पुनरुत्थानवाद की खूबी है कि वह पुराने असभ्य सामाजिक रूपों, भाषिक प्रयोगों, आदतों या संस्कारों को बनाए रखता है। गालियां उनमें से एक है। हिन्दीभाषी राज्यों में गालियां पुनरुत्थानवाद के असर के कारण आज भी असभ्यता के बर्बर रूप के तौर पर बची हुई हैं और आम सम्प्रेषण का अंग हैं। हिन्दी में रैनेसां का शोर मचाने वाले नहीं जानते …
Read More »हस्तक्षेप
हमारे जैसे लोग जिन्होंने अपनी पूरी जवानी जेल और सड़क पर गुज़ारी है, आज कांग्रेस को क्यों चाहते हैं ?
यह पोस्ट अपने अग्रज, समाजवादी चिंतक, ITM विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलाधिपति भाई Rama Shankar Singh के लिए है। कल उन्होंने पूछा था – “बाक़ी सब ठीकई है जो है सो हइयै पर चंचल जी यह बताया जाये कि ४७ के बाद से लगातार २०१४ तक कांग्रेस ने अपने उन विपक्षी सत्याग्रहियों के साथ भयानक दुर्व्यवहार क्यों किया जिनकी शानदार भूमिका …
Read More »एक बड़ी चुनौती प्लास्टिक कचरे और पॉलिथीन पर नियंत्रण
स्वतंत्र टिप्पणीकार निर्मल रानी का लेख “पॉलिथीन व प्लास्टिक कचरे पर नियंत्रण : एक बड़ी चुनौती” लगभग ग्यारह वर्ष पूर्व हस्तक्षेप पर जनवरी 9, 2011 को प्रकाशित हुआ था। इन ग्यारह वर्षों में प्लास्टिक कचरे पर नियंत्रण पर नियंत्रण तो नहीं हुआ, हां इतना अवश्य हुआ कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध, फोटो सेशन और प्रचार का जरिया बन गया। …
Read More »आजादी का अमृत महोत्सव : भाजपा का दायरा सिकुड़ गया है, विपक्ष खिल उठा है
आजादी का अमृत महोत्सव : बिहार में फासीवाद के विकल्प का नया संधान Arun Maheshwari on Nitish Phenomenon आजादी की 75वीं सालगिरह का सप्ताह और 9 अगस्त, अर्थात् अगस्त क्रांति का दिन। ‘भारत छोड़ो’ का नारा तो गांधीजी ने दिया था, पर बिहार की धरती पर इस आंदोलन को एक ऐतिहासिक क्रांति का रूप दिया था कांग्रेस सोशिलिस्ट पार्टी के …
Read More »‘आजादी का अमृत महोत्सव’ में कहाँ है खेतिहर मज़दूर
आज़ादी का ख्याल ही बहुत खूबसूरत है। हालांकि यह बात अलग है कि हमारे देश में आज़ादी के 75 वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते ‘आज़ाद ख्याल’ नाक़ाबिल-ए- बर्दाश्त हो गया है। अगस्त महीने में हमारे देश में आज़ादी का उत्सव शुरू हो जाता है। सभी तरफ तिरंगें लहराते नज़र आते हैं। हो भी क्यों न। हमने देश की आज़ादी ब्रिटानिया साम्राज्यवाद के …
Read More »भारत छोड़ो आंदोलन : अगस्त क्रांति और भारत का शासक-वर्ग
मनोहरा देवी निराला की प्रेरक थीं
निराला की प्रेरक कौन थीं? हिन्दी में सूर्यकान्त त्रिपाठी ´निराला´ पर जब भी बातें होती हैं तो उनकी पत्नी की भूमिका का कभी जिक्र नहीं होता। सच यह है निराला को हिन्दीसेवा के लिए प्रेरित उनकी पत्नी ने किया। निराला की ´कुल्लीभाट´ रचना बेहद दिलचस्प है। रामविलास शर्मा ने ´निराला की साहित्य साधना´में बहुत ही रोचक ढ़ंग से समूचे प्रसंग …
Read More »सुगम जी के बहाने : हे राम! अब वे कविता पर बुलडोजर चलाएंगे !
सुगम जी के बहाने अब कविता पर बुलडोजर लोकप्रिय जनकवि महेश कटारे सुगम का घर तोड़ने का नोटिस देश के प्रतिष्ठित लोकप्रिय जनकवि महेश कटारे सुगम की कविताओं से हुक्मरान इतना भयभीत हो गए हैं कि अब उन्हें डराने धमकाने की साजिश रचने लगे हैं। मध्य प्रदेश के बीना शहर में चंद्रशेखर वार्ड नंबर 7 की माथुर कॉलोनी के एक …
Read More »अंधविश्वास और दैवी शक्ति की सत्ता का प्रौपेगंडा और हिटलर के अंधविश्वास
हिटलर के अंधविश्वास हिटलर ने जर्मनी में अपनी सत्ता प्रतिष्ठित करने के लिए अंधविश्वास और दैवी शक्ति की सत्ता के प्रौपेगैंडा का जमकर इस्तेमाल किया। उसका मानना था शैतान को परास्त करने, पाप से मुक्ति और जीवन की समस्याओं से मुक्ति का उपाय है दैवी शक्ति में विश्वास करो। हिटलर ने कितने समय शासन किया? हिटलर ने बारह साल शासन …
Read More »रवीन्द्रनाथ टैगोर जितने बड़े कवि थे, उससे बड़े विचारक भी थे
आज रवीन्द्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि है (Today is the death anniversary of Rabindranath Tagore) | Rabindranath Tagore punyatithi रवीन्द्रनाथ टैगोर से क्या सीखें? सात अगस्त 1941 को रवीन्द्रनाथ टैगोर की मृत्यु हुई, यानी आज का दिन हम भारतवासियों के लिए स्मरणीय दिन है। इस दिन हमारा एक महान लेखक इस धरती पर अजस्र सुंदर सपने देकर चला गया। मनुष्य की …
Read More »हिरोशिमा दिवस : पृथ्वी पर जीवन को बचाना है तो परमाणु हथियारों से दूर रहना ही होगा हमें
कब मनाया जाता है हिरोशिमा दिवस? क्यों मनाया जता है हिरोशिमा दिवस? Hiroshima marks 77th anniversary of atomic bombing. Hiroshima Day 2022: History, importance and significance of the day हिरोशिमा दिवस 2022 (Hiroshima Day 2022) हत्याओं की 77वीं वर्षगांठ है। पूरे विश्व में हर साल 6 अगस्त को परमाणु बम के भयावह प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने (Spreading awareness …
Read More »राम के बहाने असल मुद्दों से मुंह न चुराए सरकार
महंगाई पर हुए कांग्रेस के प्रदर्शन (Congress’s performance on inflation) को कपड़ों से पहचानने और उसे राम मंदिर शिलान्यास से जोड़ कर देखना, अपनी अक्षमता का प्रदर्शन और असल मुद्दों से मुंह चुराना है। गृह मंत्री अमित शाह का यह बयान कि काले कपड़े पहन कर 5 अगस्त को धरना प्रदर्शन करना राम मंदिर निर्माण का विरोध है, सरकार की …
Read More »हर घर तिरंगा : प्रधानसेवक का चीन प्रेम!
प्रधानसेवक की हिम्मत का नतीजा देश भुगतता है प्रधानसेवक का आदेश है : हर घर झंडा ! उनका आदेश और पूरा देश नतमस्तक ! उनकी यह अदा पुरानी है। वे आदेश पहले देते हैं, आगे-पीछे की सोचते हैं कि नहीं, पता नहीं। कुछ लोग कहते हैं कि वे नतीजे की चिंता किए बिना, हिम्मत से कदम उठाते हैं। यह अलग …
Read More »नेपाल में मधेसियों को नागरिकता देने का मामला : माओवादियों का ब्राह्मणवादी चेहरा
मधेसियों को नागरिकता देने से कौन सी क़यामत आ जायेगी ! आजकल नेपाली अख़बारों और नेपाली सोशल मीडिया में मधेस के सामाजिक-राजनीतिक कैनवास (Socio-political canvas of the Madhes) पर निर्मित दो खबरें बड़े पैमाने पर प्रसारित हो रही हैं. यह कटु सत्य है कि आमतौर पर मधेस से सम्बंधित खबरों पर पहाड़िया ब्राह्मणवादी मानसिकता के रस में रस में सर …
Read More »भारत छोड़ो आंदोलन 1942 के ख़िलाफ़ हिंदुत्व टोली-अंग्रेज़ शासक- मुस्लिम लीग हमजोली थे : जानिये हिन्दुत्व अभिलेखागार की ज़ुबानी
HINDUTVA GANG COLLUDED WITH BRITISH RULERS & JINNAH AGAINST QUIT INDIA MOVEMENT: A PEEP INTO HINDUTVA ARCHIVES इस 9 अगस्त 2022 को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अहम मील के पत्थर, ऐतिहासिक ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को 80 साल पूरे हो जायेंगे। 7 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने बम्बई में अपनी बैठक में एक क्रांतिकारी प्रस्ताव पारित किया …
Read More »अमृत पर्व में लोकतंत्र को जहर दिया जा रहा है !
लोकतंत्र को अमृत पर्व में जहर दिया जा रहा है ! Professor Jagadishwar Chaturvedi’s comment. अपने विरोधियों से राजनीतिक प्रतिशोध और उनको नष्ट करने के क्षेत्र में पीएम मोदी ने अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित किया है। लोकतंत्र के 75 साल होने पर यानी अमृत पर्व में लोकतंत्र को यह जहर दिया जा रहा है। अब लोकतंत्र जश्न मनाने की चीज नहीं …
Read More »घर-घर तिरंगा : तिरंगे के जज्बे को फिर से जगाना जरूरी
आत्मचिंतन का समय है यह इस साल (2022) के 15 अगस्त को हम अंग्रेजों की गुलामी से हमारे देश की मुक्ति की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे। यह समय है आत्मचिंतन का और अपने आपको एक बार फिर उस आंदोलन के मूल्यों के प्रति समर्पित करने का जिस आंदोलन ने हमारे देश को स्वाधीनता दिलवाई थी। यह वह मौका है जब हमें …
Read More »ये ईडी…ईडी क्या है ? मीसा की ‘मौसी’ है ईडी, बच के रहिये !
आपातकाल के दौरान मीसा दुरुपयोग हुआ, वैसा ही अब ईडी का हो रहा है जिस तरह देश में 47 साल पहले लगाए गए आपातकाल के दौरान मीसा दुरुपयोग (Misa abuse during emergency) का हुआ था उसी तरह आजकल देश में ईडी का हुआ है. जो काम कोई दूसरा क़ानून नहीं कर सकता उसके लिए मीसा रामबाण की तरह है. आपातकाल …
Read More »‘प्रेमचंद की परंपरा’ पर फातिहा न पढ़ें : महाकरुणा के नहीं संघर्ष के लेखक थे प्रेमचंद
जब-जब प्रेमचंद की चर्चा शुरू होती है तब तब प्रेमचंद को उनके वैचारिक व रचनात्मक सरोकारों से मुक्त कर ‘प्रेमचंद की परम्परा’ के नाम पर अमूर्त बहस छेड़ दी जाती है. अमूमन इस बहस के दो छोर होते हैं. एक छोर पर इस परंपरा में प्रेमचंद के पूर्ववर्तियों से लेकर सभी समकालीनों को शामिल करने की उदारता बरती जाती है …
Read More »यूक्रेन में जारी युद्ध के साथ नए मोड़ पर है दुनिया
यूक्रेन : बदलता वैश्विक परिदृश्य, कमजोर होती साम्राज्यवादी शक्तियां और विकसित होती क्रांतिकारी परिस्थितियां यूक्रेन की जनता 24 फरवरी से रूसी हमले के बाद से, तबाही और बरबादी से जूझ रही है। शिकार वह अमेरिका व अन्य यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) की साजिशों की भी है। इन्होंने ही रूस की घेराबंदी के लिए …
Read More »हमारे नेताओं को भाषा की कितनी तमीज है? स्त्री का सम्मान कितने नेता करते हैं?
जोहार महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी। आपके पदनाम को लेकर जो विवाद चल रहा है, वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इसका इस देश का एक आम नागरिक होने की हैसियत से मुझे बेहद अफसोस और शर्म दोनों है। हमारे नेताओं को भाषा की कितनी तमीज है? स्त्रियों का हमारे नेता कितना सम्मान करते हैं? इससे भी बड़ा सवाल था और है …
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