे देश में ढहाने की कार्रवाई पर रोक नहीं लगायेंगे। इस पर सिब्बल ने कहा कि वह जहांगीरपुरी की बात कर रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जहांगीरपुरी में जिस जूस कॉर्नर के मालिक की दुकान ढहा दी गयी है, उसके वकील संजय हेगड़े ने कहा कि उनके मुवक्किल के पास सभी जरूरी दस्तावेज थे लेकिन फिर भी बुलडोजर से उसकी दुकान ढहा दी गयी। उन्होंने मुआवजे की मांग की है।
माकपा नेता बृंदा करात के वकील ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद बुलडोजर चलता रहा।
सभी दलीलों को सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अगले आदेश तक स्थिति यथावत रखने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने साथ ही याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई में ये हलफनामा दें कि क्या अतिक्रमण हटाने के अभियान से पहले उन्हें नोटिस जारी किया गया था?