National news, देश की खबर, राष्ट्रीय समाचार, भारत के समाचार, news, latest news, news today, breaking news, Hindi news, news headlines, current news, Samachar, news update, daily news, समाचार हिंदी,
इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, India News In Hindi (भारत समाचार), Latest India News (इंडिया न्यूज़) in Hindi,भारत समाचार ताजा खबर, Hindi Samachar: हिंदी समाचार, Samachar in Hindi.
“आज की ताजा खबर 2021”
“हिन्दी समाचार, उत्तर प्रदेश”.
“भारत का प्रमुख समाचार”.
“आज की ताजा खबर पढ़ने वाली”.
“ताजा समाचार दैनिक जागरण”.
“MP News taja Khabar”.
“आज के समाचार राजस्थान”.
“आज की न्यूज़, समाचार”.
“Mukhya samachar”.
“आज की ताजा न्यूज़ वीडियो”.
“आज तक के ताजा समाचार”
” मुख्य समाचार”.
“अमर उजाला उत्तर प्रदेश समाचार”
“आज का न्यूज़ पेपर 2021”.
“ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी”.
“अमर उजाला उत्तराखंड”.
“अमर उजाला हिमाचल प्रदेश”
“आज का अंतरराष्ट्रीय समाचार”.
“भारत समाचार उत्तर प्रदेश”
“आज की ताजा खबरें”.
“हिंदी में आज की खबर सुर्खियों में फोटो”.
“समाचार सुनाओ”.
PM Modi Speech On Coronavirus: Janta Curfew, Covid-19 Task Force
Modi speech today
नई दिल्ली, 19 मार्च 2020. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में महामारी बन चुके कोरोना वायरस पर गुरुवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में जहां देशवासियों को इसके खतरों से आगाह किया, वहीं बचने के लिए तमाम अहम सुझाव दिए।
उन्होंने कोरोना जैसी महामारी से निपटने में एक ही मूलमंत्र- ‘हम स्वस्थ तो जगत स्वस्थ’ को ही कारगर बताया। यानी खुद संक्रमण से बचेंगे और दूसरों को भी बचाएंगे।
रात आठ बजे राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट की प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के हालात से भी तुलना की।
श्री मोदी ने कहा कि उस वक्त भी इतनी ज्यादा संख्या में देश प्रभावित नहीं हुए थे। करीब आधे घंटे के संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने दस बड़े संदेश दिए।
1- जनता कर्फ्यू | Janata curfew
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से रविवार (22 मार्च) को दो काम करने के लिए कहा। उन्होंने जनता कर्फ्यू का पालन करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि सुबह सात से रात नौ बजे तक देशहित में लोग इस दिन बाहर न निकलें।
उन्होंने कहा, “22 मार्च को जनता-कर्फ्यू की सफलता, इसके अनुभव, हमें आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करेंगे। ये कोरोना जैसी महामारी के खिलाफ भारत कितना तैयार है, ये देखने और परखने का भी समय है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरी अपील में कहा कि कोरोना के खतरों के बीच भी तमाम लोग आवश्यक सेवाओं को संचालित करने में जुटे हैं, उनके प्रति 22 मार्च को शाम पांच बजे पांच मिनट के लिए घर के सामने या बालकनी में खड़े होकर लोग आभार प्रकट करें। स्थानीय प्रशासन पांच बजे सायरन की आवाज से इसकी सूचना लोगों तक पहुंचाए।
2- घर से ही करें काम | Work from home
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले कुछ सप्ताह तक लोगों को घर से काम करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा,
“मेरा आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक, जब बहुत जरूरी हो तभी अपने घर से बाहर निकलें। जितना संभव हो सके, आप अपना काम, चाहे बिजनेस से जुड़ा हो, ऑफिस से जुड़ा हो, अपने घर से ही करें।”
3- न जुटाएं जरूरत से ज्यादा सामान | Do not collect excess goods
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकट की इस घड़ी में अफवाहों से भी सावधान रहने की अपील की। उन्होंने देशवासियों से कहा कि उतना ही सामान खरीदें जितना जरूरी हो, आवश्यकता से अधिक सामानों का संग्रह न करें।
श्रई मोदी ने कहा,
“मैं देशवासियों को इस बात के लिए भी आश्वस्त करता हूं कि देश में दूध, खाने-पीने का सामान, दवाइयां, जीवन के लिए जरूरी ऐसी आवश्यक चीजों की कमी ना हो इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।”
4- हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ |We are healthy and the world is healthy
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस तरह की वैश्विक महामारी में, एक ही मंत्र काम करता है- हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ। ऐसी स्थिति में जब कोई दवा नहीं है, तो हमारा खुद स्वस्थ बने रहना बहुत आवश्यक है।
5- हर दिन 10 लोगों को करें जागरूक | Make 10 people aware every day
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जागरूकता के काम में आम नागरिकों से भागीदारी की अपील की। उन्होंने कहा कि संभव हो तो हर व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम 10 लोगों को फोन करके कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के साथ ही जनता-कर्फ्यू के बारे में भी बताए।
6- 65 वर्ष से ऊपर के लोग न निकलेंबाहर | Do not outing people above 65 years
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेरा एक और आग्रह है कि हमारे परिवार में जो भी सीनियर सिटिजन्स हों, 65 वर्ष की आयु के ऊपर के व्यक्ति हों, वो आने वाले कुछ सप्ताह तक घर से बाहर न निकलें।
7- गठित हुआ टास्क फोर्स | Constituted task force
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि कोरोना महामारी से उत्पन्न हो रही आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, वित्त मंत्री के नेतृत्व में सरकार ने एक कोविड-19- इकोनॉमिक रेस्पांस टॉस्क फोर्स के गठन का फैसला किया है। यह टास्क फोर्स सुनिश्चित करेगी कि आर्थिक मुश्किलों को कम करने के लिए जितने भी कदम उठाए जाएं, उन पर प्रभावी रूप से अमल हो।
8- संकल्प और संयम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संकल्प और संयम से इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, “इस वैश्विक महामारी से मुकाबला करने के लिए दो बातें जरूरी है। पहला संकल्प और दूसरा संयम। आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा। हम इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए एक नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्य का पालन करें। केंद्र और राज्य सरकारों के दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें। आज हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचाएंगे।
9- भीड़ से बचें (सोशल डिस्टेंसिंग – Social distancing)
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोग भीड़ से बचें। आजकल इसे सोशल डिस्टेंसिंग कहा जा रहा है। कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में सोशल डिस्टेंसिंग बहुत ज्यादा आवश्यक है।
10- सेवा करने वालों का वेतन न काटें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संकट के समय उच्च वर्ग और व्यापारी जगत से एक खास अपील की। उन्होंने कहा कि संकट के इस समय में मेरा देश के व्यापारी जगत, उच्च आय वर्ग से भी आग्रह है कि अगर संभव है तो आप जिन-जिन लोगों से सेवाएं लेते हैं, उनके आर्थिक हितों का ध्यान रखें। हो सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में वे आपके घर और दफ्तर न आ पाएं तो उनका वेतन न काटें।
Lucknow Clock tower: CPI (Ml) condemns lathicharge on women
लखनऊ, 19 मार्च। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने आज यहां घंटाघर पर सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ दो महीने से भी ज्यादा समय से धरनारत महिलाओं पर बर्बर पुलिस लाठीचार्ज करने की कड़ी निंदा की है।
पार्टी ने कहा है कि बुजुर्ग महिलाओं तक को नहीं बख्शा गया और कई महिलाएं तो बेहोश हो गईं, जो दिखाता है कि योगी सरकार निरंकुश हो गई है।
आज यहां जारी बयान में पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि शांतिपूर्ण महिला आंदोलनकारियों और समर्थकों पर एक-के-बाद-एक मुकदमे लादने व उन्हें डराने की कवायद करने के बाद योगी सरकार लोकतांत्रिक आंदोलन को खत्म कराने के लिए दमन की सारी हदें पार कर गई है।
उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों का मनोबल तोड़ने की कोशिश सफल नहीं होगी और निहत्थी महिलाओं पर लाठी चलवाने वाली सरकार को सत्ता में रहने का हक नहीं है।
नई दिल्ली, 19 मार्च 2020. आखिरकार भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई(Former Chief Justice of India Ranjan Gogoi) ने आज राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ले ली। इस दौरान राज्यसभा शेम-शेम के नारे से गूंज उठा।
गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाए जाने को लेकर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बताकर इसकी आलोचना की है।
गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाए जाने को लेकर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बताकर इसकी आलोचना की है।
बता दें कि गोगोई को सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए नामित किया था। मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने से एक पहले गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने अयोध्या मसले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
चार महीने पहले शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद से रिटायर हुए जस्टिस गोगोई ने अपनी नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा था कि संसद में उनकी मौजूदगी विधायिका के सामने न्यायापालिका के रुख को रखने का एक अवसर होगी। उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका और विधायिका को राष्ट्र निर्माण के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।
गोगोई ने कहा था कि राज्यसभा में अपनी मौजूदगी के जरिये वह न्यायपालिका के मुद्दों को असरदार तरीके से उठा सकेंगे।
Rajya sabha Candidates, President Ramnath kovind, Ranjan Gogoi, Chief Justice Of India, CJI news in Hindi, Rajya sabha news in Hindi, Delhi news in Hindi, Ranjan Gogoi news,
The CPI (M) has asked the state government which of the issues between the corona virus and Ram Van Gaman Path is in the priority of the government?
रायपुर, 19 मार्च 2020. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी-CPI (M) ने कोरोना वायरस से लड़ने में राज्य सरकार के कदमों को अपर्याप्त बताते हुए कहा है कि आज जब पूरा प्रदेश कोरोना वायरस के संकट और संक्रमण से जूझ रहा है, इस विश्वव्यापी महामारी से निपटने के बजाए सरकारी अमला राज्य के मुख्य सचिव की अगुआई में राम वन गमन पथ के मुद्दे पर व्यस्त है।
माकपा ने राज्य सरकार से पूछा है कि कोरोना वायरस और राम वन गमन पथ में से कौन-सा मुद्दा सरकार की प्राथमिकता में है?
आज यहां जारी एक बयान में माकपा के छत्तीसगढ़ राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि आईसीएमआर के अनुसार भारत मे एक माह के भीतर कोरोना वायरस का हमला तीसरे चरण में प्रवेश कर जाएगा, लेकिन आज भी 130 करोड़ की आबादी में इस वायरस से संक्रमित संदिग्ध लोगों की जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में केवल डेढ़ लाख किट ही उपलब्ध है। मोदी सरकार ने इसके इलाज और मुआवजे के लिए जो अधिसूचना जारी की थी, उसे भी उसने वापस ले लिया है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि अब संदिग्धों को इलाज में न कोई मदद मिलेगी और न ही मृत्यु होने की स्थिति में पीड़ित परिवार को कोई मुआवजा।
माकपा ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना-पीड़ित संदिग्ध मरीजों का इलाज साधारण मरीजों के साथ ही करने के अनेक प्रकरण रोज सामने आ रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि जांच के मामले में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, हम बहुत पीछे हैं और यहां बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की जरूरत है।
पार्टी ने पूरे राज्य में मास्क और सैनिटाइजर की कालाबाज़ारी होने का भी आरोप लगाते हुए कहा है कि हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े पैमाने पर निजीकरण के चलते इस महामारी से लड़ना और मुश्किल हो गया है।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि कोरोना वायरस के हमले के डर से निर्माण, परिवहन और पर्यटन जैसे अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र बहुत प्रभावित हुए हैं और इससे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, रेहड़ी-पटरी-खोमचे वालों, छोटे दुकानदारों और प्रवासी मजदूरों की आजीविका को भारी क्षति पहुंची है और उनकी मजदूरी और आय में अप्रत्याशित गिरावट आई है। देश में 95% लघु व मध्यम उद्योगों के प्रभावित होने के चलते 4.5 करोड़ लोगों के रोजगार पर प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से खतरा मंडरा रहा है। इससे भुखमरी और कुपोषण की समस्या बढ़ेगी, जिसका असर उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ेगा। लेकिन इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कोई कदम नहीं उठा रही है।
The CPI (M) leader has also demanded to provide essential items like masks and sanitizers through public health and drug distribution centers to fight the corona.
माकपा नेता ने कहा कि केंद्र सरकार के पास 7.5 करोड़ टन का खाद्यान्न भंडार है। राज्य सरकार के पास भी धान का अतिरिक्त भंडार है, जिसका उपयोग वह इथेनॉल बनाने के लिए करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि इस विशाल खाद्यान्न भंडार का उपयोग कमजोर तबकों को मुफ्त पोषण आहार देकर और काम के बदले अनाज योजना लागू करके किया जा सकता है, ताकि उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखा जा सके।
माकपा नेता ने कोरोना से लड़ने के लिए मास्क और सैनिटाइजर जैसी अत्यावश्यक वस्तुओं को बहुत ही कम कीमत पर सार्वजनिक स्वास्थ्य और औषधि वितरण केंद्रों के जरिये उपलब्ध कराने की भी मांग की है।
माकपा नेता पराते ने इस महामारी के खिलाफ बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल देते हुए गोबर-गौमूत्र से इसके इलाज जैसी वाहियात और अवैज्ञानिक बातों को प्रचारित करने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की भी मांग सरकार से की है।
Raipur news in Hindi, CPIM News in Hindi, Corona virus news in Hindi, Chhattisgarh news in Hindi.
नोवेल कोरोना वायरस के बारे में सही जानकारी | Correct information about novel corona virus in Hindi
नई दिल्ली, 19 मार्च कोरोना वायरसका प्रकोप होने के साथ ही भारत में भी अफवाहों का बाजार गर्म है, कोई गौमूत्र पार्टी कर रहा है तो कोई एल्कोहल से कोरोना भगाने की सलाह दे रहा है। लेकिन इन अफवाहों से बचें और भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों या विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी एडवायजरी का ही पालन करें।
नोवेल कोरोना वायरस के बारे में मिथक और तथ्य | Myths and Facts about Novel Corona Virus | Coronavirus tips in Hindi
चीनी सरकार के रेडियो चाइना इंटरनेशनल ने नोवेल कोरोना वायरसपर अफवाहों (Rumors on Novel Corona Virus) का निराकरण किया है, आप भी उन्हें पढ़ सकते हैं, हम उन्हें साभार प्रकाशित कर रहे हैं –
पहली अफ़वाह है कि नोवेल कोरोना वायरस एयरोसोल के माध्यम से फैल सकता है। इसलिए हम खिड़की खोलकर ताज़ा हवा नहीं ले सकते, नहीं तो संक्रमित होने की आशंका है।
यह शब्द गलत है। वास्तव में नोवेल कोरोना वायरस मुख्य तौर पर श्वसन मार्ग से उड़ने वाले छोटे जलकण और घनिष्ठ स्पर्श से फैलता है। एयरोसोल अत्यधिक छोटे जलकण या ठोसकण होते हैं, जो लंबे समय तक हवा में उड़ते रहते हैं। अगर लंबे समय तक खिड़की नहीं खोलें, तो बंद वातावरण में एयरोसोल का घनत्व बढ़ेगा। इस स्थिति में वायरस के एयरोसोल के माध्यम से फैलाने की आशंका बनी रहती है।
फ्लू, नोरोवायरस, सार्स और चेचक जैसे संक्रामक रोग से पैदा एयरोसोल सिर्फ़ निश्चित स्थिति में फैल सकता है। उदाहरण के लिए मरीजों को बचाने के लिए एंडोट्रैचियल इंटुबैशन के दौरान छोटे एयरोसोल मरीजों के आसपास वाले क्षेत्र में उड़ते रहते हैं। ऐसी हालत में एयरोसोल से फैलाव हो सकता है। इसलिए सिर्फ़ निश्चित स्थिति में और बड़े घनत्व वाले वातावरण में नोवेल कोरोना वायरस एयरोसोल के माध्यम से फैल सकता है। अगर हम खिड़की खोलकर ताज़ा हवा लेते हैं, तो रोगी कक्षा में वायु बड़ी मात्रा में बहती है, ऐसे में वायु में मौजूद वायरस के एयरोसोल की सघनता काफी हद तक कम होगी। इसलिए हम रोज़ाना खिड़की खोलकर कमरे को हवादार बनाना चाहिए।
दूसरी अफ़वाह है कि तंबाकू के कण नैनो आकार के होते हैं। वे समान रूप से फेफड़े के सेल के ऊपर वितरित होते हैं, जिससे रक्षा आवरण तैयार हो सकता है और वायरस को रोका जा सकता है। इसलिए सिगरेट पीने से नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम की जा सकती है।
यह शब्द गलत है। वास्तव में तंबाकू जलने से दो तत्व पैदा होते हैं। एक है कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैस, जिसका अनुपात 90 प्रतिशत है और दूसरा है निकोटीन और टार जैसे ठोस कण। चीनी रोग रोकथाम और नियंत्रण केंद्र के अनुसार इन ठोस कण का आकार 1 से 2.5 माइक्रोन तक होता है, जो नैनो आकार नहीं होता। जबकि सभी वायरस नैनो आकार के हैं। हम जानते हैं कि 1 माइक्रोन 1000 नैनोमीटर के बराबर होता है। इसलिए तंबाकू के कण वायरस नहीं रोक सकते, जैसा कि हम जाली से पानी को छानते हैं। यह अवास्तविक है।
तंबाकू वायरस को नहीं रोक सकता, इसके विपरीत हमारे श्वसन मार्ग को नुकसान पहुंचाता है। अनुसंधान से पता चलता है कि तंबाकू में 7000 से अधिक रासायनिक पदार्थ मौजूद हैं, जिनमें दसियों पदार्थ कैंसरजनक होते हैं। अनुसंधान यह भी बताता है कि सिगरेट पीने से फ्लू होने का खतरा भी बढ़ता है।
तीसरी अफ़वाह है कि सुपरमार्केट में जो सब्जी, फल और मांस रखे हुए हैं, लोग हाथों से इन्हें चुनते हैं। इसलिए नोवेल कोरोना वायरस सब्जी और फल जैसे खाद्य पदार्थों से फैल सकता है।
यह शब्द गलत है। वास्तव में वायरस बैक्टिरियल से अलग होते हैं। नोवेल कोरोना वायरस मुख्य तौर पर श्वसन मार्ग से उड़ने वाले छोटे जलकण और स्पर्श से फैलता है। नागरिकों को विवेकपूर्ण रूप से इसे समझना चाहिए और अत्यधिक भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है कि वायरस सब्जी, फल और मांस जैसे खाद्य पदार्थों में जीवित रह सकता है। अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है कि सब्जी, फल और मांस खाने से नोवेल कोरोना वायरस निमोनिया का संक्रमण फैलता है। महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के दौरान हमें गर्म खाना और पका हुआ भोजन खाना चाहिए, जबकि सुशी और साशिमी जैसे कच्चे या ठंडे खाने से बचना चाहिए।
चौथी अफ़वाह है कि ज्यादा शराब पीने से नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम की जा सकती है।
यह बात भी गलत है। वास्तव में 75 प्रतिशत अल्कोहल छिड़कने और साफ़ करने से वायरस को मारा जा सकता है, लेकिन पीना नहीं। शराब पीने के बाद यह हमारे पाचन तंत्र से गुजरती है। लेकिन नोवेल कोरोना वायरस निमोनिया श्वसन संबंधी रोग है।
चिकित्सा अल्कोहल से हमारे दोनों हाथ, मोबाइल फोन, दरवाज़े के हैंडल और लिफ्ट के बटन आदि साफ़ करने से वायरस मारने में मददगार है, लेकिन ज्यादा शराब पीने से वायरस की रोकथाम नहीं की जा सकती, बल्कि इसका हमारे शरीर को नुकसान पहुंचता है।
पांचवीं अफ़वाह है कि नोवेल कोरोना वायरस उच्च तापमान में नहीं रह सकता। इसलिए गर्म पानी से स्नान करने से वायरस को मर सकता है।
यह बात भी गलत है। वास्तव में कम से कम 56 डिग्री सेल्सीयस के वातावरण में 30 मिनट तक रखने के बाद नोवेल कोरोना वायरस को मारा जा सकता है। वस्तु का कीटाणुशोधन करते समय हम इस उपाय का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन अगर हम 56 डिग्री सेल्सीयस के पानी में 30 मिनट तक स्नान करते हैं, तो थर्मोप्लेजिया से ग्रस्त होंगे और जीवन के लिए खतरा होगा। क्योंकि हमारा शारीरिक तापमान आम तौर पर स्थिर रहता है। गर्म पानी से स्नान करने से शारीरिक तापमान नहीं बढ़ाया जा सकता, इसलिए वायरस की रोकथाम नहीं की जा सकती।
छठीं अफ़वाह है कि चाय पीने से नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम की जा सकती है।
यह शब्द गलत है। वास्तव में अब तक कोई सबूत नहीं मिला है कि चाय वायरस को रोकने में लाभदायक है। चाय पीने से हमारे शरीर में पानी की पूर्ति की जाती है। यह अच्छा है, लेकिन वायरस की रोकथाम से कोई संबंध नहीं होता। सबसे अच्छा उपाय है कि अकसर खिड़की खोलकर ताज़ा हवा लें, स्वच्छता पर ध्यान दें, अकसर हाथ साफ़ करें, पका हुआ भोजन खाएं और भीड़भाड़ वाली जगह पर न जाएं।
सातवीं अफ़वाह है कि लहसुन खाने से नोवेल कोरोना वायरस को मारा जा सकता है।
यह शब्द गलत है। वास्तव में लहसुन से निकाली गई वस्तु रोगाणु का नाश कर सकती है, लेकिन लहसुन और इससे निकाली गई वस्तु में बड़ा फ़र्क होता है। अब तक कोई सबूत नहीं मिला है कि लहसुन वायरस की रोकथाम कर सकता है। इसकी वायरस को मारने की संभावना भी नहीं होती।
आठवीं अफ़वाह है कि प्याज़ नोवेल कोरोना वायरस को अभिलग्र कर सकता है।
यह शब्द गलत है। वास्तव में कमरे में प्याज़ रखने से वायरस की रोकथाम नहीं की जा सकती। प्याज़ लंबे समय से रखने के बाद खराब हो जाता है। बेहतर है कि बाज़ार से प्याज़ खरीदने के बाद जल्दी से खाएं। प्याज़ खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
नौवीं अफ़वाह है कि नमकीन पानी से कुल्ला करने से वायरस की रोकथाम की जा सकती है।
यह शब्द गलत है। वास्तव में नमकीन पानी से कुल्ला करना मुंह और गला साफ़ करने के लिए लाभदायक है और गले की झिल्ली की सूजन दूर करने में मददगार है। लेकिन नोवेल कोरोना वायरस श्वसन मार्ग को नुकसान पहुंचाता है। कुल्ला करने से श्वसन मार्ग साफ़ नहीं हो सकता। अब तक कोई सबूत नहीं है कि नमकीन पानी नोवेल कोरोना वायरस को मार कर सकता है।
Coronavirus tips in Hindi | Coronavirus Prevention
नई दिल्ली, 19 मार्च 2020. कैबिनेट सचिव ने बीते मंगलवार 17 मार्च को यहां विभिन्न मंत्रालयों / विभागों से संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक ली।
SocialDistanacing
बैठक के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार एक दूसरे से आवश्यक दूरी बनाए रखने के उपायों के कार्यान्वयन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक रूप से दूरी बनाए रखने से इस बीमारी के प्रसार को सीमित करने में बड़ी मदद मिलेगी। उन्होंने संगरोध सुविधाओँQuarantine facilities, अस्पताल प्रबंधन और जागरूकता अभियानों के लिए विभिन्न राज्यों की तैयारियों की भी समीक्षा की।
CoronavirusOutbreakindia
केंद्र और राज्यों के बीच प्रभावी और समेकित तालमेल सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त सचिव और उनसे ऊपर के स्तर के 30 नोडल अधिकारियों को विभिन्न मंत्रालयों से संपर्क में रहने, तालमेल स्थापित करने तथा और राज्यों को भारत सरकार से किसी भी चीज़ के संबंध में आवश्यक मदद करने के लिए तैयार रखा गया है। इन्हें राज्यों में प्रतिनियुक्त पर भेजा जाएगा जो तैयारियों और रोकथाम के उपायों के लिए राज्य अधिकारियों के साथ तालमेल बनाए रखेंगे।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव ने सभी मंत्रालयों/ विभागों के सचिवों को भी लिखित आदेश देते हुए उनसे भारत सरकार के उन विभिन्न दिशानिर्देशों/ परामर्श को लागू करने का अनुरोध किया है जो जारी किए गए हैं और ये उन पर तथा उनके तहत आने वाले संगठनों पर लागू होते हैं।
11 मार्च, 2020 और 16 मार्च, 2020 को जारी की गए यात्रा यात्रा परामर्श को जारी रखते हुए निम्नलिखित अतिरिक्त परामर्श जारी किए गए हैं:
i- अफगानिस्तान, फिलीपींस, मलेशिया से भारत आने वाले यात्रियों की यात्रा तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित है। भारतीय मानक समयानुसार शाम 3 बजे के बाद इन देशों से भारत के लिए भी कोई भी विमान उड़ान नहीं भरेगा।
ii- यह निर्देश एक अस्थायी उपाय है और 31 मार्च 2020 तक लागू रहेगा और बाद में इसकी समीक्षा की जाएगी।
इसके अतिरिक्त, तीन दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं (ये www.mohfw.gov.in पर उपलब्ध हैं):
– कोविड-19 के गंभीर रोगियों (रोगियों की प्रारंभिक पहचान) के चिकित्सीय प्रबंधन पर दिशानिर्देश, संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन को संशोधित और अपडेट किया गया है।
– शव प्रबंधन के लिए मानक सावधानियों, संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण उपायों के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
– कोविड -19 परीक्षण शुरू करने के लिए निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं।
प्रयोगशाला परीक्षण केवल तभी किया जाना चाहिए जब आईसीएमआर के नियमों के अनुसार एक योग्य चिकित्सक द्वारा परीक्षण निर्धारित किया गया हो। चूंकि मार्गदर्शन समय-समय पर तय किया जाता है इसलिए नवीनतम संशोधित संस्करण का पालन किया जाना चाहिए।
आईसीएमआर प्रयोगशाला परीक्षण के लिए एसओपी साझा करेगा और परीक्षण के लिए सकारात्मक नियंत्रण प्रदान करेगा। परीक्षण के लिए वाणिज्यिक किट एलसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), पुणे के दिशा-निर्देशों पर आधारित होनी चाहिए।
एक संदिग्ध रोगी से सैंपल एकत्र करते समय उचित बायोसेफ्टी और सुरक्षा सावधानियां सुनिश्चित की जानी चाहिए। वैकल्पिक रूप से, एक बीमारी विशिष्ट अलग संग्रह केंद्र बनाया जा सकता है।
आईसीएमआर फिर से अपील करता है कि निजी प्रयोगशालाओं को कोविड-19 के इलाज की मुफ्त पेशकश करनी चाहिए।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा एक परामर्श जारी किया गया है, जिसमें कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए मंत्रालयों / विभागों के सभी कर्मचारियों द्वारा निवारक उपायों का जिक्र किया गया है। सभी मंत्रालयों / विभागों को निम्नलिखित सलाह दी गई है:
संभव हो सके तो सरकारी भवनों में प्रवेश करने पर थर्मल स्कैनर लगाना। सरकारी भवनों में प्रवेश करने पर हैंड सेनिटाइज़र को रखना अनिवार्य करना। फ्लू जैसे लक्षण पाए जाने पर उचित उपचार / क्वॉरन्टीन आदि करने की सलाह दी जा सकती है।
कार्यालय परिसर में आगंतुकों के प्रवेश को जितना हो सके उतना कम करना। आगंतुकों / अस्थायी पास के नियमित मुद्दे को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए। केवल उन्हीं आगंतुकों को जिनके पास उस अधिकारी की उचित अनुमति होना चाहिए जिनसे वे मिलना चाहते हैं। उनकी ठीक से जांच के बाद अनुमति दी जानी चाहिए।
बैठकें, जहां तक संभव हो, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जानी चाहिएं। जब तक आवश्यक न हो बैठकों को टाला जा सकता है या फिर बैठक में कम और जरूरी लोगों को ही ही बुलाया जा सकता है।
गैर-जरूरी आधिकारिक यात्रा से बचें।
आवश्यक पत्राचार को आधिकारिक ईमेल से करें और संभव होने तक अन्य कार्यालयों में फाइलें तथा दस्तावेज भेजने से बचें।
जहां तक व्यावहारिक है, कार्यालय भवन के प्रवेश द्वार पर ही डाक की डिलीवरी और रसीद की सुविधा।
सरकारी भवनों में स्थित सभी जिम / मनोरंजन केंद्र / क्रेच को बंद करना।
कार्य स्थल की उचित सफाई और लगातार स्वच्छता सुनिश्चित करना, विशेष रूप से उन जगहों पर जिन्हें हम छूते हैं। वॉशरूम में हैंड सैनिटाइजर, साबुन और बहते पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना।
सभी अधिकारियों को सलाह दी जा सकती है कि वे अपने स्वयं के स्वास्थ्य की देखभाल करें और श्वसन संबंधी लक्षणों / बुखार से बचाव करें। यदि अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं, तो अपने रिपोर्टिंग अधिकारियों को सूचित करने के तुरंत बाद कार्यस्थल को छोड़ दें। उन्हें स्वास्थय मंत्रालय द्वारा द्वारा जारी दिशा-निर्देशों (निम्नलिखित URL पर उपलब्ध है: www.mohfw.gov.in/DraftGuideIinesforhomequarantine.pdf ) के अनुसार घर में क्वॉरन्टीन के तहत रहें।
जब भी कोई एहतियात के तौर पर सेल्फ-क्वॉरन्टीन के लिए अनुरोध करता है, तो छुट्टी स्वीकृत करने वाले अधिकारियों को छुट्टी मंजूर करने की सलाह दी जाती है।
जिन्हें ज्यादा खतरा है, जैसे बुजुर्ग कर्मचारी, गर्भवती कर्मचारी और जिनका इलाज चल रहा है, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। मंत्रालयों / विभागों को इस तरह के कर्मचारियों का ख्याल रखना चाहिए।
Madhya Pradesh political crisis: hearing in Supreme Court even today for majority test
नई दिल्ली, 19 मार्च 2020 : मध्यप्रदेश में जारी सियासी संकट (Political crisis continues in Madhya Pradesh) के बीच बहुमत परीक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में आज (गुरुवार को) फिर से सुनवाई होने वाली है।
अदालत से लेकर बेंगलुरु तक राजनीतिक दांव पेंच जारी हैं। इससे पहले शीर्ष अदालत में मामले पर बुधवार को दिनभर सुनवाई हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले दिन की सुनवाई के दौरान मप्र विधानसभा अध्यक्ष पर कड़ा रुख अख्तियार किया और 16 विधायकों के इस्तीफे ना स्वीकारने का कारण पूछा। अदालत में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पक्ष के वकीलों में कई बार गरमागरम बहस भी हुई।
भाजपा के वकीलों ने सभी 16 बागी विधायकों को पेश करने की इच्छा जाहिर की थी, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया था।
अदालत में कानूनी पहलुओं पर इस मसले को मापा जा रहा है, वहीं भोपाल और बेंगलुरु में भी सियासी खेल जारी है।
भोपाल में भाजपा ने दिग्विजय सिंह की शिकायत चुनाव आयोग से की है। भाजपा ने आरोप लगाया कि राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता विधायकों को डराने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर बुधवार को बेंगलुरु में सियासी ड्रामा चरम पर रहा। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सुबह-सुबह बागी विधायकों से मिलने रिजॉर्ट पहुंचे, लेकिन राज्य पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। शाम तक वो बाहर आए तो कर्नाटक हाईकोर्ट में विधायकों से मिलने की इजाजत मांगी लेकिन याचिका ही खारिज हो गई।
SARS-CoV-2 stability similar to original SARS virus.
नई दिल्ली, 18 मार्च 2018. कोविड-19 महामारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस(Corona virus responsible for Covid-19 pandemic), जिसने विश्व स्तर पर 7,000 से अधिक जाने ली हैं, उसके बारे में एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि यह वायरस हवा और जमीन पर कई घंटों तक सक्रिय रहता है।
अमेरिकी सरकार के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) (एनआइएच) के शोधकर्ताओं ने पाया कि गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस-2 (एसएआरएस-सीओवी-2) वातावरण में तीन घंटे तक, तांबे पर चार घंटे तक, कार्डबोर्ड पर 24 घंटे और प्लास्टिक, स्टेनलेस स्टील पर दो-तीन दिन तक सक्रिय रहता है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक निष्कर्ष में एसएआरएस-सीओवी-2 की स्थिरता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है, जिससे कोविड-19 बीमारी पैदा होती है। उसमें एक सुझाव भी दिया गया है कि दूषित वस्तुओं को छूने से और हवा के माध्यम से लोगों में यह वायरस प्रवेश कर सकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, उनके द्वारा इस कंटेंट को प्रीप्रिंट सर्वर पर साझा करने के बाद इस जानकारी का पिछले दो हफ्तों में काफी बड़े पैमाने में प्रसार किया गया।
रॉकी माउंटेन लैबोरेट्रीज में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज मोंटाना फैसिलिटी के वैज्ञानिकों ने तुलना की कि कैसे एसएआरएस-सीओवी-2 और एसएआरएस-सीओवी-1 से पर्यावरण प्रभावित होता है।
एसएआरएस-सीओवी-1 को गहन संपर्क अनुरेखण और आइसोलेशन उपायों द्वारा खत्म किया गया था, 2004 के बाद से एक भी मामला नहीं आया।
अध्ययन के अनुसार एसएआरएस-सीओवी-1 मानव कोरोनोवायरस है जो एसएआरएस-सीओवी-2 की तरह है।
इस शोध में दोनों वायरस के व्यवहार में समानता पाया गया है, जो दुर्भाग्य से बताने में असमर्थ हैं कि यह कैसे कोविड-19 बहुत बड़ा प्रकोप बन गया है।
इस शोध में निष्कर्ष के रुप में एसएआरएस-सीओवी -2 के प्रसार को रोकने के लिए, जिन्हें इन्फ्लूएंजा और अन्य श्वसन सम्बंधी समस्या (Influenza and other respiratory problems) है, उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत है। बीमार लोगों के करीब जाने से बचें, आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचें, बीमार होने पर घर में रहें, खांसी या छींक के समय मुंह को रुमाल से ढकें, साफ-सफाई रखें, कीटाणु वाली वस्तुओं और सतहों को छूने से बचें आदि शामिल हैं।
इस अध्ययन को रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स और प्रिंसटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था।
Congress MLAs on Wednesday met Governor Lalji Tandon amidst the political turmoil in Madhya Pradesh
भोपाल, 18 मार्च 2020. मध्य प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच कांग्रेस के विधायकों ने बुधवार को राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। कांग्रेस ने राज्यपाल टंडन को ज्ञापन देकर बेंगलुरू में बंधक बनाए गए कांग्रेस के विधायकों को मुक्त कराने की मांग की।
MLA reached Raj Bhavan by bus
राजधानी के एमपी नगर स्थित होटल मैरियट में कांग्रेस के विधायक ठहरे हुए हैं। बुधवार को ये विधायक बस से राजभवन पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल टंडन से मुलाकात की।
राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है, “16 विधायकों को बेंगलुरू में भाजपा ने बंधक बनाया है। इन विधायकों को मुक्त कराने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ आप से निवेदन कर चुके हैं।”
बेंगलुरू के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कांग्रेस विधायकों के पत्र में कहा गया है,
“बुधवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और अन्य विधायकों ने बेंगलुरू पहुंचकर विधायकों से मिलने का प्रयास किया, क्योंकि दिग्विजय सिंह राज्यसभा के उम्मीदवार हैं और अपने मतदाता विधायकों से मिलकर अपना पक्ष रखना चाहते थे। पुलिस और प्रशासन ने उन्हें मिलने नहीं दिया। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री सहित विधायकों को हिरासत में ले लिया गया।”
कांग्रेस विधायकों के दल ने राज्यपाल से अपने संवैधानिक प्रभाव का इस्तेमाल कर विधायकों को मुक्त कराने का अनुरोध किया है।
कांग्रेस विधायकों ने आज महामहिम राज्यपाल जी से मुलाक़ात की और बताया कि प्रदेश के 16 विधायक बेंगलुरु में बंदी है।
—राज्यपाल महोदय से आग्रह किया गया है कि अपने संवैधानिक प्रभाव का उपयोग करके बंधक विधायकों को मुक्त कराएं। pic.twitter.com/wv3YuBFZ4C
—कांग्रेस सरकार बहुमत में है और कांग्रेस सरकार ने सदन में कई मर्तबा अपना विश्वास मत साबित भी दिया है। भारतीय जनता पार्टी को अगर लगता है कि सरकार अल्पमत में है तो वह सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाये : कमलनाथ pic.twitter.com/6oEVjEMkV8
Lucknow KGMU doctor tested positive, 16 cases of corona in U.P.
लखनऊ, 18 मार्च 2020. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी– King George Medical University Lucknow (KGMU) के एक जूनियर डॉक्टर में कोरोना वायरस परीक्षण (Corona virus test) पॉजिटिव आया है। यह उत्तर प्रदेश की राजधानी में कोविड-19 का तीसरा पॉजिटिव मामला है, इसके साथ ही अब राज्य में कुल मामलों की संख्या 16 पर पहुंच गई है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जूनियर डॉक्टर को केजीएमयू में ही क्वारंटाइन (Quarantine) में रखा गया है। यह उस मेडिकल टीम का हिस्सा था, जो कि कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रही है।
इससे पहले, एक महिला डॉक्टर और उसके रिश्तेदार में इस घातक वायरस का परीक्षण पॉजिटिव आया था। उनका केजीएमयू में इलाज चल रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक राज्य में 16 कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई है, जो कि आगरा (8), लखनऊ (3), नोएडा (3) और गाजियाबाद (2) से हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि 3 कोरोना मरीज पूरी तरह ठीक हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। बाकी मरीजों का इलाज चल रहा है।
Corona: Temples are also guarded, devotees are being deprived of sight of God
नई दिल्ली, 18 मार्च 2020 : कोरोना वायरस के बढ़ते कहर का असर अब मंदिरों पर भी पड़ने लगा है। भीड़ से संक्रमण बढ़ने की आशंका को देखते हुए उत्तर और दक्षिण भारत की प्रसिद्ध मंदिरो के या तो कपाट बंद कर दिये गये हैं या श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन करने से मना किया जा रहा है। इसको लेकर भारत सरकार भी सतर्क है। यूपी में भी योगी सरकार कोरोना से निपटने के लिए हर मुमकिन कोशिशों में जुटी है।
Many religious places of the state have also been closed from Kashi Vishwanath temple to Buddha temple.
काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर बुद्ध मंदिर तक प्रदेश के कई धार्मिक स्थलों को भी बंद कर दिया गया है। एहतियातन, प्रदेश में पहले ही सभी स्कूलों व कॉलेजों को दो अप्रैल तक बंद कर दिया गया है। कोरोना की वजह से काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
कोरोना के बढ़ने कहर की वजह से 31 मार्च तक कोई भी श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकेगा। भक्त मंदिर में बाहर से झांकी दर्शन कर करेंगे।
उधर कोरोना से बचाव के लिए भगवान बुद्ध की उपदेशस्थली सारनाथ का संग्रहालय, पार्क और मंदिर सब 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिए गए हैं। कभी जहां पर्यटकों की भीड़ होती थी, आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है।
सारनाथ में भगवान बुद्ध का मंदिर, संग्रहालय, पार्क सबकुछ 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है। लिहाजा पर्यटकों की आवक कम है, जो आ भी रहे हैं वो या तो वापस जा रहे हैं या गेट से ही तस्वीर उतार रहे हैं।
मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर अगली सूचना तक श्रद्धालुओं के लिए पहले ही बंद किया जा चुका है। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने कोरोना के असर को देखते हुए विदेशी नागरिकों, अप्रवासी भारतीयों और विदेश से आने वाले भारतीयों के माता वैष्णो देवी यात्रा करने पर रोक लगा दी है। इस बारे में श्राइन बोर्ड ने रविवार को एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि देशभर से आने वाला कोई भी व्यक्ति अगर खांसी और जुकाम से पीड़ित है तो वह यात्रा नहीं कर पाएगा।
इस एडवाइजरी के जारी होने के बाद अब ये लोग 28 दिनों तक माता वैष्णो देवी के दर्शन नहीं कर पाएंगे।
कुछ ऐसा ही हाल कोलकाता के बेलूर मठ, रामकृष्ण मिशन और दक्षिणेश्वर काली का है। इन स्थानों पर श्रद्धालुओं की आवजाही को नियंत्रित किया गया है। बेलूर मठ में तो प्रसाद वितरण रविवार के बाद से ही बंद कर दिया गया। दिल्ली में भी ऐसा ही कुछ हाल है। दिल्ली के प्रसिद्ध झंडेवालान मन्दिर में वैसे तो कोई पाबंदी नही लगाई गई है, लेकिन कोरोना से रोकथाम के लिये खास व्यवस्था की गई है। कनॉट प्लेस स्थित हनुमानजी की मन्दिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ कम देखी जा रही है। हालांकि मन्दिर प्रशासन ने कहा है कि यहां कोई प्रतिबंध नही लगा है, लेकिन एहतियातन सफाई और सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
Digvijay Singh arrives in Bengaluru to meet Congress MLAs imprisoned by BJP
नई दिल्ली. कथित रूप से भाजपा की कैद में कांग्रेस के विधायकों से मिलने के लिए वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह बेंगलुरु (Digvijay Singh reached Bengaluru) पहुंच गए। उन्होंने रमाडा होटल में रुके सभी विधायकों से मिलने की कोशिश की जिसपर पुलिस ने उन्हें रोका। इसके बाद वह अन्य नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वहीं बैठ गए। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। दिग्विजय सिंह के साथ कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डी शिवकुमार थे।
श्री सिंह ने ट्वीट किया, ‘मैं बेंगलुरू के रमाडा होटल पहुंच गया हूं। पुलिस हमें रोक रही है।’
बता दें कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार, विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। इस मामले पर बुधवार 18 मार्च को सुनवाई होगी.
बेंगलुरू में मीडिया से बातचीत में दिग्विजय सिंह ने कहा,
‘मैं मध्य प्रदेश से राज्यसभा का उम्मीदवार हूं, 26 मार्च को मतदान होना है। मेरे 22 विधायक यहां रुके हुए हैं। वह लोग मुझसे बात करना चाहते हैं। उनके फोन छीन लिए गए हैं। पुलिस वाले उनसे बात भी नहीं करने दे रहे हैं कहते हैं कि इनकी सुरक्षा को खतरा है।’
दिग्विजय सिंह ने कहा –
“विधायक निजी नागरिक नहीं हैं। वो लाखों जनता/ वोटरों के प्रतिनिधि हैं।
विधायक को अगर कोई संकट है तो संवैधानिक व्यवस्था है कि वे स्पीकर को मिलें, या सदन पटल पर बोलें या पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधियों से कहें।
अन्य कोई भी तरीक़ा लोकतंत्र का अपहरण है।“
उन्होंने ट्वीट किया
“बेंगलुरु में तो BJP की सरकार है। यहाँ की पुलिस BJP सरकार के अधीन है। मैं यहाँ गांधीवादी तरीक़े से अपने विधायकों से मिलने आया हूँ।
मुझे तो BJP के राज में भी, उनकी पुलिस के बीच भी डर नहीं लग रहा है।
लेकिन BJP नेता कह रहे हैं कि विधायकों को डर है। तो डर किससे है?
खुद BJP से न?”
श्री सिंह ने कहा
“बेंगलुरु पुलिस का कहना है कि हमारे जो विधायक यहाँ हैं, उनकी privacy के चलते हम उनसे नहीं मिल सकते हैं।
निगरानी के लिए पुलिस 24 घंटे उनपर नज़र रखे है। प्राइवेसी की रक्षा का ये ग़ज़ब उदाहरण है!
हर संवैधानिक अधिकार, हर संवैधानिक व्यवस्था की स्वार्थी व्याख्या BJP से सीखें।”
“कर्नाटक पुलिस हमें स्थानीय DCP ऑफ़िस लायी है।
उन्होंने ट्वीट किया,
“हमारी माँग है कि BJP की क़ैद में रह रहे हमारे विधायकों से हमें मिलने दिया जाए।
जब तक हमारी मुलाक़ात अपने विधायकों से नहीं होगी, मैं अनशन की घोषणा करता हूँ।
हमारे देश में लोकतंत्र है, डिक्टेटरशिप नहीं।”
कर्नाटक पुलिस हमें स्थानीय DCP ऑफ़िस लायी है।
हमारी माँग है कि BJP की क़ैद में रह रहे हमारे विधायकों से हमें मिलने दिया जाए।
जब तक हमारी मुलाक़ात अपने विधायकों से नहीं होगी, मैं अनशन की घोषणा करता हूँ।
मुस्तफाबाद का ईदगाह (Idgah of Mustafabad) वही जगह है, जहां 25 तारीख की शाम तक बहुत सी महिलाएं और पुरुष अपने परिवार के साथ जान बचाकर भाग यहां पनाह लेने आए थे, आज उन्हें पन्द्रह दिन से ज्यादा हो गए लेकिन वहां जिन्दगी आज भी बिखरी हुई है, वहां रह रहे लोगो को रोज-रोज की जरूरतों के लिए अपना नाम लिस्ट में लिखवाना पड़ता है जिससे अक्सर महिलांए परेशान दिखती हैं। वो जानती हैं कि सरकार व संस्थाएं सब उनके भले के लिए ही कर रहे हैं ताकि सभी को लाभ मिल सके।
कैम्प के सभी लोग यही चाहते हैं कि शिव विहार में सब कुछ अच्छा हो जाए। काश उनके मोहल्ले के हिन्दू भाई उन्हें बुला लें और आश्वासन दें कि हर सुख दुख में उनके साथ खड़े हैं। कई महिलाएं बोलीं कि जिस मुस्तफाबाद में हिन्दू लोगों ने मुस्लिमों का साथ दिया वहां पर दंगाई कुछ नहीं कर सके। वे लोग चाहते हैं कि सरकार उनके घरों की टूट-फूट को दुरुस्त करवा दे जिससे कि वो पहले की तरह से जिन्दगी जीने की शुरुआत करें।
लिस्ट में नाम लिखवाने की परेशानी और छोटी-मोटी जरूरतों से भले ही महिलाएं जूझ रही हैं लेकिन जिन्दगी जीने का जज्बा अब भी उनमें कायम है। कैम्प मे रह रही महिलाएं एक-दूसरे का दर्द बखूबी समझ रही हैं, इसलिए एक-दूसरे को समझा कर अपना गम कम करने की कोशिश करती हैं। इस कैम्प में किसी लड़की की शादी है सारा घर जल चुका है, लुट चुका है कैम्प के मेनेजमेन्ट के लोग उसे यह अहसास नहीं होने देते और हल्दी मेहन्दी सभी रस्में बखूबी निभाई जा रही हैं।
बाहर से मिलने आने वाले पड़ोसी रिश्तेदारों का समय तीन से चार निश्चित है, वो आते हैं तब भी महिलाएं उनके शायद अपने गम को बांटती हैं।
जब मैं कैम्प के अन्दर गई तब बाहर से मिलने वालों का समय शुरू हो गया था, रिश्तेदार पड़ोसियों की भीड़ बढ़ी हुई थी जिन्हें बार-बार यह निर्देश दिया जा रहा था कि जल्दी-जल्दी बातें खत्म करें, समय होने वाला है। ये निर्देश इसलिए भी दिए जा रहे थे ताकि भीड़ ज्यादा न हो पाएं। उस समय मैं भी इसी भीड़ का हिस्सा थी।
इस भीड़ में बीच से ही अचानक एक आवाज पर मेरा ध्यान गया, वो इसलिए क्यांकि वो आवाज इतनी बुलन्द और हौसले वाली थी कि चाह कर भी मैं अनसुनी न कर सकी। जब इधर उधर नजर घूमा कर देखा तो एक महिला फोल्डिंग पर लेटी हुई ही बोल रही थी कि जो भी बाहर से मिलने वाले आते हैं यही बोलते है कि अल्लाह पर भरोसा रखो,‘‘ जिसे देखो वो ही कहता है कि अल्लाह का नाम लो, जरूर दुआ में कुछ कमी हो गयी जो अल्लाह की मेहर नहीं पड़ी।’’
ये महिला शकीना (बदला हुआ नाम) थी जो कि मेरे टेन्ट के अन्दर आते ही मुझसे ऐसे बात करने लगी जैसे वह मेरा ही इंतजार कर रही हो और मैं ही उनकी उन बातों को दूसरों से बेहतर समझ सकती हूं।
,शकीना कहती है कि मैं तो दुखी हो गई हूं लोगों की बात सुनकर, हमें तो यहां के जैसे भीड़-भाड़ में रहने की बिल्कुल ही आदत नहीं है जब हम घर पर थे तब भी अपने घर के अलावा कहीं नहीं जाते थे’’।
शकीना 45 वर्षीय एकल महिला है, जिसके पति 15 साल पहले उसे बिना किसी कारण के छोड़ कर भाग गए थे और आज तक नहीं आए। तीन बेटियों की मां शकीना ने ही बेटियों को पाल कर बड़ा किया, बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है, बीच की बेटी ने 17 साल की उम्र में बिना कारण बताएं आत्महत्या कर लिया, जिसका गम वह आज भी नहीं भुला पाई, छोटी बेटी ने बारहवीं तक की पढ़ाई की फिर उसकी भी शादी कर दी, आज वह दो बच्चों की मां है।
शकीना के पति के जाने के बाद बच्चों की जिम्मेदारी उस पर आ गई लेकिन उसने जिन्दगी में हार नहीं मानी और जिन्दगी को एक चुनौती समझ कर उस पर जीत हासिल करने की कोशिश की। वह ब्यूटी पार्लर का थोड़ा बहुत काम जानती थी, जिसके दम पर उसने अपने घर शिव विहार में ही एक पार्लर की दुकान खोली, जिसमें थ्रेडिंग और मेहन्दी से घर का खर्चा निकल जाता है। उसकी सभी बेटियों को पार्लर का पूरा काम आता है।
शकीना बताती है कि ‘‘मुझे तो केवल आई ब्रो बनानी ही आती थी जिससे कम ही कमाई हो पाती थी, लेकिन जब से बेटियों ने दुकान में, साथ दिया तब से हमारी दुकान बहुत अच्छी चलती है, बेटियों को फेसियल वगैरह सब काम आता है’’।
शकीना ने अपनी बेटी की बेटी अपने पास रखा हुआ है। वो कहती है कि
‘‘हमारे में बेटियों को ज्यादा नहीं पढ़ाया जाता लेकिन मेरी ख्वाहिश है मेरी बेटियां पढ़ें। मुझसे जितना बन पड़ा मैंने अपनी बेटियों को पढ़ाया और अब अपनी नातिन को भी पढ़ाऊंगी’’।
वह यहां किस तरह पहुंची उस घटना पर वो बताती है कि
‘‘हमें तो यकीन नहीं नहीं था कि हमारे साथ ऐसा होगा, हम तो हिन्दुओं की कलोनी में रहते थे, हमारा तो उठना बैठना हिन्दुओं के साथ ही रहता था, हमें मुस्लिम लोगों के साथ उठना बैठना आया ही नहीं।”
वह बताती है कि उनके घर एक बिट्टू नाम का लड़का हमेशा से आता जाता रहता था। चौबीस तारीख को वो कह रहा था कि ‘आंटी आप यहां से गांव चले जाओ चाहो तो किराया मैं देता हूं।’ इसका मतलब कि उसे पता था कि यहां ऐसे हमारे घर जलाये जायेंगे।
शकीना के हाथ और पांव में गहरी चोट आई है। उसने मुझे बताया कि ‘‘शाम को मेरा दिल घबराया क्योंकि मेरे घर कोई मर्द नहीं था, इसलिए मैं अपने भाई के घर चली गई, जो कि पास में ही रहते थे। जैसे ही हम खाना खाकर हाथ धो रहे हैं कि अचानक से दरवाजा तोड़ने की आवाज आई। हम सब भाई भाभी भतीजे बच्चे छत से चढ़ कर दूसरे की छत पर कूदे, वहां से तीसरे की छत पर, तीसरे से चौथे की छत पर, पांच पांच फुट की दीवारें कूदने में ही पांव में चोट लग गई, हाथ छिल गए’’।
शकीना ईश्वर के बारे में अपने विचार बताती है जो कि टेंट की अधिकतर महिलाएं ऐसा ही मानती है, सभी यह कहते हैं कि ‘‘अल्लाह पर भरोसा रखो यहां बहुत सी महिलाएं दिन रात ईश्वर को याद करती है लेकिन मै कहती हूं कि अल्लाह हो या ईश्वर सभी एक है तो फिर क्यों ईश्वर के नाम पर दंगे हो रहे हैं, जो दंगाई आये थे वो भी जय श्री राम चिल्ला रहे थे, मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि कौन से राम ने यह आकर कहा कि लोगों का घर जलाओ, मासूमों को बेघर करो’’।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई (Retired Chief Justice of the Supreme Court of India Justice Ranjan Gogoi) को राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में सदस्य मनोनीत किए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय के ही अवकाश प्राप्त न्यायाधीशजस्टिस मार्कंडेय काटजू (Justice Markandey Katju, a retired judge of the Supreme Court) ने पुनः हमला बोला है।
जस्टिस काटजू ने अपने सत्यापित फेसबुक पेज पर लिखा,
“मैं 20 वर्ष अधिवक्ता और 20 वर्ष जज रहा। मैं कई अच्छे जजों और कई बुरे जजों को जानता हूं। लेकिन मैंने कभी भी भारतीय न्यायपालिका में किसी भी जज को इस यौन विकृत रंजन गोगोई जैसा बेशर्म और लज्जास्पद नहीं पाया। शायद ही कोई ऐसा दुर्गुण है जो इस आदमी में नहीं था।
और अब यह दुर्जन और धूर्त व्यक्ति (rascal and rogue) भारतीय संसद् की शोभा बढ़ाने वाला है।
हरिओम।“
इससे पहले आज दिन में सुबह जस्टिस काटजू ने दो ट्वीट किए थे।
जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अपने सत्यापित फेसबुक पेज पर वन लाइनर के जरिए कटाक्ष किया –
“गोगोई का राज्यसभा के लिए नामांकन हुआ
हरि ओम”
इसके पहले जस्टिस काटजू ने अल्लामां इक़बाल का प्रसिद्ध शेर “वतन की फिक्र कर” पोस्ट किया, हालांकि उस पोस्ट में गोगोई एपिसोड का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन पोस्टिंग के तारतम्य से समझा जा सकता है कि काटजू का इशारा गोगई प्रकरण से न्यायपालिका की विश्वसनीयता के संकट को लेकर है।
Air Pollution may further impact corona virus patients – Doctors
Those in polluted regions and with compromised lung function asked to take extra care; Government urged to reduce Air Pollution for long-term impacts.
वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग, कोरोना वायरस (COVID19) के प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं, क्योंकि उनके फेफड़े वायु प्रदूषण के चलते कमज़ोर हो जाते हैं।
यह चेतावनी वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों पर काम कर रहे डॉक्टरों के एक समूह ने दी है।
डॉक्टर्स फ़ॉर क्लीन एयर -Doctors for clean air (डीएफसीए) ने चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कार्य में समझौता होने से कोविड-19 महामारी से प्रभावित रोगियों में गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं।
डीएफसीए के मुताबिक वायु प्रदूषण के लंबी अवधि तक संपर्क में आने से अंगों के पूरी तरह से कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है और यह संक्रमण और बीमारियों की चपेट में आ जाता है। वर्तमान कोविड-19 महामारी के संदर्भ में, ऐसे व्यक्तियों को गंभीर जटिलताओं का सामना करने की आशंका है।
डीएफसीए के मुताबिक वायु प्रदूषण और COVID19 की मृत्यु दर के बीच अभी तक कोई सीधा संबंध तो साबित नहीं हुआ हैं। हालांकि, एसएआरएस जैसे कोरोनोवायरस के पिछले उपभेद वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में उच्च मृत्यु का कारण बनते हैं।
डीएफसीए के मुताबिक एक वैश्विक पहुंच सेवा स्रोत “एनवायरनमेंटल हेल्थ” में पिछले दिनों एक शोध प्रकाशित हुआ था। इस शोध में अप्रैल और मई 2003 के बीच चीन के पांच अलग-अलग क्षेत्रों में SARS मृत्यु दर और वायु प्रदूषण के स्तर की तुलना की गई थी और इस शोध में सार्स के अधिकांश मामलों का निदान किया गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि जैसे-जैसे प्रदूषण का स्तर बढ़ा वैसे-वैसे सार्स प्रभावित मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी हुई, जो निम्न वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में लगभग 4% से लेकर मध्यम या उच्च वायु प्रदूषण स्तर वाले क्षेत्रों में 7.5% और 9% तक थी।
डीएफसीए ने जनता, विशेषकर उन लोगों से जो प्रदूषित शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और जिनको फेफड़े या दिल की बीमारियों की पहले से शिकायत है, से कहा है कि वे स्वच्छता और सामाजिक मेल-मिलाप में दूरी बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतें और यदि सर्दी, बुखार और सांस फूलने के लक्षण दिखाई दें तो तत्काल चिकित्सा सहायता लें।
डीएफसीए ने सरकार से देश में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाने का भी आग्रह किया है। डीएफसीए ने थर्मल पावर प्लांट उत्सर्जन मानदंड, डीजल और पेट्रोल वाहनों से उत्सर्जन के नियमन और निर्माण और ठोस अपशिष्ट मानदंडों को सख्ती से लागू करने की मांग की है ताकि वायु प्रदूषण के स्रोतों से निपटा जा सके।
डीएफसीए ने कहा है कि कोविड-19 या भविष्य की महामारियों से लड़ने के लिए भारत के पास एकमात्र तरीका है कि पर्यावरण की सुरक्षा की जाए। इस महामारी ने हमें हवा के मूल्य का एहसास कराया है और यह हमारे देश के पर्यावरण को स्वच्छ करने की दिशा में एक सबक साबित हो सकता है।
कोरोना से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्क देशों के प्रमुखों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे हैं, अच्छी बात है, लेकिन यदि अपने देश में भी सरकार पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास करे और अपनी जिम्मेदारी निभाए भी तो बेहतर होगा।
Rahul Gandhi again warns the careless Modi government on Corona virus – Economic tsunami is coming in the country, people will go through unimaginable pain
देश में आर्थिक सुनामी (Economic tsunami) जैसे हालात बन गए हैं। आप को अंदाजा नहीं है क्या होने वाला है। यह बहुत दर्दनाक है। भारत को सिर्फ कोरोना वायरस (Corona virus) के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली आर्थिक तबाही (Economic catastrophe) के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
नई दिल्ली, 17 मार्च 2020. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने कोरोना वायरस को लेकर लापरवाह मोदी सरकार और देश के लोगों को एक बार फिर चेताया है।
नवजीवन की खबर के मुताबिक श्री गांधी ने मंगलवार को संसद के भीतर पत्रकारों से बात करते हुए कहा,
“देश में आर्थिक सुनामी जैसे हालात बन गए हैं। आप को अंदाजा नहीं है क्या होने वाला है। यह बहुत दर्दनाक है। भारत को सिर्फ कोरोनो वायरस के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली आर्थिक तबाही के लिए भी तैयार रहना चाहिए। मैं इसे बार-बार कह रहा हूं। हमारे लोग अगले 6 महीनों में अकल्पनीय दर्द से गुजरने वाले हैं।”
इस दौरान उन्होंने एक कहानी बताते हुए कहा कि सुनामी आने से पहले पानी चला जाता है, जब पानी चला जाता है तो लोग मछली लेने जाते हैं और इसी दौरान वे हादसे का शिकार हो जाते हैं। मैं इसे बार-बार कह रहा हूं लेकिन कोई सुन नहीं रहा है। मैं सरकार से रोज कह रहा हूं कि तैयारी करिये लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे हैं। रोज उल्टी सीधी बात करते हैं।
कोरोना वायरस को लेकर इससे पहले भी राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमला बोल चुके हैं। उन्होंने कहा था कि एक बहुत बड़ी समस्या है और इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने यह दावा भी किया था कि इस समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठाने की बजाय यह सरकार बेखबर पड़ी है।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था,
“मैं यह दोहराता रहूंगा कि कोरोना वायरस एक बहुत बड़ी समस्या है। इस समस्या को नजरअंदाज करना समाधान नहीं है। अगर कड़े कदम नहीं उठाए गए तो भारतीय अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी।”
इससे पहले उन्होंने ट्वीट करके कहा था,
“कोरोना वायरस की समस्या और अर्थव्यवस्था की हालात को लेकर प्रधानमंत्री सो रहे हैं।”
नई दिल्ली, 17 मार्च 2020. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई (Retired Chief Justice of the Supreme Court of India Justice Ranjan Gogoi) को राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में सदस्य मनोनीत किए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय के ही अवकाश प्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू (Justice Markandey Katju, a retired judge of the Supreme Court) ने व्यंग्यात्मक लहजे में “हरि ओम” कहा है।
इसके पहले जस्टिस काटजू ने अल्लामां इक़बाल का प्रसिद्ध शेर “वतन की फिक्र कर” पोस्ट किया, हालांकि उस पोस्ट में गोगोई एपिसोड का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन पोस्टिंग के तारतम्य से समझा जा सकता है कि काटजू का इशारा गोगई प्रकरण से न्यायपालिका की विश्वसनीयता के संकट को लेकर है।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है,
“भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (तीन) के साथ पठित खंड (एक) के उपखंड (क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति, एक मनोनीत सदस्य की सेवानिवृत्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए रंजन गोगोई को राज्यसभा का सदस्य मनाीनीत करते हैं।”
JusticeRanjan Gogoi was the 46th Chief Justice of the country.
न्यायमूर्ति गोगोई देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश रहे। उन्होंने देश के प्रधान न्यायाधीश का पद तीन अक्टूबर 2018 से 17 नंवबर 2019 तक संभाला।
Biography of Justice Ranjan Gogoi in Hindi
18 नवंबर, 1954 को असम में जन्मे रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बोस्को स्कूल और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ाई की। उनके पिता केशव चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री थे। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था।
28 फरवरी, 2001 को रंजन गोगोई को गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
न्यायमूर्ति गोगोई 23 अप्रैल, 2012 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने थे और बाद में मुख्य न्यायाधीश भी बने।
पराली जलाने के लिए किसानों पर जुर्माने का विरोध किया किसान सभा ने
Kisan Sabha opposed penalty for burning stubble
रायपुर, 17 मार्च 2020. छत्तीसगढ़ किसान सभा (Chhattisgarh Kisan Sabha) ने पराली जलाने पर प्रशासन द्वारा किसानों पर जुर्माना(Farmers fined for burning stubble) किये जाने का विरोध किया है और राज्य सरकार के इस रवैये को किसान विरोधी करार देते हुए इसकी तीखी निंदा की है।
उल्लेखनीय है कि गरियाबंद जिले के किसानों से पराली जलाने के अपराध में प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम और एनजीटी के प्रावधानों के अंतर्गत 3 से 5 हजार रुपये जुर्माना वसूला जा रहा है। प्रदेश के अन्य हिस्सों से भी किसानों पर ऐसे ही जुर्माना थोपे जाने के समाचार किसान सभा को मिल रहे हैं।
आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि यह जुर्माना किसानों की समस्याओं के प्रति सरकार और प्रशासन की असंवेदनशीलता का परिचायक है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब अधिकांश कटाई मशीनों से हो रही है और उपयुक्त मशीनों के अभाव में किसानों के पास पराली जलाने के सिवा और कोई रास्ता ही नहीं बचता। राज्य सरकार गोठनों में पराली दान करने के जिस विकल्प की बात कर रही है, वह भी तभी कारगर होगा, जब गोठनों तक पराली की ढुलाई की व्यवस्था पंचायत या सरकार करें।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि प्रदूषण निवारण कानून(The Air (Prevention and Control of Pollution) Act- 1981) और एनजीटी के प्रावधानों को किसानों पर लागू करने के बजाए सरकार उद्योगों और उद्योगपतियों पर लागू करें, तो प्रदेश की जनता का भला होगा। सभी जानते हैं कि उद्योगों द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण से राज्य के पर्यावरण, आम जनता के स्वास्थ्य और आजीविका तथा खेती-किसानी को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इसके बावजूद इस प्रदूषण के प्रति सरकार और प्रशासन ने न केवल आंख मूंद रखी है, बल्कि उद्योगपतियों के साथ इनकी सांठगांठ भी जगजाहिर है। किसानों पर जुर्माना लगाने वाला यही प्रशासन एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन करते हुए बीच बस्तियों में कचरा डंपिंग कर रहा है और प्रदूषण फैला रहा है।
किसान नेताओं ने कहा कि प्रदेश गंभीर कृषि संकट से गुजर रहा है और खेती-किसानी घाटे का सौदा बनकर रह गई है। प्रदेश के किसानों की औसत कृषि आय लगभग 40000 रुपये सालाना ही है। ऐसे में यह जुर्माना किसानों की बदहाली को और ज्यादा बढ़ाएगा।
उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि किसानों पर थोपे जा रहे इस जुर्माने पर रोक लगाई जाए। किसान सभा ने किसानों के प्रति सरकार के इस रूख के खिलाफ किसान समुदाय को लामबंद करने का फैसला किया है।
Know what happens in Parliament during Question Hour and Zero Hour
सांसदों द्वारा प्रश्न पूछकर (Asking Questions by MPs) प्रशासन तथा सरकार के कार्यों पर निगरानी (Monitoring the administration and functions of the government) रखी जाती है। प्रश्न पूछने का मूल उद्देश्य (The basic purpose of asking questions by MPs) लोक महत्व के किसी मामले पर जानकारी प्राप्त करना है।
प्रश्न यह जानने के लिए किए जाते हैं कि सरकार द्वारा घोषित व अनुमोदित राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय नीतियों को उचित रूप से कार्यरूप दिया गया है या नहीं।
प्रश्नकाल – Question Hour in Hindi
प्रश्नकाल का समय 11 बजे से 12 बजे तक का नियत किया गया है। इसमें संसद सदस्यों द्वारा लोक महत्व के किसी मामले पर जानकारी प्राप्त करने के लिए मंत्रि परिषद से प्रश्न पूछे जाते है। प्रश्नकाल के समय भारत सरकार से संबंधित मामले उठाए जाते हैं और सार्वजनिक समस्याओं को ध्यान में लाया जाता है। जिससे सरकार वास्तविक स्थिति को जानने, जनता की शिकायतें दूर करने, प्रशासनिक त्रुटियों को दूर करने के लिए कार्रवाई कर सकें। प्रश्नकाल के दौरान विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं जैसे – तारांकित प्रश्न, गैर-तारांकित प्रश्न, अल्पसूचना प्रश्न, गैर सरकारी सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्न!
तारांकित प्रश्न– starred questions in parliament,
इन प्रशों के ऊपर तारा लगा होता है, इसलिए उन्हें तारांकित प्रश्न कहा जाता है। इन प्रश्नों के उत्तर सदन में मौखिक रूप से दिए जाते हैं, तारांकित प्रश्नों के साथ-साथ अनुपूरक प्रश्न भी पूछे जाते हैं।
गैर-तारांकित प्रश्न– unstarred question meaning in hindi
इन प्रश्नों पर तारा नहीं लगा होता है। गैर-तारांकित प्रश्नों के उत्तर लिखित रूप में दिए जाते हैं। इस कारण इन प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं।
गैर-सरकारी सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्न–
मंत्रिपरिषद के सदस्यों के अतिरिक्त अन्य संसद सदस्यों को गैर-सरकारी सदस्य कहा जाता है। जब प्रश्न का विषय किसी ऐसे विधेयक का संकल्प अथवा सदन के कार्य किसी अन्य विषय से संबंधित हो, जिसके लिए गैर-सरकारी सदस्य उत्तरदायी हो, तो उसी से पूछे जाते है, ऐसे प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछा जा सकता।
अल्पसूचना प्रश्न-
अल्पसूचना प्रश्न वह प्रश्न है जो किसी अविलंबनीय लोक महत्व के मामले से संबंधित होता है और यह साधारण प्रश्न के लिए निर्धारित दस दिन की अवधि से कम अवधि देकर पूछा जाता है। किसी एक दिन की अवधि में ऐसा केवल एक ही प्रश्न पूछा जाता है। अल्पसूचना प्रश्न किसी गैर सरकारी सदस्य से नहीं पूछा जाता।
आधे घंटे की चर्चा-
कोई ऐसा प्रश्न जिसका उत्तर सदन में पहले दिया जा चुका हो तथा इस प्रश्न का संबंध लोक महत्व का रहा हो साथ ही तारांकित, गैर-तारांकित या अल्प सूचना प्रश्न का विषय रहा हो। इस प्रश्न पर आधे घंटे की चर्चा लोकसभा में सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को बैठक के अंतिम आधे घंटे में की जाती है, ऐसी चर्चा सदस्य जिस दिन उठाना चाहता है उससे तीन दिन पूर्व लिखित में सूचना देनी होती है। इस बात का फैसला अध्यक्ष या सभापति करते हैं कि क्या मामले में तथ्यात्मक स्पष्टीकरण की आवश्यकता है और क्या वह इतने लोक महत्व का है कि उसे चर्चा के लिए रखा जाए।
शून्यकाल- zero hour in parliament
प्रश्नकाल के बाद का समय शून्यकाल होता है, इसका समय 12 बजे से लेकर 1 बजे तक होता है। दोपहर 12 बजे आरंभ होने के कारण इसे शून्यकाल कहा जाता है।
When did Parliament introduce zero hour?,
शून्यकाल का आरंभ 1960 व 1970 के दशकों में हुआ जब बिना पूर्व सूचना के अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय उठाने की प्रथा विकसित हुई।
शून्यकाल के समय उठाने वाले प्रश्नों पर सदस्य तुरंत कार्रवाई चाहते हैं।